देवउठनी एकादशी रविवार को भी दूसरे दिन मनाई गई। देव जागरण के साथ ही विवाह और मांगलिक आयोजनों का शुभ समय आरंभ हो गया। चातुर्मास के बाद देवताओं के जागने पर मंदिरों में पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठानों का दौर चला। शहर के प्रमुख मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी और भक्ति का माहौल छा गया। सुबह से ही मंदिरों में श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई। तुलसी विवाह के आयोजन, भजन-कीर्तन और आरती के साथ देव जागरण का उत्सव मनाया गया। मंदिरों और घरों में पुष्प, दीपक और तोरण द्वारों से सुंदर सजावट की गई। देव उठने के बाद शहर के धार्मिक स्थलों पर दिनभर श्रद्धालु दर्शनार्थ पहुंचते रहे।
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