Skip to playerSkip to main content
  • 2 days ago
'वंदे मातरम सिर्फ राजनैतिक आजादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था...', लोकसभा में बोले PM मोदी

Category

🗞
News
Transcript
00:00बंदे मातरम की जिस भावना ने देश की आज़ादी का जंग लड़ा उत्तर दक्षिन पूरम पश्चिम पूरा देश एक स्वर्थ से बंदे मातरम भोल के आगे बढ़ा फिर से एक बार आउसर है का आओ हम सब मिलके चले देश को साथ लेके चले आज़ादी के दिवानों �
00:30सब्की उर्जा बने और देश आत्म निर्भर बने 2047 में विक्सित भारत बना करके हम रहे इस संकर्प को दोहरा निकली है यह बंदे मातरम हमारे लिए एक बहुत बड़ा आउसर है
00:45अधिनिय देख जी दादा तबियत तो ठीक है ना नहीं कभी कभी वह इस हुमर में हो जाता है
00:58अधिनिय देख जी वंदे मातरम की इस यात्रा की शुरुआत बंकिम चंदर जी ने
01:141875 में की थी और गीत ऐसे समय लिखा गया था जब
01:271857 के स्वाकंत संगराम के बाद अंग्रेज सलतरत बोखलाई हुई थी
01:38भारत पर भाती भाती के दबाव डाल रही थी
01:43भाती भाती के जुल्म कर रही थी और भारत के लोगों को
01:50मजबूर किया जा रहा था अंग्रेजों के द्वारा और उस समय उनका जो राष्टिय गीत था
02:02गौड सेव दक्वीन इसको भारत में घर घर पहुंचाने का एक शडियंत्र चल रहा था
02:13अईसे समय बंकिम्दा ने चनोती दी और ईट का जबाप पत्थर से दिया और उसमें से बन्ने मात्रम का जन्म हुआ
02:28कि इसके कुछ वर्ष बाद अठारा सो बयासी में जब उन्होंने आनंद मर्थ लिखा तो इस गीत का उसमें समावेश्ट किया गया है
02:49आधान यद्देग जी बंदे मात्रम ने उस विचार को पनरजिवित किया था जो हजारों वर्षे भारत की रग रग में रचा बसा था
03:14उसी भाव को उसी संसकारों को उसी संस्कृति को उसी परंपरा को उन्होंने बहुत ही उत्तम शब्दों में उत्तम भाव के साथ बंद मात्रम के रूप में हम सब को बहुत बड़ी सौगात दी थी
03:36कि बंद मात्रम यह सिर्फ
03:44केवल राजनेतिक आज़ादी की लड़ाई का मंत्र नहीं था
03:53कि सिर्फ हम अंग्रेज जाएं और हम खड़े हो जाएं अपने रापर चले इतने मात्र तक मंदे
04:05मात्रम प्रेजित नहीं करता था उससे कहीं आगे था
04:09कि आज हदी के लड़ाई कि इस मात्र भूमी को मुक्त कराने का भी जंग था अपनी मा भारती को
04:23कि उन बेडियों से मुक्ति दलाने का एक पवित्र जंग था और बंद मात्रम की प्रश्च भूमी हम देखे उसके संसकार थरीता देखे
04:38तो हमारे यहां वेद काल से एक बात बार बार हमारे सामने आई है जब बंद मात्रम कहते हैं तो वही वेद काल की बात हमें याद आती है
04:55वेद काल से कहा गया है माता भूमी ही पुत्रो अहम पृतिव्याहा अर्थात यह भूमी मेरी माता है और मैं पृत्वी का पुत्र हूं
05:17कि अधर द्रिक जी यही वो विचार है जिसको प्रभूसरी राम ने भी लंका के वैभाव को छोड़ते हुए कहा था
05:32जन्यनी जन्म भूमिश्य स्वर्गाद अपिगरियसी मंदे मात्रम यही महान सांस्कुर्दिक परंपरा का एक आधुरिक अवतार है
05:54कर दो
Be the first to comment
Add your comment

Recommended