Skip to playerSkip to main content
  • 2 weeks ago
मध्यप्रदेश के शहडोल की धरती... जहां हर घर की बाड़ी में सिर्फ सब्जियां नहीं, एक सोच उगती है... पानी बचाने की सोच, जिसे यहां कहते हैं  गोंडरी व्यवस्था. गोंडरी यानी घर से लगी वो छोटी-सी जमीन.. जहां नहाने और बर्तन धोने के पानी से सब्जियों की सिंचाई होती है. हर बूंद यहां जाया नहीं जाती  बल्कि जीवन देती है. इस छोटी-सी बाड़ी में मिर्च, बैंगन, अदरक, पपीता हर मौसम की सब्जियां उगाई जाती हैं. यहां बर्तन धोने से बचा खाना मिट्टी में खाद बन जाता है और ये नेच्यूरल तरीका पूरे गांव की जीवनशैली को टिकाऊ बनाता है. इस व्यवस्था से न सिर्फ पानी बचता है,..बल्कि परिवार को रोज ताजी.. रसायन-मुक्त सब्जियां भी मिलती हैं.

Category

🗞
News
Transcript
00:00शेडोल की धर्ती जहां हर गर की बाड़ी में सिर्फ सबजिया नहीं एक सोच उगती है पानी बचाने की सोच जिसे यहां कहते हैं गोंडरी व्यवस्था
00:13गोंडरी यानि घर से लगी वो छोटी सी जमीन जहां नहाने और बर्तन धोने के पानी से सब्जियों के सिचाई होती है हर बून यहां जाया नहीं जाती बलकि जीवन देती है
00:26इस छोटी सी बाड़ी में मिर्च, बहेंगन, अद्रक, पपीता हर मौसम की सब्जियां उगाई जाती है यहां बर्तन धोने से बचाखाना मिट्टी में खाद बन जाता है और यह नेच्रल तरीका पूरे गाउं की जीवन शैली को टिकाउ बनाता है इतना ही नहीं यह सब्
00:56इस व्यवस्ता से ना सिर्फ पानी बचता है बलकि परिवाग, रोज, ताजी और रसायन मुक्त सब्जियां मिलती है
01:19जहां आज पुरी दुनिया पानी बचाने की बात कर रही है, वहीं शैडोल के यह आदिवासी सालों से पानी बचाते आ रहे है
01:28येरो रिपोर्ट की टीवी भारत
Be the first to comment
Add your comment

Recommended