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00:00अथ
00:09हलाद इंसान को क्या से क्या बना देते हैं
00:14किस चीज की कमी है
00:17छोटी सी जमीन का टुकडा नहीं भूल पा रहे
00:20तुम्हारी भावी क्यों नहीं भूल गई उस जमीन के छोटे से टुकटा को
00:26क्योंकि हो जमीन का टुकडा हमेशा से हमारे घर में ही आता रहा है
00:30आज मुझे अंदाजा हो रहा है कि मुझे तुम्हारी तरफ घीचा चला आता था
00:36मुझे जानना तो रिदा के पास होता था
00:38तुम्हारे पास आ जाता था
00:41तुम पहले पागल नहीं थे, आप पागल हो गर अकर मलकों तुष्मनी निभाने होती तो वो आद को ठाके ले जा सकते थे फाद को ठाके ले जाते शेर को असाइलम से क्यों उठा के ले गए?
00:59सब चाहरे है कि मेरा ध्यान डॉक्टर फजर पे जाए जाए
01:01सबी सिल्य उसके पीचे पढ़ गए
01:06मेरा फोना बंद होगा, कुछ सिन के ले नहीं पूरूनी ठीक है
01:09जब मझे तुम्हारी याद आए तो क्या करो
01:11मेरी याद क्यों आएगी?
01:13तुम्हें मेरी याद नहीं आएगी क्या?
01:15आएगी
01:16तुम्हास बंद करो
01:22तो आप मौका कम दिया कीजिये ना ताज बीबी
01:25अब बहुत वप गुजर चुका है
01:28एक मिनिट
01:30देख रही हूं मैं
01:33गोली लगने के बाद
01:35तुम्हारी जबान बड़ी देश चला शरू हो कही है
01:38पहली बार भी पुलिस हमारे घर ताब आई थी
01:41जब तुम घर से भागी थी
01:42और आज भी
01:44बस
01:46मैं बदर जमान को ये बताना चाहता हूं
01:48कि उसे जमीन चटाने के लिए
01:50मेरी बेटी काफी है
01:51तबश
01:52शेर को कौन उठा के लेगा है?
01:54जब तक मुझे मेरे बेटा वापस ने मिल जाता मैं हर इंसान पे शक्र हूं
01:59मैं तो कहता हूं तुम मेरे हवाले कर दो से खुद साहिप पे हो जाओ
02:03फजर बगए गहर वालों की मदद के
02:07शेर को खाइब थोड़ी कर सकती
02:09ना उसे खाइब कर सकती है ना उसे टीक कर सकती है
02:12एक आमसी लर्की है वस
02:13एक आमसी डॉक्टर
02:15शेर मर जाए या ठीक हो के वापस आ जाए
02:19दोनों सुरतों में हम ही थड़क पे आएंगे
02:22थूरी तो हमारे गले पी चलनी
02:24काश बाबा
02:34जो मैं कर आए हूँ आपको बता सकती
02:38कभी कभी खून के रिष्टों से बढ़कर इनसान का रिष्टा होता है
02:43एसान का रिष्टा होता है
02:46किसी बेबस का होता है बस्वाले के साथ
02:52सबसे अजीम रिष्टा
02:55और चितना अजीम रिष्टा
02:57अतनी अजीम गुर्बानी
03:27बार बार तुम्हें देखने को
03:33तुमसे मिलने को करता है
03:35ये बेचैनी बेता भी मेरी समझ से बाहर है
03:38अब तुम्हारे बारे में सोचता हूँ तुम दिल की दड़का नित्यस हो जाती है
03:43मुझे साफ साफ सुना ही देती है
03:45तुम्हें तो इस बात की भी ख़बर नहीं कि मैं
03:51तुम्हारे लिए कितना बेकरार
04:08मैं सब तो दिल की यही असरत है दूआ
04:10कि तुम से मिल के तुम्हें अपना बनाना है
04:13तुम्हें तुम्हें इनी फीलिंग्स कभी पता नहीं हुगा
04:19अगर वो कहते हैं ना
04:24अगर नियत अच्छी हो तो मकसद हासिल हो ही जाता है
04:28जो आख अगर देज हो रहा है
04:33पर तुम्हारा इंतसार करूंगा
04:34जो आख नहीं हो तुम्हारा उत जाख थाजना है
04:41जो आख अगर जादा देज हो तो भी थे पानी के पटिया करें आप शेर को
04:45जी जी वो ही कर रहा है छोटे रज़ को किसी भी पल सुकून नहीं आ रहा है
04:51बेमारी अगर पुरानी हो तो ठीक हो अन्य में वक्त तो लगता है ना
04:56लेकर अगर शेर अग्रेसिव हो या उसका ब्लड पेशर हाई हो या फिर उसको सांसे ने मुश्किल हो तो आपने फॉर्ण्स को वो ड्रिप देनी जो मैं आपको दे कर आई थी
05:06हलो वीवर्स सोपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्तुन पेमली से तालुक रिखती थी संजीदा खामोश और हर बात में माबाप की इज़त को मुकदम रिखने वाली वो इन्वेस्टिय में अर्दू अदब के तालबा थी किताबों से महबत करती थी और दि
05:36इसी इन्वेस्टिय में सकालर्शिप पर आयता वो सोपय से पहली बार लाइबरेरी में मिला जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े वो मामूली लमहा एक खामोश अगास बन गया पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले पिर नजमों
06:06खौब के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सोपया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था और हसन के लिए चुप रहे ना सजा जब हसन ने रिश्
06:36मिल्क छोल दिया सूपया घर के डाइनमिक केद हो गई लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका फिर एक दिन सूपया अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके थी जब एक तालीमी कामफर्स में शरीक हो थी है तो एक मकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है वो
07:06सब के सामने वो कहता है कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते हैं सूपय के आखों से बहते आसू और खामोश हा एक नहीं शुरुआत बन की जाती है ऐसी शुरुआत जो मौाश्य के डर से नहीं दिल के होसले से होती है गर आप इस ड्रॉमसल के हवाले से अपने
07:36करकती थी संजीदा खामोश और हर बात में माबाप की इज़त को मुकदम रिखने वाली वो इन्वस्टे में अर्दू अदब के तालबा थी किताबों से महबत करती थी और दिल में चुपी हुई खाहश रिखती कि कभी कोई से लबजों में चाहे बिना शर्द बिना तका�
08:06पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े उन मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले पिर नजमों में चुपी बात थी और दिल में चुपी जजबाद हसन सुफिया से महबत करने लगा वो उसे न सि
08:36कि इसने अपने पसंद से शादी कीती सुफिया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था और हसन के लिए चुप रहना सजा जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुफिया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नही
09:06दे मिटा ना सका फिर एक दिन सूबिया अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके थी जब एक तालीमी कांफर्स में शरीक होती है तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था स्टेज पर कड़े होकर वो अपन
