00:00जैपुर और मत्रा का रिष्टा सिर्फ भगवान श्री कृष्ण के विग्रहों तक सीमित नहीं है
00:05बलकि रामायन के पात्र रावन से जुड़ा हुआ जो दशेहरा पर्व है
00:11उससे भी कही न कहीं इसका जुड़ाव है और ये जुड़ाव इस वज़े से खास है
00:15क्योंकि मत्रा से आने वाली मुस्लिम समुदाए की पांचवी पीड़ी इस रावन को बना रही है
00:23इसमें आयोजन समीतिय से जुड़े हुए राजी मंचंदा जी हमारे साथ जुड़े हुए उनसे बात करते है
00:27सर एटवी भारत में आपका बहुत बहुत स्वागत है
00:29ये आयोजन कुछ खास होता है जापर गंगा जमनी तहजी देखने को मिलती है
00:34आपसे जनना चाहेंगे इसके बादे में
00:35हमारे हाँ श्रीर राममंदिर प्रण्यास आदरस नगर में
00:39सन उन्निस सो चपन से निरंतर दशेरे मेले का आयोजन किया जा रहा है
00:43शुरुवाती दिनों में इसका शुरूप बहुत छोटा था
00:47साथ आठ फिट का कोई रावन कंदे पे उठा के
00:49हमारे आदरस नगर वे गोल्चकर है जो भी गोल्चकर स्कूल के नाम से कहलाता है
00:54वहाँ पे इसका रावन दहन का कारेक्रम किया जाता था
00:57शने शने जो जो आबादी का जनसंखा क्या घनत वो बड़ा
01:01तो इसके लिए बड़ी जगे की जुरुत पड़ी तो हम इसको
01:04स्रीरामंदिर के सामने एक दशेरा मेदाने वहाँ पे इसको आयोजन करने लगे
01:10हमारे यह जो जन्मास्टमी के अगले दिन
01:15एक मुस्लिम परिवार जिसकी अभी हमारे आपे पाची पीडी काम कर रही है
01:20बड़ी भावना से अपने परिवार सहीत खुदी फोन कर देते हैं
01:25जन्मास्टमी से दो दिन पहले के साब हम कब आये
01:27आप हमारा प्रोग्राम दे दो हम आ जाते हैं
01:30हम से ज़्यादा ये उत्सुक रहते हैं आने को और ये इनके पूरवज़ों में भी यही बाती है और अभी वाली पीडी में भी यही संसकार है यही बाते हैं
01:40बड़े मन से अपने परिवार सहीत आके यहां पर कार करते हैं
01:44पीछे आप जैसे देख रहे हैं ती भवे साज सज्जा इससे साफ दिखाई देता है के बड़े तन्मन से काम करके और इसके यह रूप दिया जाता है
01:52चांद बाबुजी और उनका परिवार यहां पर पांश पीडियों से लगातार हर साल जन्माश्टमी के अगले दिन पहुंसता है
02:00और आकर के एक भव्य रावण और कुम्बकर्ण तयार करते हुए यहां के जो दशेहरा पर्व है उसको यहां पर आयजित करवाता है उसको भव्यता प्रदान करता है
02:14चांद बाबुजी यह जो आप लोगों की पांश पीड़ी यहां पर काम कर रही है किस सरसे शुरुवात हुई थी और जो मत्रा से आप लोगों का जुड़ाया पर वो जानना चाहेंगे
02:27मैं यहां पर बहुत चोटा था था मेरे बाबा आते थे यहां पर नभीवक्स हासे स्वाज उन्होंने सबसे पहले पुतला बीस पुटका बनाया था यहां पर जिसकी मजदूरी 250 रुपे थी और 10 रुपे मत्रा हमारे बाबा को इनाम के दिये गए तो हमारे बाबा बढ़
02:57मेरा चोटा भाई है राया खान वह भी मेरे साथ ही आता है तो हम दोन वहाई मिलकर जो हमारे अंदर कला है अमारे बाबा चाहिए हमारे पिताई से खागए तो वह हम मतलब सारी चीज आपको यहां पर दिखा रिए तो आप लोग वहां पर भी कोई काम दंदा तो करते हों�
03:27आप लोग तो जैसे नाव भी खाते होंगे यहां पर निखाते हैं मंदिर में आपन डाल सब्ची बनाते हैं जैसा कभी मन करता तो वाह जाकर खाई आते हैं आशे कुछ बनीगे
03:57I am joined by the people of this country.
04:00The people who are now joined by this work,
04:04and then they are joined by the people of this work,
04:06so it's not such a thing that you are the honour of your people.
04:09It's not that you are the honour of your people.
04:11You don't have to go back to this?
04:13They say that they are doing great work,
04:16what do they need?
04:18They say that they don't have to take advantage of it,
04:20they don't have to take advantage of it.
04:22They are not going to take advantage of it.
04:25४ ॥
04:28४
04:31४
04:32४
04:35४
04:45४
04:47४
04:48४
04:49४
04:51४
04:53४
04:54और खास करके जो दशेहरा मैदान पर जिस तरह से रावन दहन का काम होता है वो पूरी तरह से गंगा जमनी तहजीब को ध्यान में रखते हुए एक मुस्लिम परिवार मुत्रा से आकर के डेड़ महीने यहाँ पर रहता है और इस आयोजन को भवेता प्रदान करने में अपना
Be the first to comment