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  • 2 weeks ago
Alif Laila_ A World of Magic and Mystery _

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Animals
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00:00जोही मचुवारे ने गागर का ढखकन खोला, दैत्य बाहर निकलाया, और उसने ठोकर मार कर गागर को नदी में डुबो दिया, मचुवारा यह देखकर घबरा गया और बोला, हे दैत्य, क्या तुम अपने वचन पर स्थिर नहीं रहना चाहते, मचुवारे के भयभीत होने �
00:30जोचकर मचुवारे से दैत्य ने कहा, तुम इन मचुवारे ने कहा, तुम इन मचलियों को लेकर यहां के राजा के पास जाओ, वह तुझे इतना धन देगा जो तुने देखा भी ना होगा, किन्तु एक बात का ध्यान रखना, तालाब में एक दिन में एक ही बार जाल दा
01:00महल में ले गया। बादशाह उन मचलियों को देखकर अत्यंत प्रसन्न हुआ। उसने अपने मंत्री से कहा कि ये मचलियां बावर्चिन के पास ले जाओ।
01:30पर चड़ी मारी और बोली ओ मचलि क्या तु अपनी प्रतिग्या पर कायम है। मचलि में कोई हरकत ना हुई। स्त्री ने फिर चड़ी मारी और अपना प्रशन दोहराया। इस पर चारों मचलियां उठ खड़ी हुई और बोली ये सच्ची बात है कि तुम हमें मानोगी तो ह
02:00वह अत्यंत दुखी होकर रोने लगी। वह सोच रही थी कि राजा को मेरी बात पर विश्वास ना होगा। वह इसी चिंता में बैठी ही थी। कि तभी मंत्री ने आकर पूछा कि मचलियां पक चुकी है या नहीं। बावर्चिन ने मंत्री को सारा हाल बताया। मंत्री को �
02:30उस तालाब पर गया और उसी प्रकार की चार रंगों वाली मचलियां उसके जाल में फसी। मचलियां लेकर वह मंत्री के पास पहुँचा। मंत्री ने उसे कुछ इनाम दिया और बावर्चिन के पास मचलियां लाकर कहा कि इन्हें मेरे सामने पकाओ। बावर्चिन ने प
03:00जैसी हो गई, मंत्री यह सब देखकर स्थब्ध रह गया, अब उसने यह बात राजा को बता देना ही ठीक समझा, जब उसने राजा को यह कांड बताया, तो उसे भी घौर आश्चर्रे हुआ, उसने कहा कि मैं स्वयम अपनी आँखों से यह सब देखना चाहता हूँ, उसने �
03:30हटा दो, और तुम खुद मेरे सामने इन मचलियों को पकाओ, मंत्री ने मचलियां पकाना शुरू किया, जब एक और लाल होने पर मचलियों को पलटा गया, तो एक बार फिर दीवार फट गई, किन्तु इस बार उसमें से सुंदरी नहीं निकली, बलकि गुलामों जैसा क�
04:00इबादशाह ने मंत्री से कहा, यह अदभुद घटना मैंने स्वयन देखी है, वरना मैं इस पर विश्वास न करता, यह मचलियां भी साधारन नहीं है, मैं इस रहस्य को जानने के लिए बड़ा उत्सुक हूँ, यह कहकर उसने मचुवारे को फिर बुलवाया, और उससे �
04:30तु मुझे वहाँ ले जा सकता है, मचुवारे ने कहा, वह तालाब यहां से तीन घड़ी के रास्ते पर है, और मैं आपको जरूर वहाँ ले जाऊंगा, उस समय दिन कम ही रह गया था, किन्तु बादशाह को ऐसी उत्सुकता थी, कि उसने अपने दरबारियों और रक्षक
05:00और जिन चार रंगों की मचलियां उसे मचुवारे से मिलती थी, वैसी अंगिनत मचलियां उस तालाब में तैर रही थी, बादशाह का आश्चर और बड़ा, उसने अपने दरबारियों और सरदारों से पूछा कि तुम लोगों ने पहले भी इस तालाब को देखा है या न
05:30और कहा, मैं इस भेद को जानने के लिए अती उच्चुख हूँ कि उस बावर्ची खाने में रहस्य मई गुलाम कैसे आया और उसने मचलियों से कैसे बात की, और यह भी जानना चाहता हूँ कि यह तालाब जिसे किसी ने नहीं देखा था, अचानक कहां से आ गया, मैं अप
06:00मंत्री ने बादशा को बहुत समझाया, महराज आप यह न करे, इस काम में बड़ा खत्रा है, यह भी संभव है कि इतना सब करने के बाद भी आपको कोई रहस्य ग्यान न हो पाए, फिर बेकार में क्यों इतना कश्ट उठा रहे हैं और इतना खत्रा मोल ले रहे हैं, बाद
06:30और उसे एक सुंदर भवन दिखाई दिया, वह भवन देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ और उसे आशा बंधी कि उसे इस जगह तालाब के रहस्य का पता चलेगा, भवन के निकट पहुँचकर उसने देखा कि वह बड़ा विशाल है और काले पत्थरों का बना है, बादशा
07:00की ताली की आवाज अंदर तक नहीं पहुची होगी, सांकल खड़ खड़ाने पर भी जब कोई नहीं निकला, तो बादशाह को क्रोधाया की अजीब घर है, जहां बुलाने पर भी कोई आकर नहीं पूछता, वह अंदर चला गया और जोर से पुकारा कि क्या इस भवन के अ
07:30कर अपनी करुण कथा कह रहा है, और अपने दुरभाग्ये को कोस रहा है, बादशाह ने उस कमरे का परदा उठाया, जिसमें से यह आवाज आ रही थी, उसने देखा कि एक नव युवक सिंहासन जैसी किसी उची चीज़ पर राज सी वस्त्र पहने बैठा है, और करुण स
08:00आप मुझे बताएं कि मैं आपका कष्ट किस प्रकार दूर कर सकता हूँ, कृपिया मुझे अपनी कठिनाई बताने में तनिक भी न हिचके, कृपिया यह बताएं कि आप यहाँ इस मजबूरी की हालत में कैसे पड़े हैं, यह भी बताएं कि यह भव्य भवन किसका है और �
08:30और वह बोला, मुझे तो वैसे यहाँ की प्रत्येक बस्तु देखकर आश्चर्य हो रहा था, किन्तु आपका यह हाल देखकर मेरा आश्चर्य और उत्सुक्ता बहुत बढ़ गई है, भगवान के लिए अपना हाल कहिए, मुझे विश्वास हो रहा है कि तालाब की रंग-
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