हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 86 किलोमीटर दूरसेब के बागानों से घिरी थानेधार पंचायत. जिसने ग्रामीण भारत की सदियों पुरानी तस्वीर बदलकर रख दी.यहां की सड़कों पर प्रतिदिन सुबह-सुबह झाड़ू लगाई जाती है. घर-घर जाकर कचरा कलेक्ट किया जाता है. इस पंचायत के पास अपना जिम है.जिसमें सुबह-शाम युवा पसीना बहाते नजर आते हैं.इतना ही नहीं यहां चार कमरों का एक गेस्ट हाउस .जहां आने वाले पर्यटक रुकते हैं.ये पंचायत बदलते भारत के बदलते गांव की तस्वीर पेश कर रही हैं.इस पंचायत की अपनी वेबसाइट है, जन्म, मृत्यु, चरित्र और निवास प्रमाण पत्र ऑनलाइन प्राप्त किए जा सकते हैं. इसकी हर सड़क-हर मोड़ सोलर ऊर्जा से चलने वाली लाइट से रोशन रहती है. इतना ही नहीं सुरक्षा के विशेष इंतजाम हैं.28 सीसीटीवी कैमरों से हर आने जाने वाले पर पैनी नजर रखी जाती है.इस पंचायत को 11 दिसंबर 2024 को राष्ट्रपति के हाथों हाथों ‘सामाजिक रूप से सुरक्षित गांव’ का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला चुका है.दीन दयाल उपाध्याय पंचायत सशक्तीकरण सम्मान से भी सम्मानित हो चुकी है.
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