00:00जिन्दगी का आखरी दोर समसान जाके खत्म होता है लेकिन इस दोर के बाद भी कई अस्थियां ऐसी रह जाती हैं जो विसरजन नहीं हो पाता है।
00:30जिन्दगी का आखरी राजकुमार पांसी पिछले करीब 13 सालों से उठाते आ रहे हैं।
01:00कुछ अग्यात अस्थियां रहती हैं, कुछ पैसे के भावन ले जाते हैं कि वहाँ अधिक पैसा लेगा पंडित या कोई जिदान दशन लगेगी, किराया भाड़ा लगेगा वो नहीं ले जाते हैं।
01:10राजकुमार पांसी हरदा जिले की नगरपाली का मिपदस्थ हैं।
01:28इलावारिस अस्थियों के विसरजन का उनका सिलसिला साल 2011 से शुरू हुआ था। अब तक वो 45,000 से ज्यादा अस्थिया इलाहबाद त्रेमेणी घाट पर जाकर विसरजित कर चुके हैं।
01:40पासी जी इन्होंने अपना जो दौर है वो अकेले शुरू किया था लेकिन अब इनके साथ कई जिलों के से लोग इनके साथ जुड़े हुए हैं।
01:50जो भी इस तरह की अस्थिया होती हैं जो विसरजित नहीं होती हैं वो यहां बोपाल लेके आते हैं।
01:56और इसके बाद इलाबाद जाकि उनका स्थिवे सरजिन किया जाता है।
Be the first to comment