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  • 5 weeks ago
एक ऐसी महाकाव्य विज्ञान-फाई कहानी जो आपने पहले कभी नहीं सुनी होगी! जब ब्रह्मांड पर संकट आता है, तो योद्धा वायुमंत अपनी चेतना के साथ युद्ध लड़ता है। यह आत्म-खोज और बहादुरी की कहानी है। पूरी कहानी हमारे यूट्यूब चैनल पर देखें!

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Transcript
00:00प्रलाय कोश का द्वार
00:01निशुल्क हिंदी ई-बुक्स पढ़े मिमिफ्लिक्स डॉट कॉम पर
00:06वर्ष 3.1.2
00:09प्रित्वी से दूर ब्रहमांड के सबसे एकांत कोने में स्थित ओरेकल नौ उपग रहा
00:15जो हमारी आकाश गंगा की बाहरी सीमाओं पर जीवन और उर्जा के संकेतों की निगरानी करता था
00:22अचानक प्रित्वी की सभी प्रणालियों से कट गया
00:25उसकी स्वचालित सुरक्षा प्रणाली ने एक अंतिम हतार संकेत भेजा
00:31यह एक भयानक चेतावनी थी, द्वार जागरित हो गया है
00:36प्रल्यकोष खुल रहा है
00:39प्रित्वी की सबसे उन्नत अंतरिक्षिय अनुसंधान सेवा
00:43अंतरिक्षिय कमाण के कंट्रोल रूम में उस संकेत ने हडकम मचा दिया
00:48गहन खोजबीन के बाद पता चला कि यह संकेत एक ग्रेविटोनिक स्पाइरल से आया है
00:55यह एक अद्रिश्य खिंचाव था जो किसी अग्यात रहस्य में द्वार की ओर संकेत कर रहा था
01:02इसका केंद्र बिंदु था तिरो ब्रहमांड का सबसे स्थिर लेकिन रहस्य में खंड जहां समय और स्थान के नियम बे असर हो जाते थे
01:12उसी समय कई दूरस्ट ग्रहों पर एक अजीब घटना हो रही थी
01:17उनका समय रुक गया था
01:20हवा में धूल के कण स्थिर हो गए और जीवन का हर संकेत थम गया था
01:26अंतरिक्षिय कमांड ने इस घटना को स्थापन प्रले नाम दिया
01:31एक ऐसी स्थिती जो ब्रहमांड को धीरे-धीरे जड़ता में बदल देती थी
01:36यह कोई साधारन संकट नहीं था
01:40यह प्रकृती के ही नियमों के विरुद्ध था
01:42इन भयावा घटनाओं के बीच वायुमन्त जो पिछले छे वर्षों से मौनंतर में था
01:50अचानक प्रकट हुआ
01:52मौनंतर एक असाधारन अभ्यास था
01:55जिसमें एक योद्धा अपनी चेतना को भौतिक शरीर से अलग करके
02:00ब्रामान की अज्यात लहरों से जुड़ता था
02:03जैसे ही पृत्वी की पुकार उसके भीतर गूंजी
02:07वायुमन्त ने अपनी चेतना को वापस अपने शरीर में स्थापित किया
02:12उसकी आखे अब पहले से कहीं अधिक गहरी थी
02:16उसका कवच जो कभी एक साधारन धातु से बना था
02:22अब वैदिक उर्जा और स्पेस कम्प्यूटिंग का एक अध्भुत सन्योजन बन चुका था
02:27यह कवच किसी भी उर्जा के हमले को निश्क्रिय कर सकता था
02:32उसका नया यान सेंसरिय गुरुत्विय रेखाओं के भीतर यात्रा करने में सक्षम था
02:38बिना किसी गती या बलके
02:40यह एक जीवित चेतना की तरह था जो अपने पाइलट के विचारों के अनुसार चलता था
02:47वायुमंत अंतरिक्षिय कमांड के कमांडरों के सामने आया और एक गहरी शान्त आवाज में बोला
