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  • 18 hours ago
घना पक्षी विहार में बेकार पड़े लोहे और कबाड़ से उल्लू और डार्टर के स्टेच्यू बनवाए गए हैं, जो असली जैसे दिखते हैं.

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00:00बहरतपूर का विश्प्रसित केवलादेव राश्रे उध्यान अब और भी खोपसूरत हो गया है।
00:15यहाँ पहली बार पुराने कवार को क्रियेटिव तरीके से इस्तमाल कर विशालकाए मेटल वर्ट्स बनाए गये हैं।
00:22उल्लू और डाटर की यह जिवन्त मॉडल दिल्ली में तियार किये गये हैं और पार्क भी लगाये जा रहे हैं।
00:52इने को असानी से मिलते हैं।
00:53इन्डियन डाटर उनके यहाँ पर स्टैचूज बनाए जाएंगे जिससे परिटक समझ सकें कि
00:58इको फ्रेंडली तरीके से भी सेल्फी पॉइंट स्टैचूज बनाए जा सकते हैं।
01:02इससे हमारे दो काम होगे।
01:03एक तो हम जैवेवत्ता जो हमारे राश्य उद्यान के उसके बारे में लोगों को बता पाएंगे।
01:07एक सेल्फी पॉइंट बन पाएगा जो लोगों को अकर्शत करेगा।
01:10और इसकी अतरिक जो हमारा वेस मेटीरियल है उसका कोई सदुपयोग भी हो पाएगा।
01:15उद्या निदेशक मानक सिंग ने बताया कि सालों से पड़े विकार, लोहे, पाइप, नटबोल्ट और स्टील प्लेट से ये कलाकृतियां बनाई गई है।
01:23उल्लू का स्टिचू मुख्यद्वार की पास लगाया गया है, जहां असली उल्लू अकसर दिखते हैं।
01:29वहीं डार्टर का मॉडल मंदिर के पास तलाब में लग रहा है, जहां ये पक्षी धूप सेकते नजर आते हैं।
01:36इसमें ये जो डिजाइनिंग की जा रही है वो बिल्कुल नाचुरल लगेगी।
01:40जो वेस्ट हमारे पास होता है, टॉक्सिक वेस्ट हैं, जो पड़े रहते हैं, जंग लगती रहती हैं, खराब होता रहता है।
01:47उसका एक तरीके से सदुपयोग हो पाएगा।
01:49और लोगों को पता चल पाएगा कि वेस्ट मेटीरियल से भी हम कितना कितना अच्छी चीजों को बना सकते हैं, आकर्शित तरीके से उनको डिजाइन किया जा सकता है और लोगों को दिखाया सकता है।
01:59यह मूर्दिया ना सिर्फ फोटो पॉइंट बनेंगी बलकि परेटकों को बक्षियों की पहचान दिखाएंगी।
02:04आगे सारस, पलिकन, पेंटेरिस्टाक जैसे और बक्षियों के मॉडल लगाकर पूरा पार्क वर्ड लर्निंग ट्रेल बनेगा।
02:12ETV भारत के लिए भरतपूर से शामवेर सिंह की रिपोर्ड।
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