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00:0018 अप्रेल 1912 अमेरिका की नियो यॉर्क में रात के साड़े नौ बजे घंगोर बारिस में करीब 40 हजार लोग दिल थामे हुए किसी का इंतिजार कर रहे थे
00:10ये वो काली रात थी जब नियो यॉर्क में दर्द का सेलाब आने वाला था
00:14तीन दिन से ये लोग टक-टकी लगाए एक जहाज का इंतिजार कर रहे हैं जिसका नाम है कारपेथिया
00:20कारपेथिया जहाज अपने साथ एक ऐसी धर्दना कहानी लेकर लोटा था जिसको सुनकर आज भी लोगों के दिल दहल जाते हैं
00:27एक ऐसा जहाज जो कभी नहीं डूप सकता था
00:30RMS Titanic जिसने सैगडों लोगों की जिन्दिगियां समुंदर के हवाले कर दी
00:35और कारपेथिया जहाज पर मौजूद हैं वो चुनिंदा लोग जिनोंने
00:39Titanic के रौधर रूप को अपनी आखों से दिखा था
00:42ये इतियास की वो देल देला देने वाली घटना थी
00:44जिसको कोई भी इनसान भुला नहीं सकता
00:47ये घटना अपने पीछे कई रहस्यों को छोड़ कर चली गई
00:50नमस्का दोस्तों मैं हूँ शामतौमर स्वागत करता आपका इस वीडियो में
00:5310 अपरेल 1912 को जब टाइटैनिक ब्रिटैन के साउथ हम्टन से
00:59नियू यॉर्क जाने के लिए अपनी पहली यात्रा के लिए तैयार था
01:02तब वहाँ पर एक अलगी माहौल था
01:05क्योंकि लोगों ने टाइटैनिक के बारे में इतना सुन रखा था
01:08कि वो टाइटैनिक के विशालता और उसकी सुन्दरता को देखने के लिए उमड पड़े
01:12ऐसा माना जाता है कि करीब एक लाग से भी ज्यादा लोग टाइटैनिक की भव्यता को देखने के लिए आई थे
01:18और इतनी भीड टाइटैनिक को देखने क्यों ना आती
01:21क्योंकि टाइटेनिक था ही इतना भव्या
01:23ये जहाज दो सो उनतर मीटर लंबा था और इसकी उचाई करीब त्रेपन मीटर थी
01:27जो कि एक आठ मंजिला उची इमारत से भी ज्यादा उचा था
01:31ये जहाज बाहर से देखने में जितना भव्या लगता था उससे ज़्यादा आलिशान तो ये अंदर से था
01:36ये इतना लग्जूरियस जहाज था कि इसमें दो बड़े बड़े ग्राउंड इस्टियर्स, हीटेट स्वेमिंग पूल, जिम, चार रेस्टोरेंट्स, लाइबरेरी, टरकिस बात, इलेक्रिक बात और बारबर शॉप इत्यादी थे
01:46ऐसा मानो कि टाइटैनिक एक चलता फिरता लग्जूरियस होटेल था जिसमें हर तरह की सुविदा मौझूद थी
01:52टाइटैनिक लग्जरी के मामले में तो खास था ही, लेकिन एक और बात टाइटैनिक को खास बनाती, वो थी टाइटैनिक की सेफटी
01:59ये उस समय दुनिया का सबसे बड़ा, सेफ और मजबूत जहाज था
02:03टाइटैनिक को इस तरह से बनाय गया था कि इसका दूसरा नाम ही अनसिंकेबल था
02:08मतलब कभी न डूबने वाला जहाज
02:10और देखा जाए तो टाइटैनिक था भी एक ऐसा जहाज जो कभी नहीं डूब सकता था
02:14क्योंकि इसको बनाया ही कुछ इस तरह से गया था
02:16क्योंकि इसमें डबल बॉटम हल का इस्तमाल किया गया था
02:19दरसल हल जहाज के इस बाहरी आवरड को बोला जाता है
02:23जो जहाज को मजबूती देता है