02:54यह कोई आकस्मिक संकट नहीं है
02:57यह उस प्राचीन चेतना की वापसी है जिसे केवल प्रलाय के समय ही उठना था
03:03द्वार खुला है अब मैं उस द्वार तक जाकर यह निरनय करूँगा कि उसे पुना बंद करना है या उसे पार करना है
03:11उसके शब्दों में कोई संशय नहीं था केवल एक योद्धा का द्रिड संकल्प था
03:18सेंसरियस ने गुरुत्विय रेखाओं का उप्योग करते हुए तिरों की और यात्रा शुरू की
03:24जैसे जैसे वे केंद्र के करीब पहुँचे वायुमंत ने महसूस किया कि उसकी शाररिक शक्ती कम होती जा रही है
03:32तिरों एक उर्जा निलय था ना प्रकाश ना अंधकार केवल गहन अनंत कमपन
03:39इस खेत्र में पहुँचते ही सेंसरियस की सभी उर्जा प्रणालिया निश्क्रिय हो गई
03:45यान अब केवल वायुमंत की चेतना से संचालित हो रहा था
03:50वायुमंत ने महसूस किया कि वह किसी अज्यात शक्ती से जुड़ा हुआ है
03:56फिर एक गहरी प्रतिध्वनित आवाज सुनाई दी वायुमंत तू तैयार है क्या
04:03जैसे ही वह केंद्र में पहुँचा उसके सामने एक द्वार प्रकट हुआ
04:08वह न भतिक था न आभासी बलकि एक ऐसी चेतना से बना था जो केवल उसी के लिए थी
04:16यहाँ द्वार था प्रल्यकोष एक ब्रहमांडिय सुरंग जो सभी नश्ट की गई उरजाओं और चेतनाओं को संग्रहित किये हुए थी
04:26जैसे ही वायुमन्थ ने उस चेतनादवार में प्रवेश किया एक आकरिती प्रकट हुई प्राचीन रक्षक नियंतरक
04:35उसने कहा यह प्रल्यकोष कभी न खुलने के लिए था
04:39प्रित्वी की अत्यधिक उरजाविकृती और चेतनाप्रसार ने इसे जागरत कर दिया है
04:46अब या तो इसे स्थाई रूप से बंद किया जाए या इसे उप्योग में लाया जाए
04:52वायुमन्थ बोला मैं इसे बंद करूँगा
04:55लेकिन ना बल से ना युक्ती से बल की अनुभव से
05:00मैं इस प्रलाय का सामना अपने भीतर के योद्धा से करूँगा
05:06नियंत्रक ने एक क्षण के लिए वाहुमन्थ को देखा और कहा
05:09तो तेरी पहली परीक्षा केवल बाह्य नहीं भीत्री होगी
05:14यदि तु अपनी ही चाया को स्वीकार नहीं कर सका तो तु इस द्वार को पार नहीं कर सकेगा
05:22वाहुमन्थ के समक्ष उसकी ही एक चाया प्रकट हुई एक ऐसा वाहुमन्थ जो भयंकर और निर्देई था
05:28दोनों के बीच युद्ध हुआ, अस्त्रों का नहीं, विचारों का
05:33एक बोला तु ब्रहमांड को बचाने की बात करता है, पर तु केवल विनाश करना जानता है
05:40दूसरा बोला संतुलन की रक्षा युद्ध से ही होती है, पर मोह से नहीं
05:46तु मेरी एक अधूरी कहानी है, एक रास्ता जिसे मैंने जान बूच कर नहीं चुना
05:52युद्ध बहुत लंबा चला
05:55वायुमंत ने अपनी छाया को गले लगा लिया और उसकी आखों से आसु निकलाए
06:01मैं तुझसे अलग नहीं, परन्तु मैं तुझसे बड़ा नहीं बनूँगा
06:07चाया विलीन हो गई, नियंत्रक ने सिर हिलाया
06:11यहाँ पहली परीक्षा थी वायुमंत, असली परीक्षा अभी बाकी है
