ये आंधी-तूफान तो शुरूआत हैं, आने वाली है कयामत

  • 5 years ago
ग्लोबल वॉर्मिंग या जलवायु परिवर्तन का असर अब साफ दिखाई दे रहा है और इससे लगभग सभी देश प्रभावित हो रहे हैं। मौसमी बदलाव से भारत के बारिश के वार्षिक औसत में भी गिरावट दर्ज की गई है।

औसत बारिश में 86 मिमी. की कमी आई है। वहीं कुछ क्षेत्रों में भारी वर्षा से बाढ़ की घटनाओं में इजाफा हुआ है।

दुनिया में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन करने वाले देशों में तापमान में वृद्धि की वजह से 2050 तक 25 फीसदी उत्पादन की कमी हो सकती है।
साल 2017-18 के इकोनॉमिक सर्वे में आशंका जताई गई है कि मौसमी बदलाव की वजह से भारत में इस वर्ष कृषि आय 20 से 25 फीसदी तक कम रह सकती है।
आर्थिक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया है कि पशुधन से होने वाली आय में भी 15 से 18 फीसदी की कमी हो सकती है।
भारत में 1970 से 2010 के बीच खरीफ सीजन में तापमान 0.45 डिग्री सेल्सियस और रबी सीजन में 0.63 फीसदी बढ़ गया है।

भारत में कृषि पर होने वाला कोई भी नकारात्मक प्रभाव पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव डालता है। अप्रत्याशित मौसम का असर बहुत व्‍यापक पैमाने पर हो रहा है। जलवायु परिवर्तन से होने वाले मौसमी हादसों से केवल जान हानि ही नहीं आर्थिक नुकसान भी हो रहे हैं

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