बेबाक भाषा के Special Interview में पत्रकार भाषा सिंह गुफ्तग़ू कर रही हैं उत्तराखंड में अल्मोड़ा के पास एक गांव शीतलाखेत में जाकर बसे पेंटर मोहम्मद ख़ुर्रम अमीर के साथ जो दिल्ली जैसे महानगर में अपनी कॉरपोरेट नौकरी और कला के बाज़ार को छोड़कर अपनी कला को हिमालय के साये में प्रकृति के बीच ले गए। यह उलटी कहानी है, लोग पहाड़ छोड़कर शहरों में जा बसते हैं, खुर्रम व उनकी जीवनसाथी शाज़िया महानगर छोड़कर पहाड़ में जा बसे हैं। जानते हैं इस अनूठे फैसले के बाद उनकी ज़िंदगी और उनकी कला के बारे में... #culture #painting #painter #specialstory #sundayspecial #sundayoffbeat #offbeatstories #exclusiveinterview #almora #MohammadKhurramAmir #specialinterview
00:00नवश्कार दोस्तों बेबाग भाशा की खास पेशकर्श में आज मैं आपकी मुलाकात कराने जारी हूँ एक ऐसे कलाकार से जिसने इस तरह का एडवेंचर किया है जिस तरह से अपने जीवन में 40 साल की उमर के बाद पूरा का पूरा फोकस चेंज किया और इस समय उनसे हमार
00:30लेकिन दिखाने से पहले बातचीत बहुत जरूरी है खुरम अमीर आपका बहुत-बहुत स्वागत है बेबाग भाशा में आप दिल्ली में बहुत समय तक रहे और वहीं आपकी कर्म भूमी रही वहीं से आपने कला किया ग्यान हासिल किया पढ़ाई की वहां पर नौकरी क
01:00कैसे आप अपने सफर को देखते हैं आज सबसे परदे बहुत बहुत बहुत शुक्रिया आपके प्रोग्राम मुझे लेने के लिए और रियली फैंटेसी स्टोरी तो है एडवेंचर भी है तो यह एक मेरा एक तरह से कहें एक ड्रीम था जो बच्पन से ही था
01:30लेकिन वो बस ड्रीम ही था और उतना जादा उसमें कोई फोर्स नहीं था आई लिए डेली फॉर लॉंग ताइम और बच्पन भी आपका कभी पहाड में नहीं भी था को कि आप तो उत्तर प्रदेश के रहने वाले बड़ा ड्राय लैंड है आपका तो हाँ इंस्पिरेश
02:00और डेली में नेजर की काफी सख्त कमी है और जनरल एमपथी लोगों की लोग पहाड़ों पर बहुत अच्छे हैं और बड़े शहरों में उसकी भी कमी है तो तो इस द्राइविंग फोर्स तो ब्रेड न बटर के लिए लगे हुए तो ब्रेड इन बटर के लिए लिए ल�
02:30किस हुमर में आपने फैसला किया कितना समय हो गया आपको यहां मुझे यहां पर शाड़े तीन साल हुए हैं तो आइट भी फॉर्टी फाइव संधी जी चालिस के बाद यह बश्पन का प्रेम आपका जोर मारना शुरू हुआ और कैसे यहां कला की दुनिया क्योंकि कला की
03:00मैंने देखाया कि अधिकांज जो कला कार हैं पेंटर्स हैं उनके लिए दिल्ली मुंबई एवन जो बड़ी शहर हैं क्योंकि वहीं पर आप मिलते मिलते एग्जिबीशन करते हैं तो इतने दूर दराज के इलाके में शीतला खेत में तो एक्चली आर्ट की शुरूआत तो
03:30यह की शुरूगरर समय को क्या शुरुआते हैं खाले सामगा अे तो जोंका जाथे हैं ण1 अग्षाय को जो
03:41यहां आने के बाद आपकी पेंटिंग में क्या अंतर आया पहले भी आप बना रहे थे आज की तारीक में आप कैसे देखते हैं पिछले तीन साड़े तीन साल का आपका काम और उससे पहले दिल्ली में जो आप काम कर रहे थे
04:04आपका काम में जब तक कोई चीज में एक्सपीरियंस नहीं कर लेता हूं जब तक उसको समझ नहीं लेता हूं
04:23अनुली देनाइ सट्रूज तो प्रकृति में नेचर में जो अथेंटी कि अज़ाए यह आई वोग तो फौटी को आप करेंच करना पसंद करते हैं इंसान परगृति
04:41नहीं इनसान कोई प्रकृती है इनसान भी प्रकृती है
04:47अबरिधिंग इस नेचर और जो अर्टिफिशियलिटी है उसके सराउंडिंग उसका एंवारमेंट है
