00:00अंग्रेजी हुकूमत स्री आजादी के संहर्षों के दौरान महात्पगांधी 1925 में 6 और 7 अक्टुबर को गिरिडी बढ़ा रहे थे।
00:30कहीं से उनकी भागिदारी कम न पड़े।
01:00कहीं से जोड़ने का प्रयास किया।
01:02उनका कहना था कि आप खादी के साथ अगर जूड़ते हैं तो खादी के बुनकरों को भी लाब होगा।
01:06और इस दौरान गांधी जी गोसाला आये थे, गोसाला को लेकर अपने विशार थे, उस दौरान गोसाला से भी उनको उस कोस में देशवंदु समारक कोस में शहयोग मिला था।
01:20चुकि 2025 उस अउसर का स्वमा वर्ष गांठ है तो इस सतावधी शमारों में हम गिरीडी वासी एक आयोजन कर रहे हैं।
01:29गिरीडी में गांधी के सतावधी वर्ष और या छे तारिक और साथ तारिक को चलेगा।
01:36चलेगा। छे तारिक को या कारेक्रम खरकडिहा से प्रारम होकर पद्यात्रा का शुरूब लेगा।
01:43और पद्यात्रा करते हुए लोग चितरडी के रास्ते पचमबा पहुंचेंगे।
01:48पचमबा हाई स्कूल में एक शभा है और उसके बाद साथ तारिक को मुख्य कारेक्रम टाउन हॉल गिरिडी में है।
01:58आप सबों से अनुरोध है कि इस कारेक्रम में अधिक सदिक की संख्या में उपस्तित होकर गांधी के बताय मार्क पर चलने का प्रयास करें।
02:09गिरिडी में महात्मा गांधी का आगमन 6-7 अक्तुबर 1925 को हुआ था।
02:20इस दौरान गांधी जी देवघर से खरकडिया गिरिडी होते हुए मधुपूर गये थे और दो दिनों का उनका प्रवास गिरिडी में रहा था।
02:31इस प्रवास में उन्होंने चर्खा और सोदेशी के संदेश के साथ साथ यहां के लोगों को स्वावलंबन, स्थाने निकाए, छुआ छूट, अस्प्रिशेत, सहित, कई समाजिक मुद्दों पर संदेश दिया था।
02:53और लोगों ने इसको प्रसन्नता पुर्वक अपने जीवन में अपनाया था।
02:59उस यात्रा के दौरान यहां पर आजादी के संग्राम के लिए किशोरों युवाओं की एक नई पिढ़ी उनकी प्रेड़ना से पैदा हुई।
03:11जिसने आगे चल करके 1942 के आंदोलन में महतपुन भूमिका निभाई।
03:20यह सताबदी समारो जिला प्रशाशन और गिरडी में गांधी आगमन समारो समिती के द्वारा
03:32एक प्रियास है कि उस दौर के अनुभावों को इतिहास को समेटा जा सके और इसे पीडियों तक मुंचाया जा सके
03:42ताकि हम लोग इस इतिहासी गौरो और संस्कृति को एक धरोहर के तौर पर सन्रच्षित कर पाएं।
03:50दो दिनों के कारिक्रम के दोरां सांस्कृतिक गतिविधियां, पदियात्रा, विद्याले अस्तरी प्रतियोगी ताउन का आयोजन किया गया है और साथ तारीप को नगरभावन में गोष्ठी और सांस्कृतिक कारिक्रमों का आयोजन है।
04:14in that period of time, we will be able to get into the knowledge of this period of time.
04:31Ghandi Ji's love and love of God, and the love of God of God,
04:38today and always, in any other society, it is very important and important that we are working to reach this language and Sanskritic language to the field.
04:55I will be able to get involved in this study, Sanskrit, and Rikram, and Ghosnthi.
05:04I will be able to get involved in this study.
05:09And I will be able to get involved in this study.
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