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Raheem Chacha Ne Bachaiee Hindu Aurat Ki Jaan

When the road was literally melting at 60°C, a helpless woman was minutes away from death.
What Rahim Chacha did next, putting his own life on the line, will leave you in tears.

This is NOT a movie. This is a 100% real incident that happened on a highway in Rajasthan.
A story of pure humanity that rose above religion, caste, and everything else.

If you still believe goodness exists in this world, watch till the very end.

Rahim Chacha — there is truly no one like him ❤️

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😹
Fun
Transcript
00:00ुधंपूर की तरफ जाने वाली सलक पर दोपेहर धाई बजे धूप इतनी तेज थी के सलक का डामर पिघल कर चिप-चिपा हो गया था।
00:07थर्मामिटर ने साथ डिग्री चू लिया था।
00:10हुआ भी नहीं चल रही थी सिर्फ गर्म लहरें थी जो जिस्म को जूसा रही थी।
00:15ऐसे में एक सफेद एक सेनट कार सलक के किनारे खड़ी थी बोनट से धुआ उठ रहा था।
00:20ड्राइवर सीट खाली थी। कार के पीछे साया तलाश करती हुई एक औरत खड़ी थी।
00:26सफेद दो पट्टा सर पर डाले हाथ से आंखों को बचाती हुई। इसका चहरा पसीने से शराबूर था होंट पटे हुए आंखें धुंदला रही थी।
00:36वो तीन घंटे से वहां खड़ी थी। पानी की आखरी बूंद आधा घंटा पहले खत्म हो चुकी थी।
00:42इसने फोन निकाला। नेटवर्क नहीं था। आसपास कोई गाली नहीं गुजर रही थी। सिर्फ दूर कहीं एक ट्रक की आवास सुनाई दी जो आहिस्ता आहिस्ता करीब आ रही थी।
00:54ट्रक पुराना था नीला रंग नंबर पलेट पर राजस्थान लिखा था। ड्राइवर सीट पर रहीम चचा बैठे थे। उमर साथ के करीब सफेद डाली सर पर पगड़ी उंखों में सुर्खी। वो रात भर जसलमेर से चले आ रहे थे। सामान की डिलिवरी उधमपूर
01:24जानते थे कि इस गर्मी में कोई बाहर खड़ा हो तो मतलब मौत करीब है। वो उतरे। उनके कदम लाल खड़ा रहे थे। खुद उनकी कमीस पसीने से भीग चुकी थी जिसमें पानी नहीं बचा था। बजी किया हुआ उनकी आवाज भारी थी। औरत ने सर उठाया। इ
01:54सडक खाली थी। अगला पेट्रोल पंप भी पचास किलो मीटर दूर था। उनके ट्रक में सिर्फ दो बोतले पानी थी वो भी खुद के लिए। वो वापस ट्रक में गए एक बोतल निकाली औरत के पास आए। पी लो उन्होंने बोतल खौल कर दी। औरत ने हाथ बढ़ा
02:24प्यास की शिद्दत से पानी पिया, कुछ पानी उसके गिले से नीचे गिर गया। तुम्हारा नाम रहीम चचा ने पूझा। समन। समन शर्मा। दहली से आ रही हो। शोहर की तबियत खराब है। हस्पताल जाना है। इसकी आवाज कमजोर थी। रहीम चचा ने सोचा।
02:54रही थी। दिल में कुछ हुआ। वो जानते थे कि अगर ये औरत यहां रही तो शाम तक मर जाएगी। चुलू ट्रक में बैठो। मैं छोह दूंगा। समन ने हैरत से उन्हें देखा। लेकिन आपका सामान। आप खुद। चुलू भी भी वक्त नहीं है। रहीम चचा �
03:24पकड़ कर उपर खेंचा। समन की साली फट गई घुटने जखमी हो गए लेकिन वो अंदर बैठ गई। रहीम चचा ने ट्रक्स टॉट किया। इंजन ने रोडा उठाया। उनकी आंखें धुंदला रही थी। वो जानते थे कि उनके पास पानी नहीं बचा। खुद उन
03:54रहीम चचा ने शीशा नीचे किया लेकिन हुआ गर्म थी। वो खुद पसीना पूँच रहे थे। उनकी डाली पसीने से भीग गई थी। चचा जी। अब ठीलुक हो समन ने कमजोर आवाज में पूझा। हाँ बीबी। बस थोड़ी देर और। बीस किलो मीटर। रहीम �
04:24नाम ले रहे थे। 30 किलो मीटर। समन बेहोश हो गई। रहीम चचा ने ट्रक रोका। पीछे गए समन को देखा। इसका चहरा नीला पढ़ गया था। वो वापस आये ट्रक चलाया। अब उनकी रफतार सुस्त हो गई थी। 40 किलो मीटर। रहीम चचा का सर भूम रहा था
04:54वो ट्रक के नीचे लेट गय साया तलाश किया। उनकी सांस फूल रही थी। वो जानते थे कि अब वो खुद मरने वाले हैं। लेकिन समन अभी जिन्दा थी। वो उठे। दोबारा ट्रक में बैठे। हाथ काम रहे थे लेकिन इंजन्स टॉर्ट किया। अब 50 किलो मीटर
05:24वो बड़बड़ा रहे थे बस थोड़ी देर और। बस थोड़ी देर। 50 किलो मीटर। बिलाखिर एक छोटा सा धाबा नजर आया। रहीम चचा ने ट्रक रोका। वो खुद बाहर गिर पड़े। धाबा वाला दॉला आया वो अरे भाई किया हुआ। रहीम चचा ने कम�
05:54निकाला। पानी पिलाया। एम्बोलेंस को फोन किया। रहीम चचा जमीन पर लेटे थे। उनकी आंखें बंध हो चुकी थी। लेकिन मुनः पर मुस्कराहत थी। हस्पताल में समन बच गई। जब इसे होश आया तो इसने रहीम चचा के बारे में पूझा। डॉक्टर
06:24रहीम चचा के पास गई। उनका हाथ पकला। चचा जी, अपने मेरी जान बचाई। मैं आपकी बेटी हूँ आज से। रहीम चचा की आंखें खिली। उन्होंने समन को देखा। कमजोर मुस्कराहत आई। बीबी, तुम ठीलुक हो। बस यही काफी है। तीसरे दिन रही
06:54मेर मेर में था। समन ने कहा, चचा जी, अब आप मेरे बाप जैसे हैं। जब तक जिन्दा हों आपकी बेटी रहूंगी। रहीम चचा ने सर हिलाया। उनकी आँखों में आंसु थे, बीबी, अल्ला ने तुम हे बचाया, मुझे मौका दिया। बस यही काफी है, इस दिन
07:24उनके लिए एक छूटी सी दुकान खौल दी। और जब भी कोई पूछता के साथ डिग्री की गर्मी में एक अंजान औरत के लिए जान क्यों दाओ पर लगाई। रहीम चचा बस इतना कहते, बेटा इंसानियत मर जाये तो जिस्म जिन्दा रह कर भी लाश होता है। मैंने
07:54आज भी वही है। अगर ये कहानी आपके दिल को छूगई हो, अगर आपको लगता हो के दुनिया में अभी अच्छे लोग मौजूद हैं तो वीडियो को लाइक जरूर करें। चैनल को सबसक्राब करें और कमेंट में लिखी, रहीम चचा जैसा कोई नहीं। अल्ला हम सब
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