00:00ओम शांती, मुरली का सार, परमात्म संग में ज्ञान का गुलाल, गुण और शक्तियों का रंग लगाना ही सच्ची होली मनाना है
00:10वर्दान, लव और लवलीन स्थिती के अनुभाव द्वारा, सब कुछ भूलने वाले सदा देही अभिमानी भव
00:20कर्म में, वाणी में, संपर्क में वसंबंद में, लव और स्मृती वस्थिती में लवलीन रहो तो सब कुछ भूलकर देही अभिमानी बन जाएंगे
00:31लव ही बात के समीब संबंद में लाता है, सर्वस्वत्यागी बनाता है
00:36इस लव की विशेष्टा से या लवलीन स्थिती में रहने से ही सर्व आत्माओं के भाग्य या लग को जगा सकते हो
00:44ये लव ही लग के लौक की चाबी है
00:46ये मास्टर की है
00:48इससे कैसी भी दुरभाग्यशाली आत्मा को भाग्यशाली बना सकते हो
00:53स्लोगन
00:54स्वयम के परिवर्तन की घड़ी निश्चित करो तो विश्व परिवर्तन स्वतह हो जायेगा
01:00अव्यक्त इसारे
01:02स्वयम और सर्व के प्रती मनसा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो
01:08मनसा शक्ती का दरपण है बोल और कर्म
01:11चाहे अज्यानी आत्माएं हों, चाहे ज्यानी आत्माएं हों, दोनों के संबंध संपर्क में बोल और कर्म शुब भावना शुब कामना वाले हों, जिसकी मनसा शक्तिशाली वा शुब होगी, उसकी वाचा और कर्मना स्वतह ही शक्तिशाली शुद्ध होगी, शुब भावन
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