02:24ये स्टील का बना एक मजबूत इस्ट्रक्चर होता है
02:27इसे आप जहाज की रीड की हड़ी भी बोल सकते हो
02:30ये जहाज की मेन बोडी होता है
02:32टाइटैनिक का ये हल वैसे तो मजबूत था ही
02:35लेकिन इसे और ज़्यादा सेफ बनाने के लिए टाइटैनिक के इस निचले वाले हिस्से यानि बॉटम में डबल हल का इस्तमाल किया गया था
02:42दरसल समुद्र में कोई शिप चलती है तो उसका ज़्यादा तर इस निचले वाले हिस्से में किसी अंदरूनी चट्टान या अन्नी चीजों से टकराने का डर रहता है
02:49तो टाइटैनिक का डबल बॉटम हल होने की वज़य से अगर इसका निचला वाला हल किसी इंपक्ट में टूट भी जाए तो दूसरा हल टाइटैनिक को सुरचित रखेगा और इसे डूबने से बचा लेगा
02:59और टाइटैनिक का दूसरा सेफटी फीचर इसे और ज़्यादा सेफ बना देता है दरसल टाइटैनिक को सुले वाटर टाइट कमपार्टमेंट्स में डिवाइड किया गया था
03:08दरसल जहाज का ये निचला वाला भाग शिप का में पोर्षन होता है जो पानी के अंदर चलता है
03:13अब अगर मानकर चलो कि जहाज के इस वाले हिस्से में कहीं पर भी कोई छेद हो जाए तो धीरे धीरे जहाज के अंदर पानी भरने लगेगा और कुछ समय बाद जहाज पानी के अंदर डूब जाएगा
03:24लेकिन टाइटैनिक के इस निचले हिस्से को 16 वाटर टाइट कमपार्टमेंट्स में बाटा गया था इससे फाइदा ये होने वाला था कि अगर बाई चांस जहाज साइड से किसी चट्टान से ठकराता है और उसमें लीकेज होता है तो जहाज का जो कमपार्टमेंट छती �
03:54असमभव सी बात थी कि इसके एक साथ चार से ज्यादा कमपार्टमेंट्स धेमेज हो जाएं क्योंकि ये कमपार्टमेंट्स बहुत बड़े बड़े थे तो भला कोई चट्टान भी इस जहाज को कैसे डुबो सकती थी इसी वज़य से इस जहाज को कभी न डूबने वाला �
04:24किया जाता है इस जहाज में उस जमाने के बड़े बड़े लोग बैटे थे इसमें कुछ ऐसे प्रवासी भी थे जो अमेरिका जाकर एक नए जीवन की
04:31सुरुआत करने वाले थे इस जहाज के कप्तान थे 62 साल के एड़वर्ड जॉन स्मिथ जो की एक अनुभवी कप्तान थे ऐसा माना जाता है कि ये इनका आखरी सफर था इसके बाद ये रेटार्मेंट लेने वाले थे इस जहाज पर करीब 2240 पैसेंजर्स और क्यू मेंबर्स �
05:01और लोग टाइटेने की भवेता के साथ साथ इसकी रफतार को भी जाने इस वज़े से कंपनी की ओर से टाइटेने के कैप्टन स्मिथ को जहाज को फुल स्पीड से चलाने के इंस्ट्रक्शन्स मिले हुए थे टाइटेने को बने हुए अभी ज्यादा समय नहीं हुआ था �
05:31इससे थोड़ी छोटी थी इस वज़े से ओलंपिक शिप को टाइटेनिक की बहन बोला जाता था
05:37मार्च 1912 को ओलंपिक शिप में खराबी आ गई थी इस वज़े से ओलंपिक इंबरजेंसी में बंदरगा पर रिपेयर होने के लिए आई
05:44अब ये शिप इतनी बड़ी होती हैं कि इनको रिपेयर होने में कई महीनों का समय लग जाता है
05:49तो इस वज़े से वाइट इस्टा लाइन कंपनी का बिजनिस इन महीनों में बंद पढ़ जाता
