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'स्वयं से साक्षात्कार', लेखक और एजुकेटर प्रेम रावत के साथ; देखें आजतक पर
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00:00तो आज मेरा सवभाई यह है कि मैं यहाँ आसका और आप लोगों को मैं कुछ कहना चाहता हूँ
00:13जो भी बात मैं लोगों से कहने की कोशिश करता हूँ
00:21मेरे हिर्दे में यही इच्छा रहती है कि कैसे हम लोगों का जीवन सुधरे
00:29हमारे जीवन में आनन्द आए
00:32हम बहुत कुछ पाना चाहते हैं
00:36परूंतु जो कुछ भी हम पाना चाहते हैं अपने जीवन में
00:43अगर उसमें आनन्द नहीं है तो वो कोई काम का नहीं है
00:48लोग खाने के लिए जाते हैं
00:52खाने की ज़रूरत पेट को है
00:55सरीर को है
00:57परंतु उसमें भी हमको आनंद चाहिए
01:01उसमें भी हम चाहते हैं
01:05कि हमको मजा आए
01:06लोग हवाई जाज में उड़ते हैं
01:09उनको मालूम नहीं है कि जब वो हवा जहाज भी बैठे रहते हैं तो कितनी खतरनाक जगे में बैठे हुए हैं एक इंच दूर ऐसा टेंपरेचर है माइनस फिफ्टी सेवन डिग्री सेल्सियस और अगर वहां पहुंच गए है आप तो ज्यादा देर जीवत नहीं रह पाएं
01:39लोग एक इंच दूर बैठे हैं ऐसी जगे से जाकि वो जी नहीं पाएंगे परन्तु अपनी कुरसी पे बैठे हुए क्या ख्वाब देख रहे हैं हमको एंटर्टेंडमेंट चाहिए हमको मजा चाहिए हमारी फ्लाइट अच्छी होनी चाहिए हमको खाना चाहिए हमको कु
02:09पर यह हमको कोई नहीं बताता है कि असली आनंद क्या है असली आनंद किस चीज को कहते हैं हम अपना घर बनाते हैं उसमें हमको आनंद चाहिए हम सफर करते हैं और उसको हमको आनंद चाहिए आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद आनंद
02:39उसका नाम जानते हैं आप
02:43उसका नाम है परमानन
02:46परमानन
02:49जो कुछ भी आनन मनुष्ट
02:55इस पृत्वी पे बनाने की कोशिस करता है
02:58वो है परमानन
03:03अगर हम
03:05अब अब यहां आए हैं
03:08और यह सहत्य का एक मेला है
03:12डिवाइन मेला है
03:13कई राइटर्स हैं
03:16कई लोग हैं
03:18जिन्होंने किताबे लिखी हैं
03:21मैंने भी लिखी हैं
03:23उन्होंने भी लिखी हैं
03:24अपने भाव प्रक्ट करने की कोशिस की है
03:25परंतु इसका मूल चीज क्या
03:30इसका मूल कारण क्या है कि हम औरल की जिन्दगी के अंदर कुछ ऐसी बात ला सकें कि उनके जीवन में उन्नती हो
03:44उन्नती हो, बढ़िया हो
03:49अब आज की बात तो हम नहीं कर सकते हैं, AI है, शोसल मीडिया है, पता नहीं क्या क्या उठपटांग चीज़ें हो रही हैं, सची मैं कहना पड़ेगा, कि एकदम से उठपटांग चीज़ें हो रही हैं
04:06परंतु क्या इस महौल में भी वेद व्यास जैसे बैठके युन्होंने लिखा, वालमिखी जैसे लिखा, तुलसी दास जैसे लिखा, ये भारत की सब्विता के साथ जुड़ा हुआ है
04:29और उन्होंने ये सब क्यों लिखा, क्योंकि रामायन को अगर आप पढ़िये, तो मूल चीज़ उसमें एक ट्राजडी है, अंक तक ट्राजडी है, पर उस ट्राजडी में भी ग्यान दिया है
04:52उस ट्राजडी में भी ग्यान दिया है, महाभारत ट्राजडी है
04:59और चो ट्राजडी है, उसमें भी ग्यान भर दिया गया है
05:09ये साहित्य का एक दान है मनुष्यों के लिए
05:22और वो कभी खतम नहीं होना चाहिए
05:25चाहिए कुछ भी हो
05:29बात सिर्फ ये नहीं है कि हम ऐसी किताबें लिखें
05:34जो किताबें हम बेच सकें
05:36नहीं, ऐसी किताबें लिखनी चाहिए
05:38जिससे की मानवता की उन्नती हो
05:41मैं पॉलिटिक्स की बात नहीं कर रहा हूँ
05:50मैं पॉलिटिक्स की बात नहीं कर रहा हूँ
05:54मैं किसी एक चीज़ की बात नहीं कर रहा हूँ
05:56मैं मनुष्य की बात कर रहा हूँ
05:58वो मनुष्य जो एक दिन पैदा होता है
06:02जिसके अंदर स्वास चलता है
06:06जिसके अंदर भावनाएं उमरती है जो सुख और दुख का अन्भब करता है जो सीखता है सोचता है विचार करता है और फिर एक दिन इस संक्सार से ऐसा जाता है जिसा उस संक्सार से कोई रस्ता ही नहीं था
