दशहरा के अवसर पर गुरुवार शाम जैसलमेर का शहीद पूनमसिंह स्टेडियम आस्था, संस्कृति और आनंद का संगम स्थल बन गया। ठीक 7 बजे पुतलों का दहन शुरू हुआ और पहले दशानन रावण, फिर उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतलों का दहन किया गया। पुतलों का दहन किए जाने के दौरान आकाश में रंग-बिरंगी आतिशबाजी के नजारे उठते-गिरते रहे। 5 मिनट में तीनों पुतले जल कर धराशायी हो गए और उसके बाद भी धमाकों की गूंज के साथ आकाशीय आतिशबाजी होती रही। यह नजारा देखने के लिए स्टेडियम में हजारों की तादाद में शहरवासी और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आए प्रत्येक आयुवर्ग के लोगों के अलावा कई सैलानी भी उपस्थित थे। वे सभी असत्य पर सत्य की विजय के साक्षी बने। भीड़ को नियंत्रित करने और वाहनों को सडक़ों के किनारे खड़ा करवाने के लिए पुलिसकर्मी तैनात रहे।
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