05:53तो company ने अपने business को जारी रखने के लिए अगले ही महीने यानि अप्रेल में अपनी नई ship Titanic को launch करने का फैसला किया
06:01अब क्योंकि ये Titanic की पहली यात्रा थी जिस वज़े से Titanic के crew में कुछ अनभवी लोगों का होना भी जरूरी था
06:08इस वज़े से Titanic के कुछ crew members को हटा कर Olympic के कुछ crew members को Titanic के crew में सामिल किया गया
06:15Titanic का एक officer था David Blair इसको हटा कर इसकी जगे पर Olympic के एक officer को इसकी जगे पर duty पर नियुक्त किया गया
06:23तो David Blair जब ship को छोड़ कर अपने घर जा रहा था तो वो गलती से अपने locker की चाबी को भी अपने साथ ले आया
06:30और दुरुभागय से Titanic पर मौझूद एकलोता दुरुबीन भी उसी locker में बंद था
06:35David Blair के द्वारा की गई ये चोटी सी गलती आगे चल कर Titanic को डुबो देती है
06:40आखिर वो घड़ी आई ही गई जब 10 अपरेल 1912 को Titanic अपने पहले एतियासिक सफर पर रवाना होता है
06:47कैप्टन इसमें भली भाती जानते थे कि साल के इन महीनों में समुद्र में बहुत ज़ादा आइसबर्ग मिलते हैं
06:53इस वज़े से उन्होंने खत्रे को भापते हुए Northern Route के सीधे रास्ते को छोड़ते हुए Southern Route के इस थोड़े लंबे रास्ते को चुना
07:00दरसल आइसबर्ग समुद्र में मौझूद छोटे छोटे बर्फ के पहाड होते हैं
07:05ये बर्फ के पहाड ग्लेसियर से तूट कर समुद्र की लहरों के साथ बीच समंदर में आ जाते हैं
07:10आप इस मैप को देखिए इसमें Greenland से बर्फ के ये छोटे छोटे पहाड तूट कर इस रास्ते के द्वारा Atlantic Ocean में पहुंचते हैं
07:17तो ये वाला जो रीजन है इसमें अप्रेल के महीने में बहुत ज़्यादा आइसबर्ग तूट कर आते हैं
07:22लेकिन अच्छी बात ये है कि इन आइसबर्ग को Atlantic Ocean में पहुंचते पहुंचते करीब दो साल लग जाते हैं
07:28और Atlantic Ocean तक पहुंचते पहुंचते वो आइसबर्ग पिगल कर समुदर के पानी में विलीन हो जाते हैं
07:34जो आइसबर्ग बहुत ज़्यादा बड़ा होता है वही Atlantic Ocean के बीच में आपाता है
07:38तो कैप्टन स्मित ने आइसबर्ग के खत्रे को टालने के लिए इस रास्ते के बजाए इस से थोड़े दूर के रास्ते को चुना
07:44जहां पर आइसबर्ग मिलने के चांसेज बहुत कम हो यह वो समय था जब जहाज में आइसबर्ग इत्यादी को देखने के लिए ज्यादा कोई खास टेकनलोजी नहीं होती थी
07:53इस वज़े से जहाज के सामने थोड़ी उचाई पर यहां पर एक क्रोज नेस्ट होता है इसे लुकाट पॉंट भी बोला जाता है इस क्रोज नेस्ट में हमेशा एक से दो लोग दुरबीन लेकर बैठे रहते हैं जो दूर तक सामने देखते रहते हैं कि जहाज के सामने को
08:23की पहली चेतावनी मिलती है ये आइसबर्ग अभी टाइटेनिक से एक दिन की दूरी पर था टाइटेनिक पर सीनियर ओफिसर जैक फिलिप्स इस वाइलेस रेडियो सिस्टम को ओपरेट कर रहे थे और दूसरे जहाजों के साथ संपर्क में बने हुए थे 14 अप्रेल को दोप