06:28मतलब मैं एक दिन सोच रहा था कि अगर किसी बाप का ऐसा बेटा हो जो एक दम निकमा निकले बुरा हो बदमाश हो तो अगर वो बाप उपर जाए तो कम से कम अपने बच्चे को अपने लड़के को एक चिठी ते लिख दे
06:54यहां हाम मुकेश यहां नरक है और तू ठीक डंग से रहे ने तो ऐसे ऐसा ऐसी जगे आएगा
07:13कि पस तेरे को फिर चैन ही नहीं मिलेगा समल जा
07:18कोई नहीं लिखता कोई अपनी पतनी को परंप्रिये हाँ यहां स्वर्ग है और मैं तेरा इंजार कर रहा हूं
07:35हूं और मैंने छोटी सी नदी के किनारे हम दोनों के लिए एक बहुत सुन्दर जगे बना ली है
07:45जब भी तेरे को फुर्शित मिले आजाना हर हम स्वर्ग में समय बिताएंगे
07:57मनुष इस संक्सार में कितने हज्जारों साल से रह रहा है एक साल की बात नहीं है दो साल की बात नहीं है भगवान राम का अगर सोचें साथ हजार साल पहले
08:16तब से मनुष है स्वर्ग की चर्चा करता है नरक की चर्चा करता है और यह साबूत करना कि यह स्वर्ग है यह नरक है उसके पास इतना भी एविडेंस नहीं है
08:38कि इतना भी एविडेंस नहीं है पर दो बिस्वास सब करते है हां हां और एक जुसरे कर जब गाली देते हैं तो क्या कहते है जन्नमे जा है
08:55यह कोई आशिरवाद नहीं देता है तू स्वर्ग में जा नहीं जन्न में जा और कोई एविडेंस नहीं है कि कहां है वो
09:10यहां सब लोग तक करीवन तक करीवन हवाई जास से उपर जा चके हैं नहीं देखा आपने
09:19हमने सारे संकसार में जहाज उड़ाया हुआ है सवाल ही नहीं पैदा होता है
09:31और आज इस संकसार की जो हालत है वो क्यों है
09:37क्योंकि यह मौका है हमारे पास जब तक हम जीवित हैं कि हम यहां स्वर्ग बनाएं
09:50और जब तक हम यहां स्वर्ग बनाने में कामियाब नहीं होंगे
10:03तब तब अपने आपको इस नरक में पाएंगे जो दुखों से भरा हुआ है
10:11यहां भाई भगवान दुख देनी के लिए नहीं आता है यहां हम एक दूसरे को दुख देते हैं
10:26यहां हम एक दूसरे को दुख देते हैं भगवान को आने की कोई जरुरत नहीं है
10:33एक दूसरे की जो तोबा बना रखी है हम लोगों ने
10:38वो हम ही कर रहे हैं एक दूसरे के साथ
10:41कौन एक दूसरे कौन किसको मारता है
10:46कोई भाला चा कहते हैं अकास चा आता है
10:50या हम ही उठाते हैं
10:54हम ही उठाते हैं हम ही मारते हैं
10:57ये जो नर्क बनाया हुआ है ये हमारा ही बनाया हुआ नर्क है और ये जो भी वर्णन है नर्क का उन सब वर्णनों से ज़्यादा खतरनाग है
11:10चालेंज कोई भी सब्विता हो सब सब्वितां के पास एक चालेंज है कि हम जीते जी यहां स्वर्ग बनाएं ये नर्क बनाएं
11:32किसी ने हमको कहा कि आप कबीर दास जी की बात करते हैं और आप और संतों की बात करते हैं आप बुद्व भगवान की बात क्यों नहीं करते हैं
11:49इसलिए नहीं करते हैं कि कबीर कुवा एक है पानी भरे अनेक बांडे का ही भेद है पानी सब में एक
11:59और ये है असली बात
12:06तो एक और भांडा हो, एक और भांडा हो, एक और भांडा हो
12:10संतों ने तो एक ही बात कही है
12:14और हम उस एक बात को अनेक बना रहे हैं
12:18हम बनाते हैं अनेक
12:20संतों ने जो समझाया है
12:24वो हमारी उन्नतिकी बात समझाई है
12:27और उसको बदलते हैं हम
12:30उसको गलत बनाते हैं हम
12:34ये तो अकबर की लाइन है
12:38अकबर ने एक बार लाइन खेंची
12:40और कहा अपने क्या कहते हैं
12:44दरवार के लो से कि इस लाइन को बिना छुवे हुए
12:47छोटा कर दो
12:49कोई नहीं कर सका
12:50तब बीरो लाया
12:51और बीरवल ने उस लाइन के
12:54बगल में एक लंबी लाइन
12:57और लंबी लाइन खेंच दी
12:58जब खेंच दी तो वो जो
13:01पहली वाली लाइन थी वो अपने आप छोटी हो गए
13:03यह हो रहा है
13:05कोई और लाइन खेंच देता है
13:08कोई और लाईन क्हहच देता है, कोई और लाईन क्हहच देता है, ये माइक्रोफोन और करते क्या हैं?
