00:00पति जी हम सब जानते हैं कि किस प्रकार से अथर्व वेद में कहा गया है ये ग्रामा यदरंड्यम यासभा अभी घुम्मयाम ये संग्रामा संवित्यतेशू चारू वदेमते और इसी प्रकार से बालमी की नमायन में बालमी की जीने जो वर्णन किया है कि जब लक्ष्वन को
00:30तब भगवान राम समझ जाते हैं और जो पंक्टी में कहते हैं कि अपी स्वर्ण मही लंका नरोच्ते लक्ष्मन जननी जन्मभूमिस्चा स्वरगा दपि करी यसी लक्ष्मन मेरा अवध इस सोने की लंका से बढ़ करके हैं ये हमारी जन्मभूमी वह हमारी मात्र भूमी ह
01:00ये ऐसी भूमी है जिसको रस्खान में गया है इसे इस भरत भूमी के लिए और जिस प्रकार के सब्द कहे गए वह भाव ही नहीं है एक जल और भी है जो सामने बेटे हैं जिनके नेता ने भारत माता को डायन कहा था और एक इनके नेता जो राश्टी अध्यक्षे कांग्र
01:30इंदिरा यदि इनके लिए कोई भारत माता है तो वही है जो इंद्रा गांधी थी आप इनके भाव को समझ सकते हैं भाव बैनों मानी सबापती जी जिस प्रकार से जिस प्रकार से और उपेख्या की गई राश्ट के मन वंद्वाश्ट
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