08:53डूस इसमे को आइसबर्ग की मिलने वाली चेतावनीयों के बारे में बताया तो ब्रूस इसमे ने इन चेतावनीयों को नजर अंदाज कर दिया
09:00क्योंकि उसका मानना था कि समुद्र में आइसबर्ग मिलना एक आम भात है और जिस जहाज में वो बैटे हैं वो एक मजबूत और कभी न डूबने वाला जहाज है
09:09और ब्रूस इसमें नहीं चाता था कि इन चेतावनियों की वज़े से चहाज की स्पीड कम हो और चहाज अपने निर्धारिश समय से लेट पहुँचे
09:16इसके बाद टाइटैनिक को आइसबर्ग की पांच बार और चेतावनिया मिलती हैं और टाइटैनिक को जो आखरी चेतावनी मिली वो एसस कैलिफॉर्नियन चाहज से मिलती है
09:25रात हो चुकी थी और दुरभाग ऐसे आज आस्मान में चांद भी नहीं निकला था जिस वज़े से विजिबिल्टी बहुत कम थी और क्रोज नेस्ट में बैठे लोगों के पास दुरबीन भी नहीं था जिससे वो दूर से ही सामने आने वाली अडचल को देख पाएं
09:39टाइटैनिक अपनी फुल स्पीड 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफतार से चल रहा था और आइसबर्ग से टाइटैनिक अभी दो घंटे की दूरी पर था
09:47घंगोर अंदेरे में समुद्र के पानी को तेजी से चीरते हुए टाइटैनिक आगे बढ़ता ही चला जा रहा था बिना इस बात की परवा किये कि जिस रास्ते में अभी वो चल रहा है उसके सामने एक बहुत बड़ी बर्फ की चट्टान मौजूद है
10:00रात के साड़े ग्यारा बच चुके थे और अब टाइटैनिक आइसबर्ग से महज 6 किलूमीटर दूर था और जिस रफतार से टाइटैनिक चल रहा था उस रफतार से ये अगले 10 मिनिटों में आइसबर्ग के पास पहुँचने वाला था
10:13टाइटैनिक के क्रोजनेस्ट में दो बहादर लोग फ्रेडरिक फ्लीट और रेजिनाल्ड ली ये दोनों कड़कडाती थंडी और रात के काले अंधेरे में टकटकी लगाए जहाज के सामने आने वाली अडचलों को देख रहे थे
10:25इन दोनों के लिए परिसान ये थी कि जहाँ पर ये बैटे थे उन्हें वहाँ पर ठंडी हवा का सामना करना पड़ रहा था जिस वज़े से इनकी आँखों से आसू निकलाते
10:34इनके पास कोई दुरबीन भी नहीं था जिस वज़े से ये ज़्यादा दूर की चीज़ों को देख भी नहीं पा रहे थे
10:40कम रोशनी में आखों से ज़्यादा दूर मौजूद चीज़ों को देख पाना संभव नहीं था
10:45रात के 11 बचकर 49 मिनट पर क्रोजनेस्ट में बैठे फ्रेडरिक फ्लीट को दिखाई देता है कि सामने एक आइसबर्ग है
10:52उसने बिना देर किये जल्दी से तीन बार घंटी को बजाया और तुरंत ब्रिज़ पर मौजूद ऑफिसर्स को फौन करता है
10:59और बताता है कि सामने आइसबर्ग है जल्दी से जहाज को लेफ्ट साइड ममोडो
11:03ब्रिज़ पर मौजूद फर्स्ट ऑफिसर विलियम ने जैसे ही इस चेतावनी को सुना
11:06उसने तुरंत एक्सन लेते हुए जहाज को रोकने के लिए फुल स्पीड में रिवर्स में इंजिन्स को चालू कर दिया
11:12और जहाज को तेजी से लेफ्ट साइड में मोडने लगा
