00:00एक बूढ़े आदमी के पास कुछ अच्छी अच्छी बक्रियों थी, उसने उनकी देखरेक के लिए एक चर्वाहा रखा, उसके पास एक बांसुरी थी, ऐसी अद्भुत बांसुरी जिसके बजाते ही हर जीवित चीज जितना कूद सकती थी, कूदने लगती थी।
00:13रोज सवेरे बूढ़ा आदमी उसके जोले में पावरोटी रख कर देता और कहता अपनी बांसुरी कम बजाना और बक्रियों को ज्यादा चराना।
00:21शाम को जब चर्वाह बक्रियों के साथ आता तो बूढ़ा डांट कर उसका स्वागत करता और कहता क्यों मेरे बेटे तुम कहां जाते हो किस चीज में मगन रहते हो बक्रियों ठीक से क्यों नहीं चराते हो जरा देखो तो बेचारी कैसी हो गई है बिलकुल भूग से मरी जा �
00:51अदमी ने सहमती में सिर हिलाया और कहा ठीक है बेटा लेकिन ध्यान रखना बक्रियों की देखभाल सबसे पहले आती है अब चर्वाहा हर दिन बक्रियों को चराने ले जाता और अपनी बांसुरी कम बजाता बक्रियों की देखभाल में अधिक ध्यान लगाने लगा