शब्दयोग सत्संग, विश्रांति शिविर ०५ अप्रैल, २०१९ गांधीधाम, गुजरात
प्रसंग: प्रेम और फ़र्ज़ में क्या अंतर है? क्या हर रिश्ते के लिए फ़र्ज़ निश्चित होना चाहिए? फ़र्ज़ और प्रेम में से किसे चुनें? क्या प्रेम फ़र्ज़ से दूर ले जाता है? क्या प्रेम का संबंध मज़ा करने से है?