04:56यहां आपका अबरिधिंग प्रकृती है तो इस नेचा करी नेचा हुए उसकी टाउन में डिलाउंग है YouTube आपका इस तूड़ी स्ट्वीब स्ट्वी करने के लिए इस आपकी जीठी पाइस दूझाए वाहां पाण पारिए प्रकृती है और झालाव बाता वाहां था परम्ल
05:26कला संसार तुछ तुछ हर तरफ है बस सामान है कला के इनी पर
05:37खुर्म जी की इस कहानी के पीछ एक एक इंपॉर्टन किर्दार है शाजिया जो इनकी शरीक एहात है लाइफ पार्टनर है
05:45तो यह बताएं कि आप इस फैसले इस एडवेंचर के साथ थी या आपको लग रहा था कहीं खस गए नहीं हमें तो बहुत मज़ा रहा था कि नेचर में रहेंगे तो मेरा भी खौब हो ही गया था अल्टिमेटली की नेचर में रहना है तो बहुत ही मज़ाया साथ में लोग आ
06:15यहां जो चाहिए था वो सब कुछ है नेचर हम लोग को लगता है नेचर इस एवरिफिंग तो और लोग अच्छे है तो बाकी और कुछ यह नहीं तो इसले आगे हम लोग बताईए इमांदारी से हाना कि बड़ा मुश्किल सवाल है एक पेंटर कलाकार के साथ रहना कितना
06:45बस बस मज़ा करना चाहिए लाइफ को एंजॉय करना चाहिए यही मोटो होना चाहिए तो वह हम लोग फॉलो करते है रोज चाहे हो दूप में बैठना हो चाहे पीनी हो लोगों से मिलना हो और आनिमल्स के साथ टाइम स्पेंट करना हो वाक पे जाना हो तो एवरिधिंग �
07:15हुसाइन को भी घोड़े बहुत पसंद है जी तो कलाकार घोड़ों से काफी जह है हाँ एक्चली बहुत ही मिस्टिकल और बहुत ही कुछ नायाब चाहिए उसका जो फॉरमेशन है वह भी बहुत खुबचूरत है और उसकी प्रेजिंस भी बहुत अमेजिंग है उसकी प्र
07:45कोई ऐसी पेंटिंग की जो आपको बहुत पसंद हो यह तो वाकई में बहुत ही मुश्किल सवाल है जो अभी उपेंदर जी के लिए बनाया है वो इतना प्यारा लग रहा है हरी चीजी अच्छी होती है तो बहुत मुश्किल है सारी ही काम में बहुत अच्छे लगते हैं �
08:15यह बहुत यहां कि और गरत करके लेच fabric करते हैं तो पहुत ज़धा हम थोड़ा नहीं देखते हैं कि हमें रगता है कि वह भंधा Sultan सेuges हैं थोड़ा थोड़ा घ्लिम्स में ले घ्र लितेyan तो लिकिन डेखे रहते हैं जब यह बनाते हैं लेकिन हम इनको अपने काम के साथ �
08:45एक चार कोल वाली है उसमें बहुत फोर्स और वह है और एक बी आर नेचर करके एक ऑईल में है पेंटिंग इसेल पोड़ बहुत अच्छी है एक अम्मी करके है वह बहुत ही कमाल की है और वह सारी ही अम तो लिस्पिर के ना सकते हैं जो यादा आजाए वह बहुत अच्छी �
09:15एडवेंचर जो रह गए हो करने के ने अभी तो यह एडवेंचर हमारा कंटिन्यूड है और बहुत आगे को कुछ हम सोचते नहीं है इसी में मजा आ रहा है तो यही कर रहे हैं आप ऑनलाइन क्लासे भी लेते हैं गुजर बसर कैसे चल रही है आपकी यहां पर जी हम ऑनला
09:45तो यहां ट्रॉद भी दोढ़त हूए इसाहार सदृण के शर्माश मावेते कापव तो रही है यह बराट केेमन हम चापतर नहीं में, पूल सकावं हमारा कर देए पिल रहो हनिते नहीं है, यह अजे भाड़ा कर ग्या। ग्बरठर्स कहां विबच्चा बार्लों का में हम �
10:15इतनों कोई टाइम करता है या कोई ताइम प्रेंट कर दें टाइम प्रेंटन की तैनल गड़ियर या विद्यान है यह विए दो डिन कैनल कोई अदो आज भागन की तो एक डाय गाई चैनल भी मैं है कि फिर जान्ज रहना शाओने चाहिक यह जुद्या Нाुद अब तो इक द
10:45in three days on and off on and off working on I started at four in the evening
10:53and then I did something for dinner and then generally the work is more than Shami
11:02so contemplation, thinking and thinking, it's all going on
11:09finally I took to painting late
11:14when did you think that you want to be a painter and why did you want to be a painter?