13:16ये वो आवाज जिससे की हमारी सोसाइटी में बेचैनी फैले, उस आवाज को ये एंप्लिफाइ करते हैं।
13:25आपके कान में क्या पड़ा इसके जिम्मदार आप नहीं है।
13:55वाली बात है न, कि गाना बजये, यहाप पे निर्वर है किस गाने पे नाचेंगे।
14:25इसको बरबाद मत करो, क्योंकि एक दिन सब को जाना है, वहाँ, श्वेता जी खड़ी हुई है, वो इंट्रुवी लेंगी हमारा, वो कहां रहती है, क्या पहनती है, मेरे से बिलकुल अलग है।
14:55आपको पंडित बुलाने की जरद नहीं है, जो उनके साथ होगा, मेरे साथ होगा, जो मेरे साथ होगा, वो आपके साथ होगा, जो जीवित है, वो इसको एक दिन जाना है।
15:16इसका कोई एक्जम्शन नहीं है।
15:20लोग कहते हैं, चुरिन जी भी है, जी वो तो फ्राँ फ्राँ जेग, वो तो कभी मरेंगे ही नहीं।
15:26सामने लाओ, सामने लाओ, हम भी तो देखें, जब भगवान राब नहीं रहे, भगवान कृष्ण नहीं रहे, तो वो कित्ते की मूली हैं।
15:41तो ये बात है, समझने की बात है, और अगर हम अपने को समझ नहीं पाते हैं, तो हम अपने ही जिन्दगी खराब कर रहे हैं।
15:58अगर अपने आपको जानने की, स्वयम को जानने की शक्ति आप में हैं।
16:06हाँ, ये किताबे हैं, किताबे हैं, किताबों को पढ़ना अच्छा भी लगता है, सबको नहीं लगता है, पर हमको तो लगता है।
16:16परन्तु पढ़ने के बाद जो ज्ञान प्राप्त होता है, उस पे अमल करना, ये हमारी जिम्मेवारी है।
16:27किताब की जिम्मेवारी नहीं है, लेखक की जिम्मेवारी नहीं है।
16:31लेखक की जिम्मेदारी नहीं है।
16:34लोग आज किसका इंजार कर रहे हैं।
16:37उपर से आये का कोई? उपर से आये का कोई? तुम कहां से आये? तुम को मालम है तुम कहां से आये? नीचे से आये उपर से आये? कहां से आये? और कहां जाओगे?