11:15लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी
11:17जहाज की रफ्तार इतनी ज्यादा थी कि इतने कम समय में रिवर्स इंजिन्स चालू करने के बाद भी इसे रोका नहीं जा सकता था
11:24और जहाज इतना बड़ा था कि कम डिस्टेंस में एक दम इसको मोड़ा नहीं जा सकता था
11:29काफी हद तक टाइटैनिक के रास्ते को मोर दिया गया लेकिन फिर भी रात के 11 बज कर 40 मिनट पर टाइटैनिक का आगे का राइट वाला हिस्सा बर्फ की चट्टान से टकरा जाता है
11:40ये टकराव इतनी जोर से हुआ कि जहाज पर मौजूद सभी यात्रियों को इसने हिला कर रख दिया
11:46दुरभागय से टाइटैनिक का डबल बॉटम हल किसी काम नहीं आया
11:49क्योंकि आइसबर्ग से ये इंपेक्ट जहाज के साइड में हुआ था जहां पर सिंगल लेयरी लगी थी
11:55जब कैप्टन स्मित ने नुकसान की जाँच बड़ताल की और जहाज में हुए नुकसान को देखा तो पता चला कि जहाज के 6 कंपार्टमेंट्स देमेज हो चुके हैं और उनमें देजी से पानी भरता जा रहा है
12:06ये देखकर कैप्टन स्मित शौक हो जाते हैं क्योंकि जहाज केवल 4 कंपार्टमेंट्स के भरने तक ही तेर सकता था
12:13लेकिन 6 कंपार्टमेंट्स में पानी भरने का मतलब था कि जिस जहाज को अभी तक अंसिंकेबल बोला जा रहा था वो अब डूब जाएगा
12:21टकराव को अब तक 20 मिनट गुजर चुके थे और रात के 12 बजे कैप्टन स्मित ने क्रू को डिस्ट्रेस सिगनल भेजने के लिए कहा
12:32ताकि आसपास मौझूद कोई जहाज उन्हें बचाने के लिए आ जाए और वाइलेस ओपरेटर जैक फिलिप्स लगातार डिस्ट्रेस सिगनल भेजने में जूट गए
12:40लेकिन दुर्भाग्यवस आसपास कोई भी जहाज ऐसा नहीं था जो टाइटनिक द्वारा भेजे जा रहे डिस्ट्रेस सिगनल्स को पकट पाए
12:47छे कंपार्टमेंट्स पानी से भर चुके थे और पानी अब डेक के उपर से बहने लगा
12:52कैप्टन स्मित लाइफ बोट्स को समंदर में उतारने का आदेश देते हैं और सबी लाइफ बोट्स को बाहर निकाला जाने लगा
12:59दुर्भाग्यवस उस समय टाइटनिक पर केवल बीसी लाइफ बोट्स मौजूद थी
13:03और एक लाइफ बोट्स की चमता केवल 65 लोगों की ही थी
13:07बीस लाइफ बोट्स के द्वारा केवल लगबग 1200 लोगों को ही बचाय जा सकता था
13:12और जहाज पर बाइस सो से ज़्यादा लोग मौजूद थे
13:15हडबडी में सुरुवात में जो लाइफ बोट्स उतारी जा रही थी
13:18उनमें केवल 27 से 28 लोगों को ही भेजा जा रहा था
13:21और लाइफ बोट्स को केवल आधा ही भरा जा रहा था
13:24प्रोटोकॉल ये था कि औरतों और बच्चों को पहले लाइफ बोट्स में भीजा जाएगा
13:29जहाज पर अभी भी कुछ लोग ऐसे थे जो ये मान रहे थे कि ये जहाज कभी डूबी नहीं सकता और वो एकदम रिलेक्स थे
13:35इदर जैक फिलिप्स लगातार डिस्ट्रेस सिगनल्स भेजे जा रहे थे और सौभागय से इनका डिस्ट्रेस सिगनल पास में मौझूद एक जहाज कारपेथिया को मिलता है
13:44और 12 बचकर 30 मिनट पर कारपेथिया जहाज से संदेश आता है कि वो टाइटैनिक पर मौझूद लोगों को बचाने आ रहे हैं
