शब्दयोग सत्संग १२ अक्टूबर २०१८ कैंचीधाम, उत्तराखंड
प्रसंग: नौकरी अगर नरक है तो उसे झेलना क्यों मंजूर है? नौकरी न झेली जा रही हो तो क्या करें? हम अपना शोषण के लिए राज़ी क्यों हैं? नौकरी चुनें या व्यवसाय? सही नौकरी का चुनाव कैसे करें? नौकरी अगर नरक है तो उसे झेलना क्यों मंजूर है? नौकरी पसंद न हो तो? नौकरी खोने का डर क्यों लगा रहता है?
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