16:58मैं पूछता हूँ
17:02जब इस पृत्वी पे एक बच्चा पैदा होता है
17:06तो इस पृत्वी का बोज वजन बढ़ता है ये घड़ता है
17:13और जब कोई मरता है
17:19तो पृत्वी का वजन घड़ता है
17:25नहीं घड़ता है
17:29क्यों नहीं घड़ता है
17:32क्यों कि आप कहीं से आए नहीं
17:39यहां से आए हो
17:42यहां से आए हो
17:45और कहा जाओगे
17:48यहीं जाओगे
17:50यह जो सरीर है, किस चीज़ का बना हुआ है, हाइडरिजन, ऑक्सिज़न, नाइटरिजन, फॉस्फरस, कार्वन, और क्याल्सिय। इन चीज़ों का बना हुआ है, यह पदारत सब जगे हैं, जब आप अपनी कार में धूल साफ करते हैं, उनी चीज़ों को साफ कर रहे हो, ज�
18:20जब आप निकालना चाहते हैं, उसी चीज़ की तो आप बने हुए हैं, कीचर्ड आपको अच्छारी लगता है, कीचर के यह आप बने हुए हैं, तो भाई, मेरा तो सिर्फ यह कहने का मकसद है, यह जिन्द की मिली है, इसको बरबाद मत करो, आपका बहुत-बहुत धन्य�
18:50अगर आपकी तरह सोचना सीख लें, तो जीवन वैसे ही सरल हो जाएगा, क्योंकि जो सबसे कठिन से कठिन कॉंसेप्ट्स जीवन में रहते हैं, उसको आप इतना सिंप्लिफाई कर देते हैं, मैं जिस सवाल के साथ चुरुआत करना चाहती हूँ, प्रेम रावज जी, वो �
19:20अधिकार है, हम बहुत तरह के फंडमेंटल राइट की बात करते हैं, आजादी की भी फ्रीडम की राइट की भी बात करते हैं, लेकिन आंतरिक शान्ती हमारा जन्व से अधिकार, क्या कोई तरीका है कि इसको जो शिक्षा विवस्था है उसमें बद किया जाए और बच्च
19:50तरह तरह की चीजे हैं आपके पास, जब आपको डाल बनानी होती है तो उसको बिगोया जाता है, धोया जाता है और उसको पतीले में दाला जाता है, उसको वाला जाता है, अगर आप जूस बनाना चाहते हैं, तो आपके घर में जूसर भी होगा, संत्रे का जूस बनाना है
20:20दुनिया के बातों को समझने का तरीका है एडुकेशन, बाहर सीखना, उससे अंदर की बात नहीं समझ में आएगी, उसको आप इंकॉर्परेट नहीं कर सकते हैं, अगर आप डाल को फुरूट जूसर में डालें, तो खाम बनेगा नहीं,
20:45जूसर के लिए है, पतिला दाल पकाने के लिए है, तो यह सारी बातें समझने की होती हैं, कि जो अंदर की शांती, अंदर की जो चीज है, देखिए, आप ग्यालरी में जाएए, आपको हाँ हजारों फोटो मिलेंगी, लोग की फोटो मिलेंगी, फला फला फला फला फला फला
21:15आपको अपना चेहरा दिखाए देगा अपने को समझने के लिए आइने की जरॉरत है
21:26क्यामरे की जरॉरत नहीं है अपने को समझने के लिए आइने की जरॉरत है अपने को देखने के लिए आइने की जरॉरत है
21:32इसी लिए अब जो से मैं कहता हूं लोगों से मैं कहता हूं कि भई तुम को जरूरेटर खरीदने की क्या जरूरत है अपने घर में सुर्च की फोटो रखो
21:42और जब इसली चले जाए तो वहां से रोश्नी आती रहेगी
21:48अगर मैं यह किसी को कहूं तो लोग कहेंगे पेफकूपादमी है और हम करते क्या है वो भगवान को अंदर तो ढूंडते नहीं है फोटो टांग लेते इसे से काम चल जाएगा कैसे आपको रोसोई घर के क्या जरूरत है रोसोई घर इतना बड़ा होता है काई के लिए तरह �
22:18आप दिवाल पर टंग दो जब भी भूख लगे और की तरफ देख लेना प्राक्टिकल तो है नहीं है तो इसलिए जो अंदर की बात है उसको जानने के लिए अंदर की तरफ मुणना है और जो बहार की बात है उसको बहार देखना पड़ेगा लेकिन आपने यह यॉरसेल्
22:48आज की तारीख में जब हम सब के हाथों में एक मुबाइल फोन होता है बहुत तरह-तरह के डिस्ट्रैक्शन सोते हैं कैसे सुने कैसे सुने खुद को देखिए इस दुनिया में एक चीज है विस्वास बिलीव और एक चीज है ट्रस्ट तो इन दोनों चीजों में बिलीफ �
23:18क्या चीज मिस कर रही है और क्या चीज सबसे बढ़िया है तो बिलीव करना बड़ा आसान है हाँ वहां वह है वह वह है वह ऐसा है वह ऐसा है ट्रस्ट का मतलब है कि वो कुछ उसमें गारंटी है कि वो काम करेगा
23:41परन्तु इसके बारे में मैं सोच रहा था, सोच रहा था, सोच रहा था तो मेरे को एक बात समझ में आई
23:49कि हम बलीव भी कर सकते हैं और हम ट्रस्ट भी कर सकते हैं
23:55परन्तु अगर बलीव करेंगे तो एक दिन हो सकता है कि हमारे साथ
24:00जिसके उपर जिस चीज़ पर हम बलीव करते हैं
24:05वो हमको बैकफायर कर दे
24:06और जिसके उपर ट्रस्ट कर रहे हैं
24:11वो भी हमारा ट्रस्ट तोड़ दे
24:13तो एक चीज़ बचती है
24:17verify
24:20मालुम करो
24:24कि ये क्या है
24:27इस जीवन के अंदर
24:31भगवान पर सिर्फ बिलीव मत करो
24:36भगवान का अनुभव करो
24:41ये मेरा चालंज है
24:48क्योंकि वो तुमारे अंदर है
24:50वो तुमारे अंदर है
24:54और सिर्फ भगवान भगवान भगवान कहके नहीं होगा
24:58भगवान का अनुभव करना पड़ेगा
25:00पानी पानी पानी करके प्यास नहीं बुझेगी
25:06भोजन भोजन भोजन भोजन भोजन करके भूख नहीं मिटेगी
25:11भगवान भगवान भगवान कहके भगवान नहीं मिलेंगे, जब तक उनका अपने हिर्देश से अनुभव नहीं करोगे.