13:51लेकिन बदकिस्मती ये थी कि कारपेथिया जहाज अभी भी टाइटैनिक से करीब 107 किलोमीटर दूर था
13:57और कारपेथिया अपनी फुल स्पीड पर भी चलता तब भी कारपेथिया को टाइटैनिक तक पहुँचने में 4 घंटों का समय लगने वाला था
14:04अब सवाल ये है कि क्या 4 घंटों तक टाइटैनिक सर्वाइव कर पाईगा
14:09जैसे जैसे टैनिक के आगे के इससे में पानी भरता जा रहा था वैसे वैसे जहाज आगे की ओर जुकता जा रहा था और पानी में धंसता चला जा रहा था
14:17जब टैनिक का टिल्ट बढ़ने लगा तो लोगों में अफरा तफरी मच गई
14:21अब सब को समझ आ चुका था कि टाइटैनिक अब डूब जाएगा
14:24और सब लोग अपने अपनी जान बचाने के लिए
14:27लाइफ बोट्स में चड़ने के लिए
14:29अपनी अपनी जगह बनाने की कोसिस करने लगे
14:31लाइफ बोट्स में फर्स्ट क्लास के लोगों को बचाने में ज़्यादा प्रायोटी दी जा रही थी
14:35और एक बचकत 50 मिनट पर जब जहाज से आखरी लाइफ बोट को उतारा गया
14:40उसके बाद भी जहाज पर 1500 से ज़्यादा लोग बचे थे
14:44चारों और खौफ का माहौल था जो लोग तैर सकते थे वो समुद्र के पानी में छलांग लगा रहे थे
14:50लेकिन इस समय तो समुद्र भी बेरहमी दिखा रहा था
14:53समुद्र का पानी माइनस दो डिगरी सेल्सेस तक ठंडा था
14:57इतने ठंडे पानी में कोई भी व्यक्ती ज्यादा से ज्यादा 15 से 30 मिनट तक ही जिंदा रह सकता था
15:02कुछ लोगों ने तो मौत को स्वीकार कर लिया और वो मौत को गले लगाने के लिए तैयार थे
15:07लेकिन इधर जहाज के क्रू मेंबर्स अभी भी मदद की आश में डिस्ट्रेस सिगनल्स भेजे जा रहे थे
15:13आसमान में फ्लेयर्स चला रहे थे ताकि आसपास मौझूद किसी जहाज का ध्यान उनकी ओर जाए और वो उनको बचा लें
15:20लेकिन कोई भी जहाज उनको बचाने के लिए नहीं आता
15:23टाइटैनिक में पानी के भरने की रफतार बढ़ती जा रही थी और टाइटैनिक बहुत तेजी से डूबने लगा
15:29टाइटैनिक का आगे का भाग पूरी तरह से पानी के अंदर घोस चुका था और पिछला वाला हिस्सा पानी के उपर उठने लगा
15:36अब जहाज के कप्तान स्मित ने अपने क्रियो को भी बोल दिया कि अपनी अपनी जान बचाओ
15:40लेकिन जैक फिलिप्स अभी भी अपनी जान की परवा किये बगेर डिस्ट्रेस सिगनल्स भेजने में जोटे हुए थे
15:46जब तक जहाज पर इलेक्टरिसिटी थी तब तक फिलिप्स उनकी मदद करने आ रही इकलोती शिप कारपेथिया से संपर्क बनाई हुए थे
15:54कैप्टन इसमित ने अपने जहाज को ना छोड़ने का फैसला किया जब जहाज का आगे का भाग पूरी तरह से पानी के अंदर घुश चुका था तो शौट सर्किट की वज़े से जहाज पर अंदेरा चा गया
16:05अटलांटिक ओशियन लोगों की चीखों से गूँज रहा था जहाज का पिछला भाग पूरी तरह से हवा में खड़ा था और दबाब इतना ज़्यादा बढ़ गया कि टाइटैनिक दो भागों में तूट गया
16:16और रात के दो बज़कर बीस मिनट पर आरेमेस टाइटैनिक देखते ही देखते अटलांटिक महासागर की गोद में समा गया