11:23I was doing art like any other kid
11:33I used to do art in my childhood but I was a little serious in my life
11:41and I started doing more extensively
11:46and probably after my high school
11:52I started thinking that I would go into the art field
11:58I didn't know what it means to be an artist
12:04but it was a good thing to paint so I thought that I would go to art school and learn there
12:15Did you've also convinced him? Did you say that you were doing what you're doing?
12:21Not really
12:24मतलब मेरे ब्रदर्स, मेरे फादर तो टोटली इंक्लाइन थे अर्ट में मेरी मदर चाहएद थोड़ा सा वो थी रिजिस्टेंस था उनमें लेकिन नॉट पावरफुल रिजिस्टेंस तो और हम लोग इटावा में रहते थे पहले और वहां सभी को पता था कि मैं आर्ट करत
12:54है और यह ख़िया धे ब्रद अजया आर्ट परकिता आप्रे सिन लोग काफ्म में अर्ट की सबसे आदे सिन प्रुबर्स, मैं क्थोज मैंता परतबिग कि आपट के राष्याईं agora draft 수, किistine की बिछल्च वे कि आपके से परहावित प्रभावित की तो बछी तो मुझे तो मु
13:24वैंगोग ने वैंगोग में क्या अच्छा लगता है उनके सख्त कलर और वेग उनकी जो कलर्स में है
13:33मुझे उनके कामों में जो उनकी इमोशनल क्वालिटी है वह बहुत पसंद है
13:38इट ट्रांसपोर्ट वरी एजीली इंट यू जो जो उनके ब्रेस्ट्रोक्स हैं जो उनके कलर्स हैं
13:47तो मुझे बहुत अपीलिंग लगता है क्योंकि I also try to inculcate emotions in my soul in my paintings
14:05इसके लावा Edward Monk है और जैसे for example Picasso is very creative
14:14but somehow I feel the creativity but I don't feel the emotional touch in his work as compared to Van Gogh
14:27और भारत या एशिया के कुछ कलाकार पाइंटर्स बारत के कलाकारों में अमरिता शेर गिल मुझे पसंद है
14:43और इसके इसके अलावा Bengal school के जो आर्टिस है रमीर अर्णाड टैगोर का काम मुझे पसंद है
14:52और जैमनी रॉय एवरी आर्टिस है something unique in their artwork और मुझे वह मतलब I cannot pinpoint or specify के
15:09यहां के लोग कैसे समझते हैं और कैसे देखते हैं तो मुझे बहुत है तो मुझे बहुत ही मतलब I am very happy के लोगों में जग्यासा बहुत है
15:27they are very curious they have a sense that never happened in Delhi but here people talk about nature, people talk about animals, people talk philosophy, people talk about goodness
15:45which I have never experienced in Delhi and UP
15:50so this is a special antar that even my work reflects in my work or if I do it, I think all the things I do
15:59which inspire you, which inspire you, which inspire you, which is important for me
16:04सब कुछ करते हैं आप चाय भी बहुत अच्छी बनाते हैं बिल्कुल चाय भी पीते हैं चाय भी पीते हैं चाय निकालते हैं
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