00:00तब्रक तब्रक तब्रक अब बता कहां है जगन भाईया कहे रहे थे कि उन्हें कुछ स्वादिश्ट खाने का मन कर रहा है इसलिए किसी भक्त के घर गए है यह 56 भोग छोड़कर कौन सा स्वादिश भोग खाने गया है वो
00:15अरे यह टोकरी इतने हलकी कैसे हो गई सब जगनात प्रभु की माया है श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारे एनात नारायन वासुदेव
00:45देखो जगदीश आज तुम्हारे लिए कितनी सबजी डाल रही हूँ किचडी में
01:15लो प्रभु खाना खालो
01:22कितनी स्वादिश्ट खिचडी तो पहले कभी नहीं खाई
01:32सच में इससे स्वादिश्ट खिचडी मैंने पहले कभी नहीं खाई
01:45आज प्रभु ने हमें दिखा दिया कि उन्हें चपन भोग, सुन्दर वस्त्र आभूशन इन सबसे कोई मोह नहीं है
01:54हमारे प्रभु भोग के नहीं भक्ती के भूखे हैं
01:58हे माई, आप धन्य हैं, आप जैसी भक्ती सब को मिले
02:03आपने अपनी खिचडी से स्वायम प्रभु को वश में कर लिया, यही सच्ची भक्ती है
02:09सब जगनात प्रभु की माया है, जै जगनात
02:16जै जगनात