00:00मैं हरिवंश जी से आग्रे करूँगी कि अगर वो मंच पर लोट सकें क्योंकि हम साहित्य वार्षिकी अपना पेश करना चाहते हैं
00:11साहित्य वार्षिकी का ये आवरण शब्द सदा आज के समय को रेक हंकित करता है
00:29साहित्य वार्षिकी के इस अंक में विनूद कुमार शुक्ल, उदै प्रकाश, दलाई, शब्दों के महत्वलामा, बानु मुश्ताक, कुमार विश्वास, अपढणा सेन, वरुन ग्रोवर समित
00:40पचास से अधिक वरिष्ट और नई पेड़ी के लेखक आप देख सकते हैं
00:59की कविताएं हैं, अरुनाचल प्रदेश से लेकर नौर्वे तक के अंसुने और दिल्चस पनुभव हैं, बनारस और चांडील पर मनिन हैं, अमरकांत, मोहन, राकेश, विद्यानिवास, मिश्र जैसे साहित्यकारों की जन्मशती वर्ष पर संस्मरण हैं, रतन्थियाम की �
01:29इसमें हैं, इस साहित वार्ष की में बहुत से नई पेड़ी के रचनाकार पहली बार प्रकाशित हो रहे हैं और उन्हें दिशा देती दिखाई देगी, इसमें शामिल पुर्खों की लिखाई, विज्वल्स के आतंक का दौर कहा जाता है इसे, ये अंक नकेवल पढ़ने क
01:59आप सबका बहुत धन्यवाद साहित वार्ष की के इस अंक को सब के सामने प्रस्तुत करने के लिए
02:09एस वी स्पीक जब हम ये बात कर रहे हैं तब एमेजॉन पे साहित वार्ष की का ये अंक नंबर वन बेस्ट सेलर है
02:20नौजवानों के बारे में ये राय बना दी गई है कि वो लोग अच्छा पढ़ना नहीं चाहते हैं हर वक्त मोबाइल पे लगे रहते हैं
02:28आप लोगों ने इस राय को ध्वस्त किया है और इसलिए इंडिया टुड़े के जो एडिटर इंचीफ है श्री हरुन पूरी जी और हमारी जो एक्जिटिव एडिटर इंचीफ है उनका ये निर्देश था कि इस नए डिजिटल दौर में भी कुछ पुरानी और कमाल की च
02:58पाने पानी की बोतल और मोबाइल के चार्जर के साथ साथ जब तक किताबे रहेंगी तब तक उम्मीद एक जिन्दा शब्द रहेगा शुक्रिया
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