25:21मैं अगर आपसे पूछ सकूँ कि कैसा होगा यह अनुभव, क्या अनुभव करना, मतलब जो व्यक्ति नहीं जानता है, मानली जे मुझे नहीं समझा रहा है, क्या अनुभव, क्या वो एक मिर्कल होगा, क्या अनुभव होगा मेरे लिए भगवान का?
25:36आपने कभी प्यार किया है? बहुत अलग-अलग रूपों में, प्रेम रावजे, बहुत अलग-अलग रूपों में, जो एक रूप ले लेते हैं, जो सब जवान लोग करते हैं, प्यार,
25:51तो बेटी बाप से पूछती है, पापा, जब मुझे प्यार होगा, तो कैसा अनुभव होगा?
26:08बिल्कुल, मेरे सवाल का दरसल बहुत अच्छा उदारण आपने दिया, जे?
26:16तो पापा क्या कहेंगे?
26:21पापा कहेंगे, बेटी, जब तेरे को प्यार होगा, तु जान जाएगी.
26:40इसका कोई फॉर्मिला नहीं है, इसका कोई फॉर्मिला नहीं है.
26:47किस गाने पे आप नाचेंगे, आप नहीं कह सकते हैं.
26:51कि गाना बजने लगेगा, और आपको पसंद आया, जब आप नाशें लगे.
26:57पर क्या पीस का कोई फॉर्मिला है, पीस पॉसिबल, जब आप ये कहते हैं, तो क्या किसी विशय की तरह, किसी सबजेक्ट की तरह, उस पीस को भी, जो पॉसिबल पीस है, जो अपने अंदर है, उसको किसी फॉर्मिले के साथ समझा जा सकता है.
27:15नहीं, फॉर्मिला नहीं, उसका अड्रेस क्या है, पीस का अड्रेस क्या है, पीस का अड्रेस है आप, मेरी पीस का अड्रेस हूँ, मैं, आपकी पीस का अड्रेस है, आप, यहां जितने लोग बेटे हैं, सब के पीस का अड्रेस है, वो लोग.
