00:00ओम शान्ती, शिव बाबा कहते हैं, मीठे बच्चे, श्रेष्ट ति स्रेष्ट बनने के लिए स्वयम भगवान तुम्हें श्रेष्ट मत दे रहे हैं, जिससे तुम नर्कवासी से स्वर्गवासी बन जाते हो, प्रश्न, देवता बनने वाले बच्चों को विशेश किन बात
00:30कलते हैं, तो पत्थर के पत्थर ठेरे, गुण बहुत अच्छे धारन करने हैं, यहां ही सर्व गुण संपन बनना है, सजा खाएंगे तो फिर पद अच्छा नहीं मिलेगा।
01:00दूसरा, बाप से आशिरवाद मांगने की बजाए उनकी स्रेष्ट मत पर चलना है, बलिहारी शिब बाबा की है, इसलिए उन्हें ही याद करना है, यहां अभिमान ना आये कि हमने बाबा को इतना दिया।
01:30पर्सेंटेज है, पर्सेंटेज माना डिफेक्ट, ऐसे डिफेक्ट वाला कभी पर्फेक्ट नहीं बन सकता, पर्फेक्ट बनने के लिए बाब के लव में सदा लवलीन रहो, सदा लव में लवलीन रहने से सहजी औरों को भी आप समान वा बाब समान बना सकेंगे, बाब द
02:00अव्यक्त इशारे, स्वैम और सर्व के प्रती मंसा द्वारा योग की शक्तियों का प्रयोग करो.
02:07मंसा सेवा के लिए मन बुद्धी व्यर्थ सोचने से मुक्त होना चाहिए, मन मना भव के मंत्र का सहद स्वरूप होना चाहिए.
02:15जिन स्रेष्ट आत्माओं की मंसा, अर्थात, संकल्प, स्रेष्ट और शक्तिशाली हैं, शुब भावना, शुब कामना वाले हैं, वह मंसा द्वारा शक्तियों का दान दे सकते हैं.
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