01:49Eek-hazar-sat-ta-si yoyinau und ka shubaram viris ke suki udhakan ka šila pot�e hey
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02:16हम लोग अस्तापना दिवस के आउसर पर यहां इखटा हुए हैं लेकिन आज इस अस्तापना दिवस में उस्सा के साथ
02:39मेरे मन में थोड़ा सन्नाटा भी है क्योंकि आज इस मंच पर हमारे बीच कुछ समय पहले तक
02:59इस राज के आदिवासी मूलवासी के च्छाओं के रूप में एक विसाल ब्रिक्ष के रूप में हम लोग के बीच में रहे आदर निया दिस्वम गुरू सीबू स्वरेंजी नहीं है
03:14आज हम लोग यहां इक खठा जरूर हुए हैं रजज़ जैनती के आउसर पर लेकिन
03:32हमें आज इस बात को भी नहीं भूलना चाहिए कि राज को अस्थापित करने के लिए और इस राज को बनाने के लिए
03:48कितनी संगर्ष कितनी बलिदानी हुई है जिनके वज़ह से आज हमें एक अलग पहचान मिला
04:06और उनी का संगर्ष था उनी का जो आज हम लोग के बीच में नहीं है
04:13उनका संगर्ष इसलिए रहा है कि यहां का जहारखंडी यहां का मुलवासी आदिवासी सर उठा कर खड़ा हो सके
04:29गर्ष से अपने को जहारखंडी कह सके अब बड़ी दाई तो अब हम सभी नोजवान और नहीं पीडियों पर हैं हम सब के कंदों पर हैं
04:41चाहे सरकार के तौर पर सरकार के कंदे पर हो चाहे आम नागरिक के तौर पर यहां के किसान नौजवान
04:52के कंदों पर हो
04:54आज हर कोने से हमें इस राज को सजाने के लिए सवारने के लिए
05:06इस राज के सरवांगिन विकास के लिए
05:10योगदान देना होगा
05:14मेरा ये मानना है
05:17विक्सित देश तभी हो सकता है जब विक्सित राज हो
05:22और विक्सित राज तभी हो सकता है जब विक्सित हमारा गाँ हो
05:27हमारा गाँ ससक्त होगा
05:33हमारा ग्रामिन अर्थ विवस्था मजबूत होगा
05:37तो सवाविक रूप से राज की अर्थ विवस्था भी मजबूत होगी
05:41। और राज भी मजबूत होगा और देश भी मजबूत होगा।
05:48सिरफ खनेश संपदाओं से ही हम भरे पूरे नहीं है।
05:52प्रकृतिक संसाधन हमारे पास।
05:57सायध हमारे पुरुआजयों को इस बात का पूरा पूरा आतलन था।
06:06कि भगवार ने हमें कई तरीकों से नवाजा है।
06:11सिरफ जमीन के ही अंदर नहीं जमीन के उपर भी हमें इतनी संब्रद्धी मिली है।
06:19जिस से हम देश में एक अलग पहचान बना सकी है।
06:27और इसी लिए अब हमारी सरकार सिरफ खनी संपदाओं की इर्दगिर्द नहीं।
06:37बलकि इस से अलग और इस से हटकर जो हमारे इस राज के जन्मानस की भावना है।
06:51और उनकी आर्थिक, समाजिक, मानसिक, बाधिक छमता है।
06:59उसके अनुरूब इस राज को एक दिसा देने का प्रयास कर रहे है।
07:06और पूरे राज में एक उत्सा का महौल है।
07:11अलग-अलग जगहों पर, अलग-अलग जीलों पर, अलग-अलग जगह पर हमारे मंत्रीगण, विधायगण, आज के इस सुभावसर को भावियता दे रहे हैं।
07:22हमारे कलाकार, हमारी यहां सांस्कृतिक विरासत के माध्यम से, जो आने वाला समय में हमारी जो सांस्कृतिक विरासत है, उसको भी आप देश के बड़े और पूरे दुनिया के पटलों पर, हम अपना बहतर सांस्कृतिक प्रदसन करेंगे।
07:46क्योंकि हम जानते हैं कि हम आदिवासी नहीं, बलकि इस देश के मूल वासी हैं, इस देश के हम पर्थम वारिस हैं।
07:56और आज हमें इस बात पर गर्व हैं कि आज हम देश के अगरिनी राज के साथ कदम से कदम मिला कर चलने के लिए कटिबद हैं।
08:08और पूरा तयार हैं। इसलिए साथी आप सब लोगों को पुरह मेरी और से आज के सुब अफसर पर रजाज जयनती के सुब अफसर पर धेर सारी सुब कामनाई देते हुए अपनी बातों को समाप्त करता हूं।
08:24जय हिन्द, जय जार्खन, जार्खन के वीर सहीद अमर रहे।
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