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  • 11 hours ago
छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले के रहने वाले थे दाऊ चिंताराम टिकरिहा, जिन पर बनी डॉक्यूमेंट्री. निर्देशक और उनके परिवार से ETV भारत की खास बातचीत.

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Transcript
00:00foreign
00:30yeah
00:33in 36 कि धर्दी से जन में भीम चिन्ता-राम जिनके ऊपर बनी एक
00:38फिल्म आज अमेरिका के नियू यॉर्क में अपना पर्चम लहना रही है निर्देशक अंसू अन्वर दुरंदर जो है हमारे साथ मौझूद है और मैं आपको बताना चाहूंगा कि भीम
00:48जिसको 36 गड का भीम कहा जाता है
00:52मैं उस गाउ में मावजुद हूँ
00:55जिस घर में वो जनमे है
00:56और जिस घर में और जिस गाउ में पले पड़ है
00:59यह उनका घर है
01:00आप मेरे पीछे देख रहोंगे
01:02कि यह दर्वाजा आपको जितना सुंदर दिख रहा होगा
01:04उतनी ही सुंदर एक कहानी इसकी है
01:06बताते हैं कि यह दर्वाजे में किसी भी तरीके का
01:11लौक या सक्री या बेडिया यहाँ पर नहीं लगे कही है
01:14ताकि देर रात या कोई भी समय कोई भी वेक्ती को अगर ज़रुरत पड़े
01:19तो दर्वाजा खुल
01:2024 घंटे यहां दर्वाजा खुला हुआ होता है
01:23और देख सकते हैं यह दर्वाजा
01:24बहुत ज़्यादा बड़े समाज से भी थे
01:27साथ में मंदिरों का जिर्णों धार भी उन्होंने कराया था
01:29अपने गाउं में प्रतम स्कूल खुलवाया
01:31जिस समय आसपास बिजली नहीं थी
01:33यहां पर उन्होंने बिजली की विवस्ता की
01:35कई लोगों के विवा, छठी, दश्रात्र, इत्यादी का खर्ज भी
01:39उन्होंने अपने पैसे सी वहन किया था
01:42तो यह चीज मुझे लगा कि जब इतने बड़े और इतने शक्तिशाली व्यक्ति अगर है
01:47तो इनके बारे में हमारे लोग अभी जान क्यों नहीं रही है
01:52पुराने लोग तो जानते हैं
01:54लेकिन आज की जो युवा पिढ़ी है
01:56वो इनसे अनभिज्य किस प्रकार से रह गई
01:58पर कुछ न कुछ ऐसा कारे करूँगा
02:01इनका इतिहास उजागर हो और लोग इससे प्रेणा पा सके
02:04अचा ये बताए अनसुजी कि
02:0636 गड़ की धरती
02:08या कह है हम बलादा बजार की
02:10इस काओं के मेक्टी से जन में
02:12भेम चिंताराम
02:13उनके उपर आपने फिल्म बनाया
02:16और वो जो है इंटरनेशनल इस्तर पे
02:18अमेरिका में चयान हुआ है
02:19निव यॉर्क में वो प्रसारित हो रहा है किस तरीके से
02:22वो प्रसारित हो रही है
02:23तो इसके दरसल कहानी ऐसा है 6 जनवरी को
02:26यह फिल्म रिलीस हुई थी
02:27और उसके बाद यह फिबूरी
02:302025 में रैपूर आर्ट फिल्म
02:32लिटरेचर फेस्टिवल में लगी थी
02:34उसके बाद फिर आगे हमने
02:36फिल्म फेस्टिवल का दौर जो है जारी रखा
02:38और अलग-अलग फिल्म में
02:40सब्मिट किया तो उसमें
02:4221st June
02:44उसमें हमने
02:46सब्मिट किया था Egyptian American
02:48International Film Festival
02:50तो उसका रिजल्ट हमें मिला
02:5125th of October we got the mail
02:54that our film got selected there
02:55बट सम्हाव क्योंकि 25
02:58October को पता चल रहा है और 31st
03:00October से आपका वो कारेक्राम चालू था
03:0231st October से 4 November
03:04तक तो उसमें जाना
03:06तो असंभा हो गया क्योंकि 4 दिन में आपका
03:08सभी चीज तो होके नहीं रह सकता है
03:10उधर स्क्रीन हुआ
03:11तो उन्होंने हमें mail करके बताया कि आपकी फिल्म वहाँ पर
03:14चैनित हो चुकी है
03:15कुल 154 देशों से
03:182974 लोग
03:20फिल्म सब्मिट किया थे उसमें
03:22पांच चरण हुआ और उसमें
03:24फाइनल चरण में हमारी फिल्म जो है
03:26सेलेक्ट हुई थी
03:27इस तरीके से वहाँ पर इसको पसंद किया जा रहा है
03:30क्योंकि अमेरिका जहाँ पर
03:32इंग्लिस कंटेंट्स जाद तर देखे जाता है
03:35जबकि आपकी बनाई फिल्म जो है
