सवाईमाधोपुर. जिले में मिलावटी दूध का कारोबार खुलेआम चल रहा है। हालात यह हैं कि कई जगह दूध में आधा तक पानी मिलाकर ग्राहकों को परोसा जा रहा है। घर-घर पहुंचने वाला दूध व पनीर कितना सेहतमंद है। इसकी हकीकत जानने के लिए राजस्थान पत्रिका टीम खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वाहन लेकर निकली। यह अभियान जिला मुख्यालय पर चलाया गया, जहां दस से अधिक मिष्ठान दुकानों और दूधियों से नमूने लिए गए।
दूध व पनीर की सच्चाई जानने के लिए टीम ने खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ मिलकर शहर की डेयरियों, दूधियों और मिठाई की दुकानों से दूध, पनीर व मावे के सैंपल लेकर जांच करवाई। जांच में राहत की बात यह रही कि किसी भी सैंपल में सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले खतरनाक रसायन नहीं मिले। हालांकि दूध में 30 प्रतिशत तक पानी की मिलावट पाई गई। पानी की मिलावट ने दूध की गुणवत्ता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की मिलावट से पोषण मूल्य घट जाता है और बच्चों व बुजुर्गों की सेहत पर सीधा असर पड़ता है। इन मिष्ठान दुकानों से लिए नमूने
पत्रिका टीम ने खाद्य सुरक्षा विभाग के साथ मिलकर फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स वाहन को साथ में लेकर जिला मुख्यालय पर दस से अधिक दुकानों से दूध, पनीर व मावा के नमूने लिए। सबसे पहले टीम जीआरपी थाने के पास विनायक कचौरी वाला मिष्ठान के यहां पहुंचे। यहां मिठाइयां बनाई जा रही थी। यहां मिष्ठान संचालक नहीं मिला। ऐसे में यहां कार्यरत एक कार्मिक से दूध व पनीर का सैंपल मांगा। इस दौरान यहां दूध नहीं था। ऐसे में पनीर का ही नमूने संकलित किए। इसके बाद टीम नजदीक ही एक भाईजी रेस्टारेंट के यहां पहुंची। यहां भी रेस्टोरेंट संचालक नहीं था लेकिन अचानक से टीम के आने से कर्मचारी सकपका गए। यहां टीम ने दूध व पनीर देखा। इस दौरान दूध व पनीर का सैंपल लिया। इसके बाद टीम टोंक बस स्टैण्ड के पास आनंद स्वीट्स मिष्ठान की दुकान पर पहुंची। यहां मिष्ठान संचालक मिला। उससे दूध व पनीर क सैंपल लिया। इसके बाद टीम बजरिया में जैन मिष्ठान भण्डार पर पर पहुंची। यहां मिठाइयां बनाई जा रही थी। यहां से दूध का नमूना लिया और दुकान में साफ-सफाई के निर्देश दिए। इसके बाद टीम ने पांच अलग-अलग जगहों से दूधिए से दूध के सैंपल लिए और चल प्रयोगशाला में सैंपलों की जांच कराई। इस दौरान पनीर व दूध में किसी भी प्रकार के रसायनिक केमिकल नहीं मिले।
मिठाई की दुकानों पर भी मिलावटी दूध
टीम ने शहर की प्रमुख मिठाई दुकानों से भी दूध के सैंपल लिए। यहां भी 30 प्रतिशत तक पानी की मिलावट सामने आई। यानी मिठाइयों में इस्तेमाल होने वाला दूध भी शुद्ध नहीं है। त्योहारों और आयोजनों में मिठाई की खपत बढ़ने के साथ यह मिलावट आमजन की सेहत के लिए खतरा बन सकती है। सरस डेयरी में भूला दूध के नमूने लेना जिले में मिलावट का खेल जोरों पर चल रहा है। खुले में बिकने वाले दूध में खूब मिलावट की जा रही है लेकिन खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम के साथ सवाईमाधोपुर एवं जिला जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड भी दूध के नमूने लेना भूल गया है। हालात यह है कि पूरे वर्ष केवल जनवरी माह में सरस डेयरी की ओर से अभियान चलाया गया था। इसके बाद तो दूधियों पर कार्रवाई तक नहीं हुई। इस साल 10 से 22 जनवरी तक चला ‘दूध का दूध, पानी का पानी’ अभियान चलाया गया था। इसके तहत शहर में अलग-अलग स्थानों पर शिविर लगाकर खुले में बिकने वाले दूध की नि:शुल्क जांच की थी। अभियान के तहत जांच टीम ने कुल 67 दूध के नमूने संकलित किए है। इनमें से जांच में 28 नमूनों में दूध में पानी की मिलावट पाई गई थी।
यह है दूध की शुद्धता जांचने के आसान घरेलू तरीके....
-पानी की मिलावट: दूध की एक बूंद चिकनी सतह पर डालें। शुद्ध दूध सफेद लकीर छोड़ते हुए धीरे बहेगा, जबकि मिलावटी दूध तुरंत बह जाएगा।
-स्टार्च की मिलावट: दूध उबालकर ठंडा करें और उसमें आयोडीन की बूंद डालें। नीला रंग आने पर स्टार्च मिला है। -डिटर्जेंट की मिलावट: दूध को पानी में मिलाकर तेजी से हिलाएं। अगर झाग देर तक बना रहे तो डिटर्जेंट मौजूद है।
-यूरिया (सिंथेटिक दूध): दूध में सोयाबीन पाउडर मिलाकर लाल लिटमस पेपर डालें। रंग नीला हो जाए तो यूरिया मिला है। -अन्य तरीका: दूध को गर्म कर नींबू रस डालें। शुद्ध दूध तुरंत फट जाएगा, जबकि मिलावटी देर से या बिल्कुल नहीं फटेगा।
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इनका कहना है...
शहर में चल प्रयोगशाला को साथ लेकर करीब दस अलग-अलग मिठाई दूकानो व दूधिए से पनीर, दूध व मावा के नमूने लिए थे। इनमें किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं मिला है। अन्य जगहों पर भी हमने वाहन से जांच की है। ऐेस में केवल दूध में ही पानी की मात्रा मिली है। नीतेश गौतम, खाद्य सुरक्षा निरीक्षक, सवाईमाधोपुर
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