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  • 15 minutes ago
रुपये के मजबूत होने से निर्यातकों की डॉलर पर निर्भरता कम होगी. रुपये में कारोबार करने वाले देशों की संख्या बढ़ने लगी है.

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00:00ये वर्टमान परिविश मेंगर हम अंतराश्वी व्यापार की बात करें तो हम सभी जाने है रुपया किस तरीके से कमजोर होता जा रहा है डॉलर के मुकाबले और रुपये में व्यापार करना आसान भी हो रहा है, सरन भी हो रहा है
00:14जब रशिया और युक्रेण का युद्ध शुरू हुआ तो बहुत सारे हैं से भाति निरिया तक थे जिनका व्यापार का बुक्तान रशिया से नहीं हो पा रहा था क्योंकि अमेरिका ने उस पर सैंक्शन्स लगा दिये थे
00:33संक्शन की वज़े से फिर जब रुपेण और रशिया में प्रभाव हुआ व्यापार का तो भाति निरिया तो बहुत समझोते के बैंकों के साथ में रुपेण में व्यापार लेने इनकी शुरुआ थी
00:51इसमें पहले वर्थ में 2022 में अठाया देश शामिल हुए उसके बाद 2023 में शंक्या बढ़कते 24 हो गई, 2025 में आज वर्तमान इस्थिती में 35 असे देशे जिनके साथ में सीधे तोर पर भाति रुपेण में ब्यापार हो रहा है
01:05आरत के निर्यातक सीधे तोर पर रुपेए में 99 बना करके अपने बायर्थ को बिलेंगे और बायर्थ रुपेए में ही उनका बुक्तान यहाँ पर करेगा
01:14ऐसे वो 24 देशों की जो सूची इसमें शामिल कर दी गई है और रुपेए में हम सबी देख रहेंगी इसे दो फायदी है एक तो यह कि जो डॉलर पर निर्भरता है उसे हमारे निर्यातक बच सकेंगे
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