06:18नियंत्रक के शब्द गूंजते ही, प्रल्यकोष की चेतना सुरंग का वातावर्ण बदल गया
06:25नियंत्रक ने कहा, यह प्रल्यकोष केवल वही बंद कर सकता है, जो इसके भीतर की उर्जा को नियंत्रित कर सके
06:33अब तुझे मेरे साथ युद्ध करना होगा
06:36नियंत्रक का शरीर चमकने लगा, और वह कई रूपों में बदल गया
06:43वायुमंत ने समझा कि यह युद्ध केवल बल का नहीं, बल की चेतना का था
06:48वायुमंत ने सेंसरियस से संकेत लिया
06:52उसका यान, जो अब तक निश्क्रिय था, वायुमंत की चेतना से जुड़ गया
06:59वायुमंत ने अपनी मौनंतर की शक्ती का उप्योग किया
07:03उसने नियंत्रक के हर हमले को पहले ही महसूस कर लिया
07:07सबसे पहले, नियंत्रक ने जैविक हथियार सक्रिय किया
07:12वायुमंत ने अपनी चेतना को अपने शरीर से अलग किया
07:17और उसे सिंसरियस के भीतर स्थापित कर दिया, जो एक कार बने के काई थी
07:22उसने हथियार को चक्मा दिया
07:25फिर, नियंत्रक ने समय और स्थान को मोडने वाली उड़जा का उप्योग किया
07:31वायुमंत ने अपनी मौन अंतर शक्ती का उप्योग किया
07:35और अपनी चेतना को समय की लहरों के साथ सिंक्रनाईज कर लिया
07:39उसने महसूस किया कि उड़जा की कमजोरिया कहा है और उसने उन पर प्रहार किया
07:46युद्ध कई घंटों तक चला
07:48हरक्षन, वायुमंत को अपनी ताकत और अपनी चेतना को सही दिशा में उप्योग करना पड़ रहा था
07:57अंत में, नियंतरत ने अपने परम रूप में प्रवेश किया और वायुमंत को अपने भीतर समाहित कर लिया
08:03वायुमंत ने महसूस किया कि वह ब्रहमांडिय शक्तियों के बीच फसा हुआ है
08:09उसने अपनी अंतिम शक्ति का उप्योग किया
08:13उसने अपनी चेतना को एक बिंदु में केंद्रित किया और उस बिंदु से एक ध्वनी उत्पन्न की
08:20ओम
08:21यह ध्वणी ब्रहमाण की पहली ध्वणी थी
08:24इस ध्वणी ने प्रल्यकोष की उर्जा को शांत कर दिया
08:29नियंत्रक का शरीर हिलने लगा और वहां अपने मूल रूप में लोट आया
08:35नियंत्रक ने वायूमन्थ की ओर देखा और कहा तू योग्य है वायूमन्थ
08:40तूने शक्ती को नियंत्रित करना सीख लिया है
08:44वायुमंत लोटा पर इस बार वह बदला हुआ था
08:48उसके शरीर पर कोई आभुशन या हत्यार नहीं था
08:53केवल एक निशान ओम उसकी हत्यली पर उभ्या था
08:58अंतरिक्षिय कमांड ने पूछा क्या द्वार बंध हो गया
09:02वायुमंत ने कहा हाँ परंटु उस द्वार को अब कुझी नहीं चाहिए
09:08वह तब खुलेगा जब हम स्वयम भीतर से गिरने लगेंगे
09:13यह निर्नय अप्रित्वी का है
09:16यह कहानी केवल अंतरिक्ष की नहीं
09:20बलकि चेतना की है जहां हर योद्धा को अपने भीतर उतर कर एक नया युद्ध जीतना होता है
09:26इस बार वायुमंत ने शत्रु को नहीं हराया उसने उसे समझा, स्वीकारा और समाहित कर दिया
09:34यही एक सचे अंतरिक्ष योद्धा की परिभाशा है
09:38समाप्त
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