00:00ुप्रिदेश के गोरव है ुणका पद इतना बड़ा है कि उनकी भाषा सब्बे रेनी ची जिस तरीके कि वो भाषा गाली गलोचकी करते हैं ये पद को सोभानी देते हैं
00:14मैं उनसे आगरे करता हूँ उनको सार्जनिक माफी मांगनी ची नी तो बोलेंगे नी सचु ग्राम साइक भी नी बोलेंगे 25,000 पंचा है तो मैं 50,000, 60,000, 70,000 लोग हैं आपकी चूले हिला देंगे चुनाव आने दो तब बड़ेगा आदिवासियों का गोरव तब उनकी जमी
00:44आदिवासियों की लगबग लगबग सवाल लाग पिस्टियर जमीन पर सरकारी योजनाई आई पर उनको मुआज़ा नी मिला वो दर बजर हो रहे हैं गुजराज जा रहे हैं महाराज जा रहे हैं अलग-अलग परदेशों में दाड़की करने जा रहे हैं मजचूरी करने �
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