03:36हिंदी कंटेंड में थी
03:37करेक्ट है
03:38तो कहनी ऐसी है
03:40स्रीमान वहाँ पर
03:41जो फिल्म से इंटरनेशनल भाषाओं में आई थी
03:44अलग-अलग स्थान पर
03:45तो जैसे आपने बताया कि हमारे हिंदी थी
03:47तो उस अनुसार से वो लोग देख रहे हैं
03:50तो उनका थीम था
03:51सिनेमा फॉर हुमिनिटी
03:52मानाउता के लिए सिनेमा
03:53तो वो ये चाहते थे
03:55कि ऐसी फिल्म यहाँ पर आए
03:57जिसमें हम मानाउता वाली बात को दिखा सकें
04:00समात सिव वाली बातों को प्रदरशीत कर सकें
04:03तो उनको इस फिल्म में वो बात दिखी
04:06इसलिए वो फिल्म सलेक्ट हुई
04:07मुझे ऐसा लगता है
04:08अब फिर आप जो बोलें कि वहाँ पर प्रतिक्रिया क्या थी करके
04:12तो सबसे पहले जहां तक मुझे सुनाई में आया है
04:15उस अनुसार से उनका ये कहना था कि
04:18नेटिव लेंग्विज में जो दिखाया जा रहा है
04:20उसको उन्होंने बहुत पसंद किया
04:22दूसरा चीज चतिसगर की जो संस्कृती है
04:25उसको वहाँ पर जो दिखा रहे हैं
04:26तो वो भी उन्हें बहुत अच्छा लगा
04:28और तीसरा चीज ये थोड़ा
04:30कल्चरल हेरिटेज के साथ-साथ
04:32एक बायोग्राफिकल फिल्म अभी है
04:34तो वो चीज भी उनको बहुत बढ़िया लगी
04:37कि एक स्ट्रॉउग मैन थे
04:38साथ में स्ट्रॉग मैन के साथ-साथ
04:40वो समाज से वगभा भी कारे करते थे
04:42पर उपकार भी करते थे
04:44तो ये बाते उनको प्रभावीत करी
04:46कितने समय का ये संघर्स रहा है
04:48बनाने में, रिसर्च करने में
04:50क्योंकि उनकी जो जन्म थी
04:52काफी परसो पहले थे
04:54जी, उनका जन्म लगभाव 1880 के आसपास हुआ था
04:57तो आप सही कह रहा है श्रीमान
04:58तो मैं लगभाव 2013 से
05:01उसके बाद 9 वर्स इधर गिन लीजिए
05:03ओन एन आफ रिसर्च चला है
05:05उसके बाद लगभग 2021 के आसपास से
05:082024 तक इसका प्रिप्रोडॉक्षन
05:10जो शूटिंग वाला प्रिप्रोडॉक्षन था
05:12वो वाला कार्या हुआ
05:13लगभग 2024 के अंत तक में
05:15इसका एडिटिंग का कार्य संपन्न हुआ
05:17तो अगर कम से कम में भी गिनेंगे
05:19तो तीन वर्स ये लगा है
05:20और नौ वर्स आपका रिसर्ज का लगा है
05:22भीम चिंतरा
05:23उनकी फिल्म पे
05:26उनकी जीवन गाथा पर
05:27कैसे ख्याल आया और क्यों ख्याल आया
05:30जी तो मेरा वही मानना है
05:32महुत है कि अगर कोई व्यक्ति
05:34कुछ डिजर्व करता है
05:36अगर उन्होंने कुछ अपना योगदान दिया है
05:38तो मेरा ये मानना है
05:39कि if a person deserves something
05:41he or she should get that
05:43माल गुजार बहुत हुए है
05:45बहुत अमीर से अमीर लोग हुए है इस धर्ती पे
05:47लेकिन ऐसे बहुत बिले लोग ही मिलें आपको
05:50जो इतने सारे
05:52fields में थे और सब
05:54fields में लगभग लगभग number one थे
05:56चाहे शक्ती हो गया, समाथसिवा हो गया
05:58परोपकार हो गया, इस प्रकार के जो
06:00और काम हो गया, समाथसिवा
06:02समबंधित, तो ये चीजे
06:04बहुत प्रभावित करी मुझे और मुझे ये लगता है
06:06to say that if these things are in the day of the day of the day, they will be predestined.
06:12So they are, they deserve and they can be predestined.
06:16So this is why I made a film.
06:18Who was the Bheem Chintaram?
06:20Yes, this is a very difficult question. I will try to tell you about it.
06:27Bheem Chintaram ji, if you were to say,
06:31which he said, it was a great place.
06:36If he was a great place in the coming days,
06:39he was an amazing person who was like a woman who was an entrepreneur,
06:44an entrepreneur who was a chef and had known all.
06:48They were so much longer than 25 km of the day,
06:51they were nowhere, they needed to survive.
