00:00जब अप छोटे गुनाहों को बरदाश्ट करते हैं, तो किया होता है, ये कभी बगावत से शुरू नहीं होता, बस एक समझोता होता है, एक खामोश बहाना, ये तो बस एक आदत है, किसी को नुकसान नहीं हो रहा, इतना संजीदा भी नहीं, लिन्ना, एजित मैं बवैव, �
00:30चोटे चोटे लुमर्यों को पकड़ लो जो ताकस्तान को बरबाद कर देती है, फसल को हमेशा तुफान नहीं तबाह करते, कभी कभी वो छूटी छूटी चीज़ें तबाही का बाइस बुनती हैं, जिन्हें हम खुद ही रहने देते हैं, वो बेधियनी में कही गई बात,
01:00अगर आप हर वो दर्वाजा बंद करने के लिए तैयार है, जिसे दुश्मन अंदर आया, तो आमीन लिखिए।
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