16:23कभी न डूबने वाला जहाज महज दो घंटे चालिस मिनट में समुद्र की गहराई में चला गया
16:29जो 1500 से ज़्यादा लोग इस पर सवार थे उनमें से कुछ इसके साथ ढूब गए और कुछ को समुद्र के ठंडे पानी ने मार डाला
16:36कैप्टन स्मित अंत तक अपने जहाज पर ही डटे रहे
16:40टाइटैनिक के डूबने के करीब दो घंटों के बाद अगले दिन की सुबह में कारपेथिया जहाज बचे हुए लोगों को रेस्क्यू करने के लिए पहुँचता है
16:49और केवल 706 लोग ही इस हादसे में जिन्दा बचे थे
16:53तीन दिनों के बाद 18 अपरेल 1912 को रात के साड़े नौ बजे कारपेथिया नियू यॉर्क में पहुचा
16:59जहाँ पर 40,000 लोग तेज बारिस में कारपेथिया का इंतिजार कर रही थे
17:04इस हादसे के बाद कई ऐसे सवाल खड़े हुए जिनका जवाब आज भी लोग खोज रहे हैं
17:10लेकिन जब इसकी इन्वेस्टिगेशन की गई तो एक चौकाने वाली बात सामने आई
17:14जब टाइटैनिक डूबा था तब उस पर मौजूद हरे एक व्यक्ति को बचाया जा सकता था
17:19क्योंकि टाइटैनिक से महज 37 किलोमीटर दूर एक और जहाज मौजूद था
17:24जो समय पर आकर मदद कर सकता था
17:26ये वही SS कैलिफॉर्नियन जहाज था जिसने आखरी बार टाइटैनिक को आईजबर्ग की चेतावनी भेजी थी
17:32लेकिन ऐसी क्या वज़ा थी कि SS कैलिफॉर्नियन जहाज टाइटैनिक की मदद करने के लिए नहीं गया
17:37जबकि उन्हें होराइजन में आसमान में छोड़ी जाने वाली फ्लेयर्स भी दिखाई दे रही थी
17:42तो इन्वेस्टिगेसन में पता चला कि समुद्र में आईजबर्ग के खत्रों को देखते हुए
17:46कैलिफॉर्नियन जहाज ने रात में आगे ना बढ़ने का फैसला किया
17:50और उन्होंने रात में अपने वायलेस रेडियो को भी बंद कर दिया था
17:53जिससे उनको टैटैनिक का कोई भी डिस्ट्रेस सिगनल रिसीव ही नहीं हो पाया
17:58जब ऐसेस कैलिफॉर्नियन के क्र्यू ने टैटैनिक से उड़ने वाले रॉकेट्स और फ्लेयर्स को देखा
18:03तो उन्होंने कैलिफॉर्नियन के कप्तान स्टैनली लॉर्ड को इस बात की जानकारी भी थी
18:07स्टेनली लॉर्ड ने अपने क्र्यू को मौर्स लेंप से टाइटैनिक को संकेत भेजने को कहा
18:12और SS कैलिफॉर्नियन का क्र्यू मौर्स लेंप से टाइटैनिक को सिगनल भेजता रहा
18:17लेकिन शायद टाइटैनिक पर इतनी हडबडी मची हुई थी कि किसी ने SS कैलिफॉनियन से आ रहे मौर्स सिगनल को नहीं देखा
18:25दरसल उस समय इस तरह की लेंप से डैसेज और डॉट्स के द्वारा एक दूसरे जहाज से संपर्क करने के लिए मौर्स कोड का इस्तमाल किया जाता था
18:33कास कैलिफॉनियन जहाज का रेडियो ओन होता तो शायद उस दुर घटना में इतनी जाने ना जाती
18:38टाइटनिक के इस हादसे को हुए साल दर साल गुजरती जा रही थी लेकिन एक सवाल जो लोगों को परिसान किये जा रहा था
18:45कि आखिर वो जहाज जिसे कभी न डूबने वाला जहाज बोला जाता था वो कैसे डूब गया
18:51इस सवाल का जवाब तभी मिल सकता था जब टाइटनिक जहाज का मलबा मिले
