00:00मीठे बच्चे, तुम बहुत समय के बाद फिर से बाप से मिले हो, इसलिए तुम बहुत-बहुत सिकील धे हो. प्रश्न, अपनी स्थिती को एक रस बनाने का साधन क्या है? उत्तर, सदा याद रखो जो सेकेंड पास हुआ. ड्रामा, कल्प पहले भी ऐसे ही हुआ था. अभी
00:30कोई भी ऐसा कर्म नहीं करना है, जिससे किसी को दुख हो, कडवे बोल नहीं बोलने है, बहुत-बहुत क्षीर खंड होकर रहना है. दो, किसी भी देहधारी की स्थुती नहीं करनी है. बुद्धी में रहे हमको शिव बाबा पढ़ाते हैं, उस एक की ही महिमा करनी है, रु
01:00दिल तख्त इतना प्योर है, जो इस तख्त पर सदा प्योर आत्माएं ही बैठ सकती हैं. जिनके संकल्प में भी अपवित्रता या अमर्यादा आ जाती है, वो तख्तन नशीन के बजाए गिर्ती कला में नीचे आ जाते हैं. इसलिए पहले शुद्ध संकल्प के वरत द्व
01:30के लिए बाप दादा का दिल तखत. स्लोगन जहां सर्व शक्तियां साथ हैं, वहां निर्विघन सफलता है ही. अव्यक्त इशारे अब संपन्वा कर्मातीत बनने की धुन लगाओ. अंतह वाहक स्थिती अर्थात कर्म बंधन मुक्त कर्मातीत स्थिती का वाहन अर्थात अ
02:00हदों के उपर विजय प्राप्त करने वाले विजयी रत्न बनो, तभी अंतिम कर्मातीत स्वरूप के अनुभवी स्वरूप बनेंगे. ओम शान्ती
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