राजस्थान के भरतपुर का अपना घर जो 1120 बुजुर्गों को सहारा दे रहा है. यहां उत्तरप्रदेश के रहने वाले रामहेत बताते हैं कि तीन साल पहले मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उनके बच्चे छोड़ गए. उसके बाद उनकी सुध लेने नहीं आए. इससे अलग पश्चिम बंगाल आसनसोल के रहनेवाले अशोक कुमार राय की कहानी नहीं है. शादी नहीं हुई, परिवार में सिर्फ भाई है, अशोक घर जाना चाहते हैं, लेकिन कोई उनको ले जाने को तैयार नहीं. आश्रम में इन सभी बुजुर्गों का ख्याल रखा जाता है, इनकी बीमारी के लिए यहां अलग से वार्ड बने हुए है, डॉक्टर इनकी नियमित जांच करते हैं. लेकिन इन बुजुर्गों को अभी भी अपनों का इंतजार है.
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