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  • 6 years ago
वीडियो जानकारी:

शब्दयोग सत्संग
८ मई, २०१७
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा

दोहा:
सूरा सोई सराहिये, अंग न पहिरे लोह।
जूझै सब बंध खोलिके, छाड़े तन का मोह।। (संत कबीर)

प्रसंग:
असली जीना कैसा होता है?
संत कबीर तन का मोह छोड़ने क्यों बोल रहें है?
संत कबीर "सूरा" किसे कहते है?

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