18:56खूब सारी खोजबीन की लेकिन अट्लांटिक महा सागर ने टाइटनिक को अपनी गोद में ऐसे छूपा रखा था
19:02कि उसका मलबा किसी को मिली नहीं रहा था
19:04आरेमेस टाइटानिक के मलबे को समुद्र की गहराईयों में ढूंडते ढूंडते 70 सालों से भी जादा का समय गुजर चुका था
19:11तब जाकर सेप्टेंबर 1985 में पहली बार टाइटानिक के मलबे की जलक देखने को मिली
19:17अमेरिकन ओस्यानिक के मलबे को खोज निकाला था
19:23और जब से टाइटानिक का मलबा मिला है तब से लेकर आज तक इस पर कई बार खोजबीन होती रही है
19:29लेकिन टाइटानिक के मलबे पर की गई शोदों ने इस बात की गुथी को सुलजा दिया
19:33कि ये अनसिंकेबल जहाज आखिर क्यों और कैसे डूबा
19:37ओशियनो ग्राफर्स के होश उड़ गए जब उन्होंने टाइटानिक के मलबे को देखा
19:41क्योंकि टाइटानिक समुद्र के बॉटम में दो हिस्सों में टूटा पड़ा है
19:45जहाज का आगे का हिस्सा बहुत ही अच्छी कंडीशन में है
19:48लेकिन पिछला वाला हिस्सा इतनी बुरी कंडीशन में है
19:51कि उसको देखकर ऐसा लगता है कि ये टाइटानिक का दूसरा भाग है ही नहीं
19:56और पिछला वाला हिस्सा फ्रंट वाले हिस्से से करीब 2000 फीट की दूरी पर है
20:00काफी खोजबीन के बाद पता चला कि जब टाइटानिक को बनाय गया था
20:04तब इसमें टाइटानिक के हलकों मजबूती देने के लिए जो रिवेट्स लगाई गई थी
20:08वो स्टील की नहीं बलकि कास्ट आइरन की थी
20:11यहां पर कंपनी ने जाज को बनाते हुए कॉस्ट कटिंग करने की कोशिस की
20:15अब चूंकि कास्ट आइरन स्टील से नरम होता है इस वज़े से जिस जगह पर आइसबर्ग टाइटानिक की बोड़ी से टकराया
20:21उस जगह के रिवेट्स प्रैसर पढ़ने की वज़े से खुल गई और आपस में जुडी प्लेट्स अपनी जगह से खिसक गई
20:28जहां से पानी को अंदर घुषने का रास्ता मिल गया
20:30आज टाइटैनिक का मलबा समुदर की गहराईयों में वातावरण से लड़ाई लड़ते हुए अपने अस्तित्व को खोता जा रहा है
20:37और ऐसा मना जाता है कि आने वाले कुछ सालों में समुदर से टाइटैनिक के ये निशान भी गायब हो जाएंगे
20:43टाइटैनिक की ये घटना सच में एक दिल देला देने वाली घटना थी
20:47लेकिन टाइटैनिक के डूबने के करीब 60 साल बाद
20:50एंडीज की पहाड़ियों में ऐसी ही एक दिल देला देने वाली घटना घटी
20:54जिसमें जमीन से हजारों फीट उपर एक वीरान पहाड़ी पर प्लेन क्रेस होता है
20:59और उस क्रेस में जो लोग बच गए थे उनके पास माइनस 30 डिगरी सेल्चेस के तापमान में ना खाना था ना थंड से बचने का कोई जरिया
21:07जिंदा रहने के लिए उन्हें अपने ही परिवार जनों की डेड बोडिज को खाना पड़ा
21:11वास्ता में फ्लाइट 571 की कहानी दिल को दहला देती है
21:15फ्लाइट 571 की कहानी को आप स्क्रीन पर देख रहे इस वीडियो में देख सकते हो
21:20मैं आपको वही मिलता हूँ
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