गोवर्धन पूजा के दिन मध्यप्रदेश और राजस्थान में अनोखी परंपराएं निभाई जाती हैं. उज्जैन में गोवर्धन पूजा के दिन लोगों को उपर से गायों को दौड़ाया जाता है. ये आस्था या अंधविश्वास का का खेल केवल उज्जैन ही नहीं मालावा इलाके में आज के दिन होता है. यहां के लोग बताते हैं कि ये परंपरा सदियों से चली आ रही है. इससे गांव में खुशहाली-सुख-समृद्धि बनी रहती है. इस परंपरा को निभाने के लिए रात से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं. गोवर्धन पूजा के दिन सुबह-सुबह गांव के लोग एक स्थान पर एकत्रित होते हैं. ढोल बाजे के साथ इस पर्व को मनाया जाता है. जिन लोगों की मान्नत पूरी होती है. उनके उपर से गायों को गुजारा जाता है.वहीं शिवपुरी का भील समाज भी इस परंपरा को कई साल से निभाता चला आ रहा है. समाज के लोग पहले पूजा करते हैं. यहां भी जिन लोगों की मन्नत पूरी होती है, उनके उपर से गायों को दौड़ाया जाता है. इस परंपरा को देखने के लिए आसपास के घरों की छतों पर बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे इकट्ठा हो जाते हैं.कुछ ऐसी ही परंपरा गोवर्धन पूजा के दिन राजस्थान के डूंगरपुर में निभाई जाती है. यहां छापी गांव में एक साथ 200 से ज्यादा गायों की दौड़ होती है. सजी धजी गायें इस रेस में हिस्सा लेती हैं. गांव के लड़कें लाठी लेकर इन गायों को हांकते हैं. इस रेस को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. हरे रंग के तोरण से सजी गाय ने इस बार की रेस जीतीै. जिससे इस साल अच्छी बारिश और अच्छी फसल का अनुमान लगाया जा रहा है.
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