शिर्डी/महाराष्ट्र- महाराष्ट्र दिव्यांग क्रिकेट टीम के उप-कप्तान नितिन वाबले ने बचपन में एक हादसे में नितिन ने अपना बायां हाथ गवां दिया.. ये हादसा उनके लिए एक बड़ा झटका था.. लेकिन इससे क्रिकेट के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ.. और उन्होंने क्रिकेटर बनने का अपना साकार किया। नितिन का जन्म महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के सोनेवाड़ी गांव के एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई में तेज होने के साथ-साथ नितिन अच्छी बॉलिंग भी करते थे.. हालांकि हादसे ने उनका रास्ता थोड़े समय के लिए बदल दिया। वो पढ़ाई में जुट गए। बैंक एग्जाम पास करने के बाद जब वो बैंक मैनेजर बने तो वो एक बार फिर से क्रिकेटर बनने का सपना देखने लगे। उनके सपनों को तब नई उड़ान मिली.. जब उनकी मुलाकात सोमैया क्रिकेट एकेडमी के कोच नितिन बाराहते से हुई.. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हाल ही में हैदराबाद के राजीव गांधी इंटरनेशनल स्टेडियम में हुए राजीव गांधी चैलेंजर सीरीज में नितिन ने शानदार प्रदर्शन किया और अपनी सधी गेंदबाजी से अपनी टीम को जीत दिलाई। अब नितिन भारतीय दिव्यांग क्रिकेट टीम में शामिल होना चाहते हैं। अपनी इच्छाशक्ति और मेहनत की बदौलत नितिन आज दिव्यांग क्रिकेट में राइट-हैंड के बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक हैं.. नितिन ने साबित किया कि इंसान का इरादा पक्का हो तो असंभव कुछ भी नहीं है।
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