27:45अब एड्रेस बथा दिया मैंने, अब उस तक पहुंचों के कैसे, तुम किस और भागते हो, किस और भागते हो, बाहर की और भागते हो, तुमको अगर टोलेट पेपर चाहिए, तु दुकान में जाते हो, तुमको दाल चाहिए, दुकान में जाते हो,
28:09परन्तु ये ऐसी चीज़ है जो तुमको दुकान में नहीं मिलेगी तुमारे अंदर मिलेगी
28:17इसके लिए समझ की जरूरत है पैसे की नहीं
28:25शांती की खोज पैसे से नहीं होती है शांती की खोज भाव से होती है
28:33जब अंदर खालीपन है तो उसको समझो और शांती से उसको भरो
28:40पैसों का जिक्र चुकिए आपने किया है यहाँ पर मैं आपके उस कोर्स को याद कर यह जो कि आप सब को मुफ्त में उपलंद कराते हैं
28:51सोशल मीडिया को लेकर आपने कहा अपने विचार भी बताए लेकिन यह डिजिटल तरीका है सब को पढ़ाने का क्या यह जो मैं कहूं यह जो ग्यान है जो नॉलेज है जो कोर्स है किसी भी रूप में उसे हम देखें जो जानकारी है डिजिटल के जरिये ही वो पहुँचे
29:21सब्सक्राइटर है और उनकी जिंदगी के अंदर बहुत बड़ी ट्रांस्फरमेशन आई है एक स्टोन कटर उसमें जो कहानी है दरसल उससे सब रिलेट कर सकते हैं दरसल आपकी बातों को पढ़कर सुनकर ऐसा लगता है जिसे कि हम सब एक ही चीज को अचीव करने के लिए
29:51कोई हरड की दाल खाता है कोई राजवा की दाल खाता है कोई राजवा क्या कहते हैं और उड़त की दाल खाता है पर खाते क्यों है इसको बरने के लिए इसको बरने के लिए गरीब खाता है क्यों खाना खाता है गरीब पेड बरने के लिए अमीर क्यों खाना खाता है पेड
30:21के पास एक पर दोनर का मकसद एक ही है A
30:30के डियों के साथ जो जो जो उनका जो प्रोऀंट चल रहा है आपकी तरफ से आपको लगता है ताकि उनके अंदर
30:37आंतरिक शांति जगा पाना क्योंकि हम कहते हैं कोई अपराद करके वो जेल गया है यह वहां
30:42बहुत तरह के प्रिजन रिफॉर्म सबने देखे हैं, किस तरह से केदियों का दिमाग कहीं लगाया जाए, योग करवाया जाए, बहुत तरह की चीज़े हैं, लेकिन ये जो कोशिश है आपकी तरफ से, प्रिम्रावजे, ये संभव है और क्या ज्यादा कठिन है?
30:58तेलंगाना में पांच जेल बंद हो गई और ये हमारा मकसद नहीं था कि जेल बंद हो जाएं और हमारा ये भी मकसद नहीं था कि हम जो क्यादी है वहां उनको एंटर्टेंड करें ये भी हमारा मकसद नहीं है, हम ये चाहते हैं कि वो ये जान जाएं कि वो कौन है?
31:28जब मनुष ये जान जाता है कि वह गौण है तब उसको साफ साफ दिखता है कि वह किया उसकी जीवन के अंदर सम्भब है और वह क्या पा सकता है, क्या कर सकता है
31:43यह न जानने की वज़े से वो उस जेल में गए और अगर वो उस जेल से निकलेंगे तो इसकी क्या गारंटी है कि वो जेल वापस नहीं जाएंगे
31:54यह बहुत लोग समझते हैं कि अगर जेल में एक बार आदमी चले गया तो वहां से सब सुधर जाएगा और फिर सब बापस नहीं जाएगा
32:04जेल में एक बार जाने के बाद और भी बुरी बुरी चीज़ें लोग सीखते हैं और जैसे ही जेल से बाहर नकलते हैं थोड़े देन बाहर रहते हैं और फिर वापस जेल के अन्दर जाते हैं
32:19तो इस को इस cycle को रोकने के लिए यह peace education program है
32:28पर यह schools में भी है करूंकि वहाँ भी लोग confused होते है
32:37तो schools में है, hospice में है, police में है, army में है,
32:44सारे institutions में तकरीवन तकरीवन यह है
32:48सबसे मुश्किल रहता है ना खुश रहना लेकिन आपका जो छेद वाला पॉट है, पॉट विद धु गोल, वो भी खुशी से भरा रहता है बिलकुल ये कैसे होता है
33:01क्योंकि खुशी मनुश्य के अंदर से आती है
33:05हम सोचते हैं कि चीजें हमारे जिन्गी के अंदर खुशी लाएंगी, हम सोचते हैं कि और कोई हमारे जीवन में खुशी लाएगा, पर हमारे जीवन में असली खुशी लाने वाला और कोई नहीं है, सिर्फ हम हैं.
33:21उपर से नहीं आएगी, नीचे से नहीं आएगी, दाएं से नहीं आएगी, बाएं से नहीं आएगी, अंदर से आएगी.
