Skip to playerSkip to main content
How Makhana Is Made: इस वीडियो में हम आपको बिहार के सहरसा जिले में मखाना बनने की पूरी कहानी दिखाएंगे। पानी के अंदर से बीजों की हार्वेस्टिंग से लेकर, उन्हें सुखाने, भूनने और कुरकुरा मखाना बनाने तक का पूरा सफर। जानें कैसे बनता है आपका पसंदीदा हेल्दी स्नैक मखाना, और सहरसा के बरियाही जैसे इलाकों में किसान कितनी मेहनत से इसका उत्पादन करते हैं। लेकिन क्या इस मेहनत का सही दाम मिल पाता है? देखें इस ग्राउंड रिपोर्ट में मखाना उद्योग से जुड़े किसानों की चुनौतियां और उनकी अनसुनी कहानी!"

#Makhana #MakhanaMaking #Bihar #BiharMakhanaMaking

~PR.250~HT.408~

Category

🗞
News
Transcript
00:00अपने सधेवे हाथों से इस तरह के कड़ाही में भुन कर मखाना बनाने की मशक्कत कर रहा है
00:09उन्हें शायद नहीं मालूम होगा कि ये मखाना कितने महगे बिखते हैं
00:16सुनने में जुतना आसान लगता है वो है नहीं
00:30ये जो हरा भरा हिस्सा आप सहरसा के इस गाउं में देख पा रहे हैं
00:45वो एक छोटी सी नदी है उसे पोकर कहते हैं जहां से मखाना की वो फसल निकाल कर लाई जाती है
00:51और वो रास्ता जिससे ये परिवार लाता है उस पोकर से उस मखाने को
00:57वो इन कीचोडों से होकर गुजरता हुआ
01:00इस क मरे तक पहुँचता है जिसकी स्थिती दिखाने के लिए
01:05हम जब दिल्ली से चलकर यहां पहुँचे
01:07तो हम खुद भी स्तब्ध रहे गये कि मखाना
01:10जिसे कहा जा रहा है कि बिहार का हीरा है बिहार का सोना है
01:15और तमाम इस चुनावी माहौल में, तमाम कैमरे, पीपली लाइव की तरह मखाना का बखान करने के लिए तयार हो गए हैं, सहरसा के इस गाउं में आज हम मौजूद हैं, जहां पर राजगुमार जी और उनका ये परिवार जो अभी मखाना बनाने की मशक्कत कर रहा है, उन्
01:45वो मखाने का फल जो की उस पोखर से, उस नदी से निकल कर आता है, ये भी उसमें नमी है, ये गीला है और इसे सुखाने के बाद अपने सधेवे हाथों से इस तरह के कड़ाही में भुन कर तब मखाने की प्रक्रिया बनती है, सुनने में ये इतना आसान लगता है, वो है �
02:15उसके बाद उसकी कुटाई और उसमें से निकलने वाले फिनिश प्रोड़क्ट जो यहां से देश-विदेश तक जाते हैं, उसकी क्या कहानी होती है, उसके पीछे की मेहनत होती है, वाज हम राजकुमार जी से समझने की कोशिश करेंगे, राजकुमार जी,
02:29नियुकाद थे। पोड़काओ के पूरा मखाना कैसे बनाते हैं सबस्पहले तो गोहता है यह तो बहुत कथी देश बनता है शिर पहले जमीन पर यह जो लगाया जाता है इस पानी के अंदर उसके जो है उसके बाद जो गुरी बनता है मखाना कला-कला उसके बाद जो निक
02:59पूरा यहां से खेट से लाने में यहां तक में कितना समय लगता है।
03:29और उसको बनाने तक में। बहर दिन लग जाता है।
03:59तो करते ही हैं साथी साथ।
04:01देखें वो मखाना इस पट्टी पर आकर जो कुटाई होती है।
04:07उसको सचिन आप कैसे में दिखा सकते हैं कैसे वो मखाने को फिर पूटते हैं।
04:13आप इसी काम में लगे रहना चाहते हैं या आपको अपना भविश कहीं और भी नज़र आता है।
04:27काम में रहना है जब भी रहना है तो इसी काम से करेंगे और इसी काम से आग भी बरेंगे।
04:32आपको मखाने की खासियत मालूम है।
04:34यहां कैसे बेजते हैं आप लोग मखाने यहीं बेज देते हैं सारा या किसी और को भी देते हैं।
04:39को भी देते हैं यहां भी बिगता है और पार्टी योग आता है तो लग से बेचते मैं है अब
04:46अभी � 16 touching मिलता है 1200 रूपी मिलता है मेंफिते है उत्ने भेस्टें
05:04जितना मिलता है उतने बेचेंगा अजार बारोस रुपे किलो और आगे जाकर इसकी कीमत और बढ़ भी जाती है
05:10समटली। आपको लगता है कि अवावर बनारी ये के आपक The
05:18आपने तरह से लगाते हैं किसे को बनाना की अपने हातु सर्कार आपकता जाणर थे Elika
05:30यह ईही काम करते हैं ने च्छे मेहने आप उदर एजर कमाई खाते हैं और क्या करें।
06:00मिलते हैं तो अपना नहीं है दूपर आया है उसे बाटिया करते हैं अच्छा उसे में से कुछ शौन को भी देते हैं और अपना भी लाते हैं
06:24पर दे जो डिया मुख्यMIंत्री नहीं अब करकर आंगे जो आई गा बहुंद तो और ना करे गाटकर या और यहीं
06:46ब ideale andie a call को एसे टांट्यत्य था कर टें इस एक रたい
06:53प्रक्रिया को अगर आप देखें यहां पर कम से कम आट दस सदस्य हैं बक्रियां भी हैं चोटा सा एक घर है बारिश ये चछत कितना उसको सम्हाल पाती है उसको भी एक देखना होता है
07:18वन इंडिया की टीम जब यहां पहुँची और उन्हें मखाना को लेकर जो एक उसके चारों तरफ जो एक उसकी कीमत और मेहनत को लेकर जो एक चरचा चल रही थी उसका एक पहलो यह भी है
07:31यहां जिस तरह से ये बच्चे चोटे-चोटे बच्चे कर आप यहां देखें
07:36इन्हें भी ये मालूम जरूर है कि ये मखाने का काम करते हैं
07:41लेकिन ये साल भर चलेगा या नहीं इसकी कोई गैरंटी नहीं रहती है
07:45साल के छे महिने ये मखाने की खेती तो करते हैं जब बारिश होती है जब टालाव में पानी होता है लेकिन उसके बाद फिर से दिल्ली मुंबई का रुख करते हैं
07:54तो ये एक दूसरे तरख का पलायन है ये पूरे हमेशा के लिए पलायन नहीं है उन छे महिनों के लिए है जब यहां काम नहीं रहता है आने वाली सरकार चाहे जो भी हो बिहार में अगर मखाने को सही में हीरा बनाना है तो उसे बनाने वालों के हाथों में कम से कम वो तरखी
08:24कैमरा परसन केशव कर्ण के साथ मैं पंकश कुमार मिश्र वन इंडिया समाचार के लिए सहर सा बिहाद से
Be the first to comment
Add your comment

Recommended