सिंहस्थ: पांडाल में भीड जुटाने के लिए नुक्कड नाटक
- 5 years ago
कोई भी उत्पाद बिना प्रचार के नहीं चलता। प्रचार भी ऐसा होना चाहिए की खरीदने वाला बरबस उस ओर खींचा चला जाए। परंतु यही बात धर्म के मामले में लागू होते हुए पहली बार ही नजर आ रही है। उज्जैन में सिंहस्थ 2016 में पधार रहे भक्तों को
अपनी ओर खींचने के लिए विभिन्न धार्मिक संस्थान कुछ इसी तरह के तरीका अपना रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा रामघाट पर देखने को मिला।कुछ युवक यहां नुक्कड नाटक की तर्ज पर ढोल- ढपली बजाते हुए भजन गाते हैं। जब तीर्थयात्री आकर्षित होकर उनके पास आते हैं तब ये नाटक खेलते हैं जिसमें वे बताते है कि कैसे एक व्यक्ति जो लाख जतन के बाद भी जब मन की शांति प्राप्त न कर सका तब वह अपने एक आधात्मिक मित्र से अपनी समस्या का जिक्र करता है। तब उसका साथी मित्र को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित भागवत कथामृत में जाने की सलाह देता है। और फिर पर्चे बँटना शुरू हो जाता है। धार्मिक आयोजन स्थळ पर अपनी संस्थान के प्रचार के लिए किए जा रहे इस नए तरीके के बारे में ग्रुप के प्रमुख अंकित जोशी बताते है कि इसके काफी सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इस तरीके से वे भक्तों को अपनी संस्थान तक जाने के प्रेरीत कर करने में सफल हो रहे हैं। हमने उनसे पूछा गया कि क्या आप महाराज के शिष्य है या आपसे व्यवसायिक सेवाएँ ली जा रही
है? इस पर अंकित ने कहा कि वे भी धार्मिक संस्था से संबंध रखते है और जनकल्याण के लिए ये तरीका अपना रहे हैं।
अपनी ओर खींचने के लिए विभिन्न धार्मिक संस्थान कुछ इसी तरह के तरीका अपना रहे हैं। ऐसा ही एक नजारा रामघाट पर देखने को मिला।कुछ युवक यहां नुक्कड नाटक की तर्ज पर ढोल- ढपली बजाते हुए भजन गाते हैं। जब तीर्थयात्री आकर्षित होकर उनके पास आते हैं तब ये नाटक खेलते हैं जिसमें वे बताते है कि कैसे एक व्यक्ति जो लाख जतन के बाद भी जब मन की शांति प्राप्त न कर सका तब वह अपने एक आधात्मिक मित्र से अपनी समस्या का जिक्र करता है। तब उसका साथी मित्र को दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित भागवत कथामृत में जाने की सलाह देता है। और फिर पर्चे बँटना शुरू हो जाता है। धार्मिक आयोजन स्थळ पर अपनी संस्थान के प्रचार के लिए किए जा रहे इस नए तरीके के बारे में ग्रुप के प्रमुख अंकित जोशी बताते है कि इसके काफी सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। इस तरीके से वे भक्तों को अपनी संस्थान तक जाने के प्रेरीत कर करने में सफल हो रहे हैं। हमने उनसे पूछा गया कि क्या आप महाराज के शिष्य है या आपसे व्यवसायिक सेवाएँ ली जा रही
है? इस पर अंकित ने कहा कि वे भी धार्मिक संस्था से संबंध रखते है और जनकल्याण के लिए ये तरीका अपना रहे हैं।