उन्नाव रेप केस एक बार फिर राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बन गया है। पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Sengar) की सजा सस्पेंड होने के बाद सोशल मीडिया पर यह सवाल उठने लगा है कि क्या यह मामला अब नया मोड़ ले सकता है। सामाजिक कार्यकर्ता दीपिका नारायण भारद्वाज के बयानों और हालिया कानूनी घटनाक्रम ने तथ्यों, सबूतों और मीडिया ट्रायल को लेकर नई चर्चा छेड़ दी है। वहीं सीबीआई ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
00:00पूरा मीडिया एक ऐसे आदमी को उस अपराद के लिए उम्र भर जेल भेजने पर तुला हुआ है जो उसने किया ही नहीं है आदमी को उसके किये हुए अपराद की सजा तो दो लेकिन उस अपराद की नहीं जो उसने किया ही नहीं है इन तीखे शब्दों के साथ उन्नाव के
00:30बहस छेड़ दी है उन्नाव केस जो सालों तक सुर्खियों में रहा अब एक ऐसे मोड पर खड़ा हुआ है जहां तक्थ्यों और धार्णाओं के बीच ठन गई है दीपका का तर्क है कि इस मामले में राधितिक शोर और भावनाओं के आवेग में कानोनी बाविकियों को पी�
01:00जब दिल्ली हाई कोट ने पूर विधायक कुलदीट सिंग सेंगर की सजा को सस्पेंड करते हुए उन्हें राहत परदान की इस फैसले ने समाज को दो धड़ों में बाट दिया है एक तरफ सेंगर के समर्थकों का दावा है कि अदालत का ये फैसला किसी प्रभाव में नह
01:30पक्ष और उनके समर्थकों का मानना है ये राहत आस्थाई है उनका आरोप है कि ताकत और रसूक के जरिये सिस्टम पर दवाव बनाने की कोशिश की गई है उनका तर्क है कि सजा का सस्पेंड होना दोश मुक्ती नहीं है और वे इस लड़ाई को आगे भी जारी रखेंग
02:00करती तो क्या पता को जमानत न मिलती और इसमें सीवी आई का आयो मिल चुका था उसने भी बहुत सारे पैसे लिए जैसे जसा आपने पूरी पैटी भर ली इस कानूनिक हीस्तान के बीच मामला तब और गर्मा गया जब दीपका नरान भारतवाज ने आम आदमी पार्टी क
02:30टै करते हैं उन्होंने सवाल उठाया कि जब अपनी ही पार्टी के किसी सदस पर गंभीर आरोप लगते हैं तब वैसी ततपरता और नाराजगी क्यों नहीं दिखती जैसी उन्नाव केस में दिखाई दे रही है फिलहाल ये मामला अब देश की सरवोच अदालत यानी सुप
03:00चुका है जहां न्याय की तराजू के दोनों पड़लों पर भारी दबाव है एक तरफ पीड़ता के लिए इंसाफ की पुकार है तो वहीं दूसरी तरफ आरोपी के कानूनी अधिकारों और निश्पक सुनवाई की दलील है
03:13सवाल ये नहीं है कि कौन जीता और कौन हरा बलकि सवाल ये है कि क्या हमारा तंत्र मीडिया के शोर से अलग हटकर सिर्फ तत्थों के आधार पर अंतिम फैसले तक पहुच पाएगा जवाब अभी भविष्ट की पड़तों में छिपा हुआ है लेकिन इस बहस ने इतना तो
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