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  • 4 hours ago
Mohan Bhagwat ने क्यों किया नेपोलियन का जिक्र?

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00:00प्राकूरतिक उथल पुथल है तो जन जीवन में भी उथल पुथल दिख रही है।
00:06श्री लंका में बाद में बंगला देश में बाद में नेपाल में हमारे पडोसी देशों में भी हमने इसका अनुभव किया।
00:15अब कभी कभी हो जाता है प्रशासन जनता के पास नहीं रहता सम्वेदंशील नहीं रहता लोका भी मुख नहीं रहता
00:27उनकी जनता की अवस्थाओं को द्यान में रटकर नीतिया नहीं बनती तो असंतोस रहता है
00:37परंतुस असंतोस को इस प्रकार व्यत्त होना यह किसी के लाप की बात नहीं है
00:47अभी अभी प्रमुकतिती महुदे ने कहा 25 नौंबर के भाषन की याद की उसमें इस प्रकार के जो अंदोलन है जिसमें इतनी सारी हिंसा और विनाश होता है
01:01ग्रक्टर अंबिडगर साहब ने उसको ग्रामर ऑफ अनारकी कहा है प्रजात अंत्रिक मार्गों से भी परिवर्तन आता है
01:12ऐसे हुसक मार्गों से परिवर्तन नहीं आता है एक उथल-पुथल हो जाती है लेकिन स्थिती असावत रहती है
01:20पूरे दुनिया का अभी तक्ता हितिहास देख लीजिए जबसे ये उथल-पुथल वाली तथा कथित रिवोल्यूशन्स करांतिया आई
01:31किसी करांति ने अपने उद्धिष्ट को प्राप्त नहीं गया राजा के खिलाप फ्रांस की राज्य करांति हुई उसका परणाम क्या हुआ नेपोलियन बाच्छा बन गया वही राज्य तंत्र काया मरा
01:47इतनी सारी तथा खतित साम्यवादी करांतिया हुई, सब साम्यवादी देश आज पुंजीवादी तंतर पर चल रहे हैं, जिसके खिलाब करांति हुई
01:58ऐसे हुशक परिया और तनों से उद्देश नहीं प्राप्त होता है, उल्टा इस अराजत पाती स्थिती में देश के बाहर की स्वार्थी ताकतों को अपने खेल खेलने का मौका मिलता है, और इसलिए हमारे पडोसी देशों में जो उथल फुतल हो रही, यह हमारे ही देश है
02:28अच्छ वर्षपुर्वा भारत ही थे, हमारे अपने हैं, उनमें इस प्रकार की अस्थिरता उत्पन्न होना, यह हमारे लिए हम केवल उनके पडोसी हैं इसलिए नहीं, वो सब हमारे अपने देश हैं, इसलिए चिंता का विश्य है, हितरक्षन से भी ज्यादा यह जो हमार
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