भारत दौरे पर आए अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने कहा कि अब अफगानिस्तान में करीब 45 साल बाद अमन और स्थिरता देखने को मिल रही है। उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों को ऐतिहासिक और मजबूत बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापारिक सहयोग एक अरब डॉलर से अधिक के स्तर पर पहुंच गया है। मुत्ताकी ने कहा कि अफगानिस्तान अब विकास और क्षेत्रीय साझेदारी के नए दौर में प्रवेश कर रहा है, और भारत इस यात्रा में उसका एक अहम साझेदार है। मुत्ताकी ने यह भी उल्लेख किया कि भारत ने शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में अफगानिस्तान की मदद कर सद्भावना और दोस्ती की मिसाल कायम की है। उन्होंने भविष्य में दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और सांस्कृतिक सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा भी जताई।
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00:00अवानस्तान इश्या का दिल है जब वहां पे कुशाई हों खुशी हों तो सारे इश्या में खुशे है जब वहां पे पसाद हो तो सारे इश्या में पसाद है जब वहां पे अभी पसाद नहीं है लड़ाई नहीं जंग नहीं है तो ये जो हमारा जो मौकियत है उसे पाइद
00:30आद देना चाहिए हम एक मुमलकत के साथ एक मुमलकत के खातर दुसरे मुलक के साथ प्श्मारी नहीं करता है चार साल साथियों को पता है कि जितना लोग आया है जितने लोग उनको विज़दिया है आया है गिया है अब तर कोई एक केस भी ऐसे नहीं आया है कि हकुमत हिंद
01:00जिदगी से काम बढ़ सकता है तो इसमें खुलाओ दिल होना चाहिए बड़ा दिल होना चाहिए और इसके लिए रास्टे कोलना चाहिए अफगानिस्तान आपको पता है कि जैसे आला में इकबाल कहते है कि अफगानिस्तान इश्या का दिल है जब वहां पे खुशाई हों ख�
01:30अफगानिस्तान एक पाकर आब गिलस्त मिलत अफगान दर आन पाकर दिलस्त अजगुशादी उ गुशादी आसिया जब वहां पे अभी पसाद नहीं यह लड़ाई नहीं जग नहीं तो ये जो हमारा जुशादी जो मौक्यत है उसे पाइदा उठाना चाहिए
01:57सिंट्रल इश्या और जुन्वी इश्या के दर्माबें बेहतरीन निज्दिक रास्ता है
02:02और हाँ हम इसके लिए बहुत बरफूर अमादगी और तयारिया हैं हमारे तरफ से
02:10तो इसी पाइदा उटाना चाहिए
02:12तो मेरे ख्याल में हमारे और परुड़ूसी मौमालिक भी इसमे कमिटी न करें
02:18सब एक दूसरे को आद देना चाहिए
02:22आवाम के लिए खिदमत होना चाहिए
02:25गरीब लोगों के लिए इक्तिसाद मज़़ूरी कार कारवार होना चाहिए
02:31ये जिमवारे हैं हम के और सारे जिमदार लोगों का
02:36और हमारा सियासत जो है अमारत इस्ताम ये अफगानस्तान का
02:42हम उस सियासत के लिए जो उसूल रखा हैं एक असर ये है कि हमारा सियासत
02:48मतवाजिन सियासत है
02:50मतवाजिन स्यासत का मतलब ये है
02:53कि पचास साल से
02:55अफगानिस्तान
02:57बड़े बड़े कुवतों
02:58और अलाके के ममालिक के दर्मियान
03:01मकाबले का जो मैदान ता हम
03:03इससे बाद ये मैदान नहीं चाहता है
03:05हम वहाँ पे मस्बत रकाबत का
03:08वहाँ पे इक्तिसादी रकाबत का
03:10वहाँ पे मजाकिरात और मुपाहिमा और
03:13ट्रांजिट और इक्तिसाद और
03:16जिस चीज़ उनके लिए रकाबत होना चाहिए
03:19ताकि और के लिए भी पाइदा हो जाए
03:21हमारे लिए भी पाइदा हो जाए
03:22मतवाजिन स्यास्त का मतलब ये है
03:26कि हम एक मुमलकत के साथ
03:28एक मुमलकत के खातर दुसरे मुलक के साथ
03:31तुश्मनी नहीं करता है
03:33हम एक बड़ा कुवत के खातर दुसरे बड़ा कुवत के साथ
03:39तुश्मनी नहीं करना चाहिए
03:40नहीं करना है
03:42नहीं करता है
03:43उन्हीं चाहता हूँ
03:44क्योंकि अफगानस्तान
03:47अभी
03:4840 साल लड़ाईों में
03:51बहुत ज्याद तकालिप उसको
03:53पहुंचा लोग के लिए हम
03:55हम डाई मिलों तक
03:57हमारा शहीद हुआ है
03:5910 मिलों से
04:01ज्याद हमारे लोग महाजर हुआ है
04:03बहुत सारे
04:05लोग जो है वो उसके किसका आतने
04:07किसका पाउने
04:09किसका आंकने
04:11ये इतना मुश्किलाद जो हमने बरदाश
04:13किया जालिमों
04:15के वज़ज़ से अभी
04:17हम ये चाहता है कि हम
04:19यसी लोगों के लिए
04:20तालिम के मैदान में, इक्तिसाद के
04:23मैदान में, रवाबित के मैदान में, अबनामाल के मैदान में काम करें
04:27और अलहम्दलिल्ह इस चार साल हम इसमें बहुत अच्छा अच्छा का मिया भी हसें थिया
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