06:54Therefore, their people were like,
06:57ुपुखे पेट नहीं सोते थे
07:25तो ये थी उनकी मानता की बात
07:28और स्रीचिंताराम जी का जन्मजुः था
07:31की 1880 के लगभग हुआ था
07:33और तुर्टुरिया मंदिर का जिर्नोधार
07:35उन्होंने कराया था
07:36जो प्रसिद्ध परेटन का भी एक और संस्कृतिक
07:38धरोहर भी आ है हमारे शत्तिजगर का
07:41और बहुत सारा उन्होंने काम किया है
07:43तो वहाँ पर एक बाबजी थे
07:45उनकी प्रतिमा वहाँ पर लगी हुई है
07:47उनको भी अमरकंटक से वही लेकर आया हो गये थे
07:50उनकी खुराक ऐसी थी कि
07:53एक ही समय में
07:5435-40 रोटियां खा लेते थे
07:56लगभग उस समय की रोटि थी
07:59वो इतनी मोटी रहा करती थी
08:01और ये 35-40 और ये केवल
08:03अभी ये शुरुवात बस है
08:05लगभग आदे से एक किलो
08:07डाल पी जाते थे
08:08अगर रोटि नहीं है तो वो अंगा का रोटि
08:11जो होती है महोड है जिसमें पत्ते करके
08:13हान जी आप समझ गए जी
08:14तो पत्ते लगाए वाली रोटि
08:16या फिर दो किलो चामल पका हुआ
08:18ये वो खाते थे
08:19आधा किलो गुड खाते थे भोजन के
08:22लास में उस बीश में वो
08:23एक लिटर के आसपास दूद पी जाते थे
08:26एक पॉग ही हर दिन
08:28खाते थे हर मील में
08:30ऐसा नहीं है कि एक बार खा दी और हो गया
08:32अगर उस सायंकाल में भी वोजन कर रहे है
08:34तो उसमें भी एक पॉग ही खाएंगे
08:36खाएंगे तो ये उनका डाइट था
08:39एक बार तो ऐसा हुआ था कि
08:40एक पहलवान आया थे बोले कि कई से दाओ
08:42मैं सुने हो तो बारें भी कट
08:44मैं तो लट चुनोती देना चाहा था
08:45चल तो बईट खाना खाबो
08:47फिर थालियां लाई गई वापर परोसा गया
08:50तो
08:51स्री चिंता राम जी की थाली में
08:54असी रोटियां रख दी गई
08:55और उसको देखते ही देखते खा गया
08:58अब पहलवान का हलत बें यहां काय ददा कहा गलत गलत जगत चुनोती दे परें करके
09:03वह अपना रोटी खाना शुरू भी नहीं किया क्योंकि अपमान का भय था और वहीं से उटके भाग गया
09:08तो यह कहानी थी एक उनका यासा भी कहानी है कि
09:11एक वेक्ति उनसे लड़ने के लिए आया था अब देखिए जो वेक्ति इतना ताकतवर है उसके बाद भी वो कितनी मधूरता से बात कर रहा है काय चीजबर है किसे बताये कि वह लड़े पर आया कुस्तिक चुनोती दूहूं पहलवानी करूं
09:29तो लेत यह काम कर में ओकर यहां काम कर था यह जिन डारा है यह दरे रही तब तक दावल बुलाका हुआ था अब डारा जैसे करके नीचे किये उसको पखड़ाए जैसे ही चिंता राम छोड़े आदमीटंग आ गया यह तहीं करके तो समझ गया भाईया तहीं होबेगा पा
09:59उनके में यह उनके ही मुद्गर है मुद्गर मतलब महोता है पूराने भारत में प्राचिन जब अखाड़ा वाला कारे करते थे लोग तो उस समय यह जो है इसको प्रयाज करते थे प्रैक्टिस के लिए तो इससे आपका रिस्प्रेंथ बनता है एक्सरसाइज हां जी यही
10:29उनका तो सौबार ऐसा ही समान नहीं था स्रीमान दूर से देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा कि लकड़ी है क्या करके लेकिन यह सिंगल वन पीस स्टोन है जिसको कारो करके यह कॉलम बनाये गया है अगर आप उपर में भी देखेंगे तो इसमें भी नकाशी हुई है और
10:59कर्म प्रधान पुरुष थे अधिकार के प्रति परोपकार के प्रति वो सजक रहते थे और
11:07दो चीज हमको जो सिखा गये हैं कर्तब अधिकार आपको भूलना नहीं है अब परोपकार करके भूल जाना यह उनकी हमारी सिख्षा उनसे मिला है एक प्रेणा फ्रोप फिल्म और पुस्तक का जो निर्मान किया है वो हमारे लिए हर सरु खुसी की बात है
11:29बहुत गर्व होता है जानके कि हमारे दादा जी इस तरह के से सक्ति फाली थे पहलवान थे और आज अंसु जी के माध्यम से अंत्राश्टी इस तर में उनका नाम हुआ है तो गर्व होता है हमेशा कि उनके परिवार में हैं इनके वन्स हैं हम कर दें
11:44The first thing they need to do is make a small project and take it to the end of the project.
11:52But if you like your work, if you like the film industry, you will definitely get it finished.
11:59This house is called Chintaram Ji, where we are from America.
12:18This house is called Chintaram Ji.
12:33This house is called Chintaram Ji.
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