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यह कहानी है एक छोटे बच्चे की, जो सोचता था कि भगवान केवल मंदिरों में रहते हैं।
लेकिन उसके पिता ने उसे सिखाया कि सच्ची भक्ति भगवान को दिल से पुकारने में है।
वह रोज़ अपने छोटे से दीपक के साथ भगवान से बात करता, और धीरे-धीरे उसका जीवन बदलने लगा।

💡 Moral: भगवान बाहर नहीं, हमारे अंदर हैं।
सच्ची भक्ति वही है जब हम हर किसी में भगवान को देखना सीख जाएँ।

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Transcript
00:00एक छोटा बच्चा हमेशा सोचता था कि भगवान केवल मंदिरों में ही रहते हैं।
00:05एक दिन उसके पिता ने कहा, सच्ची भक्ती भगवान को दिल से पुकारने में है।
00:10बच्चा रोज अपने छोटे से मिट्टी के दीपक को जलाकर भगवान से बात करने लगा।
00:15धीरे धीरे उसका मन शान्थ होने लगा। उसकी पढ़ाई सुधरने लगी और घर में खुशियां आने लगी।
00:22गाउवाले हैरान थे कि इतना छोटा बच्चा इतना प्रसन्न और संतोशी कैसे है।
00:27बच्चा मुस्कुरा कर कहता, भगवान बाहर नहीं, हमारे अंदर है, सच्ची भक्ती वही है जब हम हर किसी में भगवान को देखना सीख जाए।
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