00:00जार्खन का उज़ा है 15 नॉवंबर 2000 को हुआ था और ठीक उसके एक सप्ता बाद विधान सवा अस्तित्व में आ गया था यानि विधान सवा भी 25 वर्ष का हो गया है इस वक्त हमारे साथ विधान सवा अध्यक्ष रविंद्र महतो हैं इनसे सीधे बातचित करते हैं
00:15किस तरह का अनुभाव आपका आप चेर पर नोग सब्सक्राइब महतो है एक सब्सक्राइब लिकिन उसके शाथ साथ-षाथ जनविश्वास को अर्जन करना
00:42और जनताओं के हिट का काम करना और जो भी काम है वे जनता तक उनका खेत खलियान तक उसको पहुंचाना यह मूल भी सह होता है
00:56और दूसरी बात यह भी है जार्खन का जो संस्कृति है इस संस्कृति को भी अक्षुन न रखना यह भी हम लोग का दाइत्त बनता है
01:06तो यह सर हम लोग कितना आगे आपाए यह तो विधानसवा जो स्टेट ऑफ दा आर्ट है यहां पे भवन बढ़ियां है पेपरलेस के तरफ बढ़ रहा है नया कुछ और टेकनोलोजी आप लोग इंप्लिमेंट करने वाले हैं यह अप वगरे कुछ है जब आप इस चीज को �
01:36जो जनता हैं यहां के जो आवाम है सारे लोग भी इनी के साथ साथ ही चल रहा है आपनों कुछ इंप्लिमेंट करें यह विधान आप अगरे जिससे यह देश का विदान सवा बनेगा बिल्कुल अभी हम लोग भी जो नया बईगानिक तोर तरीका है यह इन्फोर्मेशन ट
02:06मंदिर है आपका अनुभव कैसा रहा चेर पे यहां पे जो है अब देखें पिछले पांच साल रहा है फिर अब सेकेंड टेनियूर है तो कैसा अनुभव रहा है सदन को चलाना जो देखें बिल्कुल अच्छा अनुभव रहा और लोकतंत्र का मंदिर है इस चीज को सभी �
02:36संसद्य आचरन के करम में कोई से बाहर नहीं जाना चाहते है यह नहीं जाता है यह से रहा है इसलिए सही मायने में यह मंदिर है और इस मंदिर को सब हर जनुद्धि और हमारे राज के जंता इसको मंदिर
Be the first to comment