00:00बस्तर के आराध्य देवी माधन तेश्वरी के मंदिर में दीपावली पर्व का विशेश धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है
00:15हर साल दीपावली से एक दिन पहले परंपरागत रूप से मा को जंगल से लाई गई जड़ी बूटियों से स्नान कराया जाता है
00:24इन और शदिये तत्वों का पानी शद्धालों को प्रशाद के रूप में बाटा जाता है
00:29यहां जो माईजी हैं उनके लिए विशेश तवर पर यहां जो बारा लंकरवार होते हैं
00:42तो उनके द्वारा और पंडालों के सहयोग के द्वारा और यहां के तमाम बारा लंकरवारों के सहयोग के दारा माईजी के लिए
00:55जो जड़ी बूटियां है जो बस्तर की खासियत है कि बस्तर पुरा जड़ी बूटियों से मुतलब एक सजा हुआ है यहां के दंद कारणे है तो उन दंद कारणे से जो बारा लंकरवारों में से पतियार होते हैं
01:17वो माईजी के लिए विशेश तरफ़ जड़ी बूटियों खोच कर लाते हैं उन जड़ी बूटियों को यहां पर जो राउत समाज होता है उनके दोरा
01:27पानी में मिलोकर उसका एक गोल बनाया जाता है जिस गोल से और कुछ जड़ी बूटियों होती है जिनके जिन से जो दीपावली का दिन होता है
01:43उस दिन माई जी की सिंगार कर उसी जड़ी का जल होता है उस जल से माता जी का इस नाम कर सिंगार करके फिर माई जी की पुजार्चना की जाती है
01:57That's why I was going to go on here and of course I got rid of the people in the village of the village who were living in the village.
02:14It was a first time. It was a period of time left and first came here.
02:23It was a month ago.
02:27As soon as the doctor was tested, the doctor was still there.
02:32At the same time the hospital began to have the remarriage been placed in an hour.
02:41। यह परंपरा न केवल देवी मा के प्रती श्रद्धा का प्रतीक है, बलकि बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को भी जीवन्त रखे हुए है।
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