00:00राजधारी राची में ठोस कच्रा प्रवंधन को आधुनिक और बैगानिक रूप देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया जा रहा है।
00:30जबला चोक, आईटियाए बस स्टेंड, जगनातपूर, नागाबाबा घटाल, टेकर स्टेंड, हटिया, बला घगरा, काटाटोली, मुराबादी और खेलगाओं शामिल है।
01:00इस तीन लाग इसे जगह टैग्ड है, उनसे जमाँ होकर हमारे यहां बारह ऐसे जगह है, जहां पर आके वो जमाँ होता है।
01:08तो वहाँ ट्रांजिशन स्टेशन के तरह है, MTS हम लोग आते हैं, वो इन जगहों से पिक होकर और जहीरी जाता है।
01:18जहीरी जाने के बाद वहाँ पर अगर जो वेस्ट है, वेट, मतलब गीला कचड़ा है, वो चल जाता है गेल के प्लांट में, जो सूखा है वो यहीं रहता है।
01:28तो अगर लोग बड़े अच्छे से सेग्रिगेट करके तो गीला और सूखा अलग-अलग तो हमें लगता है कि बड़ी असानी से गेल के भी मात्रा बढ़ जाएगी और दूसरा यह कि प्रॉसेसिंग भी हम कर पाएंगे जो सूखा है।
01:39प्रांतु इस प्रैक्टिकल रियल्टी में देखा जाए तो ऐसा हो नहीं पा रहा है।
01:44तो मेटेरियल रीकवरी करने के जो एक फैसिलेटी है वो इसी जगहों पर हम लोग शुरुवात करने हैं जहां डंप हो रहा है।
01:52पुन जगहों पर अब ऐसा एक पुरा मसीन का एक वो रहेगा। सेट अप रहेगा। जो जो टीपर गाड़ी होती है वो उससे अनलोड हो जाएगे। वहाँ पर ही उसको फिर सेग्रिगेट कर गया लग कर देगा।
02:05यह तक्निकी राची को स्वक्ष हरीत और सतत विकाशिल शहर बनाने की दिशा में एक एहम कदम है। आने वाले महिनों में इसके संचालन से नाकेबल परजावरनिय संतुलन मजबुत होगा बलकि स्वक्ष राची हरीत राची का सपना भी साकार होगा।
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