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  • 2 months ago
गर्मियों की छुट्टियों में एक पुरानी किताब आरुषि को ऐसे जादुई सफ़र पर ले जाती है, जहाँ हर कदम पर रहस्य, रोमांच और अनजाने अनुभव उसका इंतज़ार कर रहे हैं। 🌌

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00:00आरुशी और समय का रहस्य मैं रहस्या निशल की बुक्स पढ़े मिमिफ्लिक्स डॉट कॉम पर गर्मियों की छुट्टिया थी और आरुशी अपने माता पिता के साथ दादी मा के घर आई थी
00:13दादी मा की किताबों वाली अलमारी में एक बेहत पुरानी किताब थी जिस पर लिखा था कल्पलोग कीचाबी
00:23ये किताब साधारण नहीं है दादी मा ने कहा ये उस जगह का रास्ता है जहां समय भी रुख जाता है
00:30आरुशी ने जैसे ही किताब खोली, कमरा रोशनी से भर गया और वहाँ अचानक एक अंजानी जगा पर पहुँच गई
00:39अब आरुशी एक जादूई जंगल में थी, जहां पेड भी नीले रंग के थे
00:45तभी एक सफेद, सुनेरे कानों वाला खरगोश उसके पास आया
00:51मैं मोती हूँ, सम्यश्री का दूत, तुम ही हो जिसे पहली पूरी करनी है
00:58मुझे क्यों? आरुशी ने हैरानी से पूछा
01:02क्योंकि तुम्हारे पास है सत्य को देखने वाली द्रिष्टी और दिल से सोचने की शक्ती
01:08मोती और आरुशी एक जील के किनारे पहुँचे जहां एक पत्थर पर लिखा था
01:14जब दिल सवाल पूछे और आत्मा उत्तर दे
01:18तब ही खुले कलपलोग का द्वार
01:21जील के पानी में जैसे ही आरुशी ने अपनी परचाई देखी
01:26वह एक सुनरे महल में बदल गई
01:28तुम तयार हो मोती ने कहा
01:32तीन परीक्षाई तुम्हारा इंतजार कर रही है
01:35पहली परीक्षा एक घाटी में थी
01:38जहां डर, दुख और क्रोध हवा में तैरते थे
01:42आरुशी को वहां से निकलने के लिए
01:45खुद से लड़ना पड़ा, अपने डर को स्वीकारना पड़ा
01:48गलतियों को माफ करना पड़ा
01:51और दुख को समझना पड़ा
01:53तुमने खुद को पहचान लिया
01:55घाटी की हवा ने कहा
01:57यही पहला उत्तर था
02:00अब वे पहुँचे एक जगह जहां
02:02आस्मान भी रंग बदल रहा था
02:04हर रंग एक भावना का प्रतीक था
02:08एक गहरी आवाज गूंजी
02:10सही रंग चुनों जो सच्चाई को दर्शाता हो
02:14कई बच्चों ने लाल, सुनहरा या नीला चुना
02:18पर आरुशी ने साधा सफेद चुना
02:21सफेद सब रंगों को समिटता है
02:24जैसे सच्चाई सब भावनाओं को समझती है
02:28उसने कहा
02:29तीसरी परीक्षा एक महल में थी
02:32जहां सैकडों आईने लगे थे
02:34हर आईना एक अलग रूप दिखाता
02:37कोई रानी, कोई योध्धा, कोई पराजित
02:40आरुशी ने उसाईने को चुना
02:43जिसमें वह रो रही थी
02:45लेकिन मुस्कान देने की कोशिश कर रही थी
02:49यही तूम हो न तूटने वाली और सच्ची
02:53अंत में आरुशी एक स्वर्ण मंदिर में पहुँची
02:57जहां सम्यश्री प्रकट हुई
02:59एक चमकदार आभा वाली देवी
03:01तुमने खुद को जान लिया
03:04पर क्या तुम समय को छोड़ कर
03:07दूसरों के लिए कुछ कर सकती हो
03:09आरुशी बोली
03:11अगर किसी की मदद के लिए
03:13मेरा समय थमे भी
03:15तो मैं तयार हूँ
03:16आरुशी फिर से
03:18दादी मा के कमरे में थी
03:20किताब गायप थी
03:22पर उसके पास एक सुनहरी
03:24घड़ी थी जिसमें लिखा था
03:27जब भी तुम्हारा मन सच्चा
03:29होगा कलपलोग फिर बुलाएगा
03:31कहानी की सीख
03:33सच्ची शक्ती
03:35आत्मग्यान
03:36साहस और दूसरों की सहायता
03:38करने की भावना में होती है
03:40जब हम अपने भीतर की
03:43सच्चाई को पहचानते हैं
03:45तभी हम दुन्या को बहतर
03:47बना सकते हैं
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