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  • 2 days ago
Dharam-Veer, is a 1977 Hindi-language period action-drama film, directed by Manmohan Desai, produced by Subhas Desai under the Mehboob Studios and R.K. Studios banner, starring Dharmendra, Zeenat Aman, Jeetendra, Neetu Singh and Pran.
Its music was composed by Laxmikant–Pyarelal. Dharmendra's younger son Bobby Deol appears briefly playing the childhood version of his father's character.
Dharam-Veer takes place in a mythical kingdom and tells the tale of twin brothers Dharam and Veer played by Dharamendra and Jeetendra respectively, who get separated at birth but still become best friends in childhood, not knowing that they were real brothers, and later turn against each other due to various conspiracies of the villains and in the end reunite. The film became the second highest-grossing film of 1977.
Transcript
00:00ये कहानी 977 में आई मशहूर हिंदी फिल्म धरम वीर की है
00:04इस फिल्म को मशहूर डायरेक्टर मनमोहन देसाई ने बनाया था
00:08और इसे सुभाश देसाई ने प्रोड्यूस किया था
00:11फिल्म में धरमेंदर, जीतेंदर, जीनत, अमान भी, नीतू सिना और प्रान जैसे बड़े कलाकार थे
00:17फिल्म का म्यूजिक लक्ष्मी कांत प्यारेलाल ने दिया था
00:21ये फिल्म अपने समय की बहुत बड़ी हिट थी
00:23और साल मैनिनीस उस डिसेवरिट की दूसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी
00:29कहानी एक कालपनिक राज्य में खटती है
00:31जहां दो जुड़वा भाई धरम और वीर पैदा होते है
00:35दोनों को जन्म के समय ही एक साजिश के चलते अलग कर दिया जाता है
00:39उन्हें ये नहीं पता कि वे असल में सगे भाई है
00:43किसमत का खेल देखिए
00:45अलग-अलग माहौल में पलने के बावजूद वे बच्पन में ही सबसे अच्छे दोस्त बन जाते है
00:51लेकिन बाद में चालाक दुश्मनों की साजिशों के कारण दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हो जाते है
00:56कहानी में रोमांच, प्यार, साजिश और पारिवारिक भावनाओं का बहुत सुन्दर मेल है
01:02कहानी की शुरुआत होती है महरानी मीनाकशी से
01:05जो एक दिन जंगल में शिकार करने जाती है
01:08वहां कुछ हमलावर उन पर हमला कर देते हैं
01:12लेकिन उन्हें एक बहादूर शिकारी ज्वाला सिंह बचा लेता है
01:16ज्वाला सिंह जंगल में अकेले रहता है
01:18और उसका सबसे प्यारा साथी उसका बाज शेरु है
01:22मीनाक्शी उसकी बहादूरी से बहुत प्रभावित होती है
01:26और उसे एनाम देना चाहती है
01:28लेकिन जवाला कोई धन नहीं जाहता
01:31वह तो बस मीनाक्शी का हाथ विवाह के लिए चाहता है
01:34क्योंकि पहले उसके इस प्रस्ताव को मीनाक्षी के पिता ने छुकरा दिया था
01:38रात में जब दोनों सो रहे होते हैं तब ही एक बाग हमला करता है
01:42जवाला सिंगा उसे मानने जाता है लेकिन संगर्ष के दौरान वह बाग के साथ खाई में गिर जाता है
01:48उदर एक गाउंवाला मर जाता है और मीनाक्षी उसे देखकर समझती है कि जवाला सिंह मर गया
01:52वहाँ बहुत दुखी हो जाती है और सदमे में चली जाती है
01:55बाद में उसका विवाएक दूसरे राजासे करा दिया जाता है
01:58लेकिन उसे नहीं पता कि वह जवाला सिन्ह के बच्चे की माँ बनने वाली है
02:03मीनाक्षी का भाई राजासत पाल सी है एक भविश्यवानी सुनता है कि उसकी मौत उसके सबसे बड़े भांजे के हाथ होगी जिसका नाम धरम होगा
02:11ये सुनकर वह बहुत डर जाता है वह गरीबी का नाटक करता है और अपनी बहन के साथ रहने आ जाता है ताकि उस वानी से बच सके
02:19जब राणी को बच्चा होता है सत्पाल उस नवजात को पकड़ कर खिटकी से नीचे फैंक देता है लेकिन किस्मत को कुछ और ही मन्जूर था बच्चा मरता नहीं बलकि बाजशेरू उसे पकड़ लेता है और उड़कर अपने मालिक जवाला सिंग के पास ले जाता है
