Mohan Bhagwat Speech: RSS प्रमुख मोहन भागवत ने विजयदशमी उत्सव 2025 में कहा कि पहलगाम हमले ने साफ कर दिया कि कौन हमारा दोस्त है और कौन दुश्मन। उन्होंने कहा कि सरकार और सेना ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया है। इस उत्सव में राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रभक्ति और समाज निर्माण पर जोर दिया गया। मोहन भागवत का यह बयान पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। वीडियो में देखें उनका पूरा भाषण और जानें क्या है RSS का विजन 2025 के लिए।
00:00पहल गाम से लेकर ट्रॉम्प टैरिफ तर विज्ञ दश्मे पर मोहन भागवत ने गर्दा उड़ा दिया दमदार भाशण ने जीता दिल
00:12एक दुर्गटना पहल गाम की भी हुई हमला हुआ सीमा पार के आतनकियों के द्वारा
00:2226 भारतिय नगरिकों की उनका धर्म पूछकर हत्या की लेकिन उसके चलते सारे देश में प्रचंद दुख्ध और क्रोथ की लघर पैदा हुई
00:33पूरी तैयारी करके सरकार ने हमारी सेना ने उसका बहुत पुर्जोर उत्तर दिया
00:45सारे प्रकरण में हमारी नेत्रत्व की दुड़ता हमारी सेना का शवर्य कौशल्य
00:53और समाज की एकता और दुड़ता का एक उत्तम चित्र प्रस्थापित हुआ
00:59और यह भी वह घटना हमको सिखा गई
01:03कि यद्यपी हम सब के प्रती मित्रभाव रखते हैं
01:08और रखेंगे फिर भी
01:11अपने सुरक्षा के विशह में
01:14हमको अधिकाधिक सजग रहना पड़ेगा
01:17समर्थ बनना पड़ेगा
01:19क्योंकि इस घटना के बाद
01:25दुनिया में विभिन्न देशों ने अपनी अपनी जो भूमिका ली
01:30उसमें हमारी ये भी ध्यान में आया कि हमारी मित्र कोन कोन है
01:34और कहां तक है
01:36डेश के अंदर भी
01:39अशांती फैलाने वाले
01:42और सम्मेधानी उग्रवादी
01:44या सम्मेधान विरोधी कहिए उग्रवादी नक्षली अंदोलन पर शासन और प्रशासन की दुड़कारवाई भी हुई
01:52और उनके अनुभाव से उनके विचारधार का खोकलापन और उनकी कुरूरता का अनुभाव होने के कारण
02:00समाज भी उनसे मोहख भंग होकर विमुख हो गया लेकिन उनका नियंत्रण्टों हो जाएगा प्रणतों अब ये उस खेत्र में एक बड़ी जो बाधा थी वो दूर होने के बाद
02:17उस खेत्र में न्याई की स्थापना हो विकास वहां तक पहुंचे सद्भावना सम्वेदना और सामरश से वहां स्थापित हो इसके लिए समाज की भी और शासन प्रशासन की भी योजनाय चलनी पड़ेगी क्योंकि इनका अभाव ही
02:39ऐसे उग्रवादी ताकतों के पनपने का कारण बनता है इससे त्रस्त मनुष्य दूसरा को चुपाए दिखता नहीं इसलिए निराश होकर उनको प्रश्रेश देता है कि अभी हाल में अमरिका ने जो नई टैरिफ नीती अपनाई उनके अपने हित के लिए अपनाई होगी
03:09आपरी दुष्य अथ्वा ये सारी प्रचलित पद्धती उस पर हम दिर्बर हो जाए ऐसी नहीं है विश्व में विश्व का जिवन परस्पर निर्भरता से ही चलता है राष्ट्रों में आपस में सप्रकार के संबंद होने पड़ते हैं अकेला राष्ट्र अलगाव में आ
03:39पड़ल जाएं कि क्योंकि कब बदलेगी कैसे बदलेगी उसका कोई पता नहीं और इसलिए इस निर्भरता को मानते हुए विश्व जीवन की एकता को मानते हुए हमको इसको मजबूरी न बनाते हुए जीना अगर है तो स्वदेशी और स्वावल अंबन का कोई परिणाम �
04:09स्वावलंबी जिवन जीना पड़ेगा स्वदेशी का उपयोग करना पड़ेगा और फेर भी आंतर राष्ट्रिया संबंदों का सब प्रकार के राजने इखो आर्थी को प्यापारी इखो इन सब का जटन हमको करना पड़ेगा लेकिन उसमें मजबूरी नहीं होगी हमारी
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