33:31इंटेलिजन एग्जिस्टेंस सचेत रहना ये सारी चीजें ये सब एक दूसरे से जुड़ी हुई चीजें जो आप सिखाते हैं जो ये नोटिफिकेशन की दुनिया है कि आप बैठें और आपको हमेशा लगे कि मेरे मुबाइल पर क्या आ गया नोटिफिकेशन उसमें कैसे
34:01इंटेन्शन आपका द्यान कहा है। माँ चौटा बच्चा अगर चरपाई पे लेटावा है तो रखान कर रही है पोर उसका द्यान कहा है जहां बच्चा सो रहा है ॉस्ट बच्चा है तो मतलब यह है कि वो ओर चीजे कर सकती है उस बारतंद हो रही है, चा कहते है und RIGHT दे �
34:31लगा रही है यह परन्तु ध्यान उसका वहाँ है जहां होना चाहिए उस बच्चे के साथ
34:37अगर हम यह बात न भूलें अब आपने देखा होगा लोग अपनी कार चला रहे हैं और फोन पर बात कर रहे हैं या समस कर रहे हैं
34:50परन्तु ध्यान कहा होना चाहिए कार चलाती समय रोड पे फ्ट पर नहीं रोड पयोना चाहिए अगर रोड पे है
35:06तो अब इदर उदर कर रहे हैं पर रोड पे है ठीक रहेंगे पर अगर आपका ध्यान रोड से हट गया फिर गढ़ुगी
35:19करिए जो आपको करना है संसार के अंदर
35:25पर एक चीज पर ध्यान दीचिए जो आपके अंदर है
35:31सारी चीजे होने के बाबजूत भी ध्यान कहा होना चाहिए
35:40यहां क्योंकि यह एक ऐसी चीज है जो दुबारा नहीं मिलेगी
35:46फोन कॉल तो दुबारा आजाएंगे पर यह दुबारा नहीं आएगा
35:53यहां अटेंशन होना चाहिए और तो मैं तो कहता हूँ
35:57कि सिर्फ 10 परसेंट ही अगर हो 10 परतिशती हो तो ठीक है
36:01पर यहां ध्यान होना चाहिए इस स्वांस में ध्यान होना चाहिए
36:06यह स्वांस में ध्यान होना चाहिए, यह स्वांस जा रही है, आपकी शुरुवात हुई कहां से, आपकी शुरुवात हुई स्वांस से, जब आपका सरीर मा के गर से भाहर निकला, तो सब की आखें, सब का ध्यानता कि आप स्वांस ले रहेंगे नहीं, अगर आप ले रहे है
36:36और अगर स्वांस ले रहे हैं तो खुशियां बटेंगी, लड्डू बटेंगे, नामकरण होगा, बर्थ सेर्टिफिकेट बनेगा, आपकी जिंदगी बनेगी, और कब तक यह सब कुछ होगा, यह सारा दुनिया का तमाशा तब तक होगा, जब तक यह स्वांस चल रहे हैं,
37:06और जिस दिन यह स्वांस बंद होगी, उसके बाद कुछ नहीं, तो बीजदाज जी कहते हैं, हंसा निकल गया पंजडे से, खाली पड़ी रही तस्वीर, यह तस्वीर अगर भरी हुई है, तो इसलिए भरी हुई है, कि यह स्वांस चल रहा है,
37:22मुझे लगता है कि जीवन में यह मुश्किल काम मुझसे होगा या नहीं होगा और एक चालेंज के तरह उसे लेकर उसे पूरा करने के साथ, अब मुझे लग रहा है कि यह सबसे चालेंजिंग काम, यह सबसे आसान काम कह कर आप बता रहे हैं, आसान तो बिलकुल है, क्यों
37:52यह हो रहा है, वो हो रहा है, बस, दिहान यहाँ जाए, थोड़ा सा
38:01अगर दूसरी तरीके से पूछूं कि एक छोटा सा बच्चा आपसे पूछे कि मैं शांती कहां से लाओं, उसको कैसे समझा देंगा, उसको मैं यही कहूंगा, कि लाने की जर्थ नहीं है, खिलोना लाया जाता है, खिलोना लाया जाता है, शांती पहले से ही तुम्हारे अं
38:31ब� socialist नहीं आप मोझजा नहीं ऐसलिए फिल लाने में गना जाता है।ने दीज दूप शांति तुम्हारे अंदर इसको लाने की जट नहीं
38:39प्रीमराविट जब हम सब किसी परशानी में होते हैं। तो हम किसी थे तरफ देखते हैं, घर में किसी बडे की तरफ देखत है।
38:46आपका जो बच्पन बीता है
38:48और जब से बहुत लंबे समय से आपको सब सुन रहे हैं आप तो
38:53दशक बीत गए हैं, दशक पर दशक बीत गए हैं