02:35अब जवाला सिंग खुद घायल होता है और एक गरीब लोहार और उसकी पत्नी उसकी देखभाल कर रहे होते हैं उनके कोई बच्चे नहीं है इसलिए जब बाजशेरू का बच्चा लाता है तो वे बहुत खुश हो जाते हैं और उसे अपना बच्चा मान लेते हैं जवाल
03:05लेकिन उसकी पत्नी गलती से दोनों बच्चों को आपस में बदल देती है नतीजा ये होता है कि राजकुमार और उसका बेटा अदल बदल हो जाते हैं साल बीतते हैं बच्चे बड़े होते हैं एक बच्चा धरम बनता है जो लोहार का बेटा है और दूसरा वीर जो राज
03:35एक दिन दोनों की मुलाकात फिर सेजवाला सिंह से होती है
03:38जो अब तलवारबाजी का उस्ताद बन चुका है
03:41वा धरम को तलवारबाजी सिखाता है
03:43और धरम भी महान योध्धा बन जाता है
03:45इधर सत्पाल सिंह को पता चलता है
03:49कि वीर असल में असली राजकुमार है
03:51और वा डर जाता है कि अब उसकी चाले पकड़ी जाएंगी
03:54इसलिए वा एक नई साजश रचता है
03:56वा पहले धरम और वीर की दोस्ती तोड़ना चाहता है
03:59राज्जी में एक स्खक्त कानून है आँख के बदले आँख
04:02सपाल और उसका वेटारंजीत मिलकर एक सैनिक के एरत का पहिया तोड़ देते हैं
04:08ताकि धरम के पिता पर इलजाम लगे कि उसने घटिया काम किया
04:11सैनिक का हाथ जाता है और कानून के अनुसार
04:14सजा के नानी को धरम के पिता के हाथ काटने पड़ते हैं
04:18देखर धर्म का दिल तूट जाता है
04:19और वह सोचता है कि वीर के परिवार ने उसके साथ होखा किया
04:22वह हक समखाता है कि वह कब ही उन्हें माफ नहीं करेगा
04:26सपाल की साजशी ही खत्मन ही होती
04:28वह धर्म की माँ की हत्या कर देता है
04:30और सबूत तोर पर राज कुमार वीर का तीर भाँ छोड़ देता है
04:33ता कि इलजाम वीर पर लगे जब धर्म को वह तीर मिलता है
04:36तो वह सोचता है कि उसकी माँ को वीर ने मारा है
04:39वह बदला लेने की ठान लेता है
04:41और महल में जाकर रानी से कहता है कि अब वह उसकी माँ बने
04:45क्योंकि उसकी माँ को रानी के परिवार ने छीन लिया
04:48रानी राजे के नियमों के कारण मान जाती है
04:51ये देखकर वीर बहुत गुसा हो जाता है
04:53उसे लगता है कि धरम ने सारी हदें पार कर दी
04:56दोनों में जगरा होता है और वीर धरम को युद्ध के लिए चुनौती देता है
05:01सत्पाल और उसका बेटा खुश हो जाते हैं
05:05क्योंकि उन्हें पता है कि अगर धरम ने वीर को मार दिया
05:08तो धरम को राजकुमार की हत्या के लिए फांसी हो जाएगी
05:11जब दोनों भाई आपस में तलवार से लड़ रहे होते हैं
05:16तबी बूरा लोहार आता है और सब को सच्चाई बताता है
05:19कि धरम असल में राणी का खोया हुआ बेटा है
05:22वह वह कपड़ा दिखाता है जिसमें बच्चा लिपटा था जब बाज उसे लाया था
05:27राणी को सब याद आ जाता है और वह तुरंट लड़ाई रुकवा देती है
05:30धरम और वीर एक दूसरे को गले लगाते हैं और रो पड़ते हैं
05:36दोनों को सच्च का पता चल चुका होता है
05:38कि वे सगे भाई हैं
05:40अब वे मिलकर अपने असली दुश्मन सपाल सिंह से बदला लेने का फैसला करते हैं
05:45अंत में एक बड़ा युद्ध होता है
05:46धरम और वीर मिलकर अपने दुश्मनों को हराते हैं
05:49सपाल सिंह को धरम मार देता है और राज्य में शांती लौडाती है
05:54माँ और दोनों बेटे फिर एक हो जाते है
05:57धरमवीर की कहानी सिर्फ दो भाईयों की नहीं
06:01बलकि किस्मत साथ सचे प्यार और रिष्टों की घराई की कहानी है
06:05इसमें दिखाया गया है कि चाहे कितनी भी साजशें क्यों नहों
06:08सचा खून और सचे रिष्टे कभी तूट नहीं सकते
06:11ये फिल्म, एक्शन, रोमांस, म्यूजिक और इमोशन से भरपूर थी
06:16जिसने दर्शकों के दिलों को चूलिया
06:18फिल्म का हर किरदार यादगार था
06:21धर्मिंदर का बहदूर धरम, जीतेंदर का वीर, जीनत अमान की खूपसूरती, नीटू सिने की सादगी और पराण का असरदार अभिने
06:29संगीत ने फिल्म को और भी जादूई बना दिया था
06:32आज भी धरम वीर को हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है
06:36क्योंकि इसमें एक साथ सब कुछ था
06:39एक माँ की ममता, भायों का प्यार, बुराई पर अच्छाई की जीत
06:43और इंसानियत का असली संदेश
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