38:57आप कभी देखते थे किसी के तरफ गाइडन्स के लिए
39:01या आप शुरुवात से जानते थे कि आपके अंदर से आवाज आएगी वो
39:04जहां से मेरे को गाइडन्स मिल जाए
39:09मैं वहाँ से लेने के तयार हूँ
39:11I am and I always want to be an opportunist
39:18जहां से, जहां से कोई सीख ले
39:24सिखाने के लिए तयार हो, मैं सीखने के लिए तयार हूँ
39:27मैंने हवाईजाज चलना सीखा, हेलिकॉप्टर चलना सीखा
39:35मैंने ग्लाइर चलना सीखा
39:37यह चीज़ क्यू अपने सोचा कि आप उड़ना चाहते हैं
39:42कि जहां मेरे को जाना है वहाँ मैरे को हवाईजाजाज जाना पड़ेगा
39:46वसमय तो ऐरलाइन निती नहीं थी तो अगर मेरेको चाहिए कि जगा
39:54को चाहिया लुप सिखता के लिए जुभरलय रोजो उप्रें के लिए जुभरàng Τौह। चाहिए। तो मैने
40:01और मैs धी Dumas, में एक इसको सिखा सिखा सिखा सिखा सिखा
40:06फिर मैं इंस्ट्रॉक्टर बना इंस्ट्टुमेंट इंस्ट्रॉमंट इंस्ट्रॉक्ट sto法
40:11सी एफ डबल आइट लगां मैं आफ तब कुछ मैं एसलिए
40:17तक मैं सीख सकता हो
40:19मेरे मेर सीखने की शमता है, जो भी मैं चाहूँ, मैं सीख सकता हूँ।
40:29मैं बुरा भी सीख सकता हूँ, और अच्छा भी सीख सकता हूँ।
40:34और अगर मैं ध्यान दूँ, तो मैं अच्छा सीखूँगा।
40:39और अच्छा सीखूँगा, तो मैं और लोगों को भी अच्छा सिखा सकूँगा.
40:44और कोई आपसे बुरा करें, तो, कोई आपसे बुरा करें, आप अच्छा सीख रहे हैं, अच्छा सिखा रहे हैं, पर उसमें कोई आपसे बुरा करने आए, क्योंकि ये हम सब के जीवन में होता है, कि हम अच्छा कर रहे हैं, हम भही सब को खुश रखें, सच कहें, जितनी अ
41:14तो फिर क्या हम गांदी जी के सिखाए रास्ते पर दूसरा गाल आगे करो
41:18आइ फर एंड आइ और रोल वोल बी बिल्लाइब
41:22तो इसी लिए मेरे दरवाजे पर लॉक लगावा है
41:27मेरे घर मेरे अलार्म है
41:31और मेरे से कोई बुरा करने के लिए आइ
41:34तो मैं कोशिश करूँबा कि वो कर न सके
41:38प्रिवेंशन मतलब बचना होगा उस
41:45बिल्कुल मैं ये नहीं हो कि
41:48मतलब जो आपने कहा सतर्क रहो सचेत रहो अपने अंदर
41:54वो ये सारी चीजें जुड़ी हुई है
41:56प्रिम्राविज जी हम बाची अपनी अद करेंगे लेकिन मैं आप से आपके जीवन की सबसे बड़ी सीख जो आपने सीखी आपसे दो बहुत कुछ सीखते हैं हम सब
42:08सबसे बड़ी सीख कि जिस चीज की मुझे तलाश भी नहीं थी मैंने अपने अंदर उस चीज को पा लिया
42:18मेरे पिताजी ने मेरे को एक ऐसी चीज सिखाई जिसकी मेरे को तलाश भी नहीं थी
42:31अब मैं सीख गया और आज मैं उनका अभारी हूं क्योंकि उस चीज की मेरे को जरूरत है
42:42मेरे को तलाश करने की जरूरत नहीं है क्या कि वो ने मैंने अपने हिर्दे में उस चीज को पा लिया है
42:51और मैं उसी चीज़ को जो मैंने पाया है लोगों तक पहुचाने की कोशिश करता हूँ
42:58मैं यही चाहता हूँ कि जो मैंने सीखा है वो वी सीखें
43:03यह सीखा है सबसे बड़ी
43:07बहुत सुन्दर साहित्य का जो सबसे अच्छा पहलू होता है वो यह की
43:11जो अच्छी भावनाएं अच्छे शब्द अच्छे विचार अच्छी बातें और मुझे लगता है कि साहित्य आज तक
43:18जो हमारा साहित्य का महा कुम्भ है उसकी शुरुवात इससे बहतर और भला क्या हो सकती थी
43:25नहीं बहुत बहुत दने वाद प्रेल आवजी बहुत धन्यवाद प्रेलिवा जी थी
43:35थैंक यह सो मच वेप टुलाइफ द्रिक मैं जागूंगी अप
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