09:36उससे बेहते हासू और खमोश हा एक नए शुरुआत बन की जाती है ऐसी शुरुआत जो मौच्छे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है गर आप इस ड्रामसल के हवाले से बनारा की जाल देना जाते है तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूट्यूब का च
10:06जाली वो इन्वेस्टे में अर्दो अदब के तालबा थी किताबों से महबत करती थी और दिल में चुपी हुई ख़ाएश रिकती कि कभी कोई से लबजों में चाहे बिना शर्द बिना तकाजे के हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और गुलह मिजाज लड़का जो इंजिन
10:36एक खामोश अगास बन गया पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नजमों में चुपी बात थी और दिलों में चुपी ज़जबाद हसन सुपया से महबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
10:49वीवर्स सुपया को भी इसके खलूस ने जो कर लिया
10:54मगर वो एक खौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
11:00कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुपया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जेसा था
11:06और हसन के लिए चुप रहना सजा जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
11:13कि हम बेटियों को बेचा नहीं करते मुहबत नहीं सुनते
11:18सुपया ने चुप से आगे बड़े मगरिस के दिल वही रह गिया
11:22साल उगुजर गए हसन ने मुल्क छोड़ दिया
11:26सुपया गर के दाइनमिक केद हो गई लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
11:31फिर एक दिन सुपया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
11:36जब एक तालीमी कांफर्स में शरीक होती है
11:39तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
11:43वो हसन था जो मशूर शायर उज्दाद बन चुका था
11:46स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पड़ता है
11:49जिसमें हर लब सुपया के लिए होता है
11:52हर सतर इसके खौपामोशी को जवाब देती है
11:54सब के सामने वो कहता है
11:56कुछ रिच्टे वक्त से नहीं इरादे सी जीते है
11:59सुपय के आखो से बेहते आसू और खामोश हा
12:03एक नहीं शुरुआद बन की जाती है
12:05ऐसी शुरुआद जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
12:09गर आप इस ड्रामसल के हवाले से बने रादे की जाल देना जाते है
12:14तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
12:18तैंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
12:44से आया हुआ एक जहीन और कुलह मिजाज लड़का जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
12:49इसी इन्वस्टिय में सकालर्शिप पर आया था वो सोब्या से पहली बार लाइबरेरी में मिला
12:54जहा पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े
12:59वो मामूली लमहा एक खामोश अगास बन गया पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले पिर नजमों में चुपी बात थी और दिलों में चुपी जजबाद
13:08हसन सुपीया से महबबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
13:14वीवर्ज सुपीया को भी इसके खलूस ने जो कर लिया
13:18मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसलिए गर से निकाल दिया था
13:25कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुपीया के लिए अपनी महबबत को जबान देना गुना जहसा था
13:31और हसन के लिए चुप रहना सजा जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपीया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
13:38कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबबत नहीं सुनते
13:42सुपीया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गया
13:47साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
13:50सुपीया गर के डाइनमिक केद हो गई
13:53लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
13:56पर एक दिन सुपीया अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके थी
14:01जब एक तालीमी कांफर्स में श्रीक हो थी है
14:04तो एक मकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
14:08वो हसन था जो मशूर शायर उज्दाद बन चुका था
14:11स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
14:14जिसमें हर लब सोप्य के लिए होता है
14:16हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
14:19सबके सामने वो कहता है
14:21कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
14:23सोप्य के हाकों से बहते आसू और खामोश हा
14:28एक नई शुरुआत बन की जाती है
14:30ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
14:34गर आप इस ड्रामस लिक के हवाले से बने रादे की जाल देना जाते है
14:38तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मद बूलिए
14:42थैंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
14:44हलो वीवर्स
14:45सूपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रखती थी
14:50संजीदा
14:51खामोश और हर बात में
14:53माबाप की इज़त को मकदम रखने वाली
14:55वो इन्वेस्टिय में अर्दू अदब के तालबा थी
14:58किताबों से महबत करती थी
15:00और दिल में चुपी हुई खाएश रिखती
15:03कि कभी कोई से लबजों में चाहे
15:05बिना शर्द बिना तकाजे के
15:07हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन
15:10और गुल हमिजाज लड़का
15:11जो इन्जिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
15:14इसी इन्वस्टी में स्कालरशिप पर आयता
15:16वो सोफिया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
15:19जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
15:24वों मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया
15:26पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नज़मों में चुपी बाते और दिलों में चुपी ज़जबात
15:32हसन सोफिया से महबत करने लगा वो उसे ना सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
15:39वीवर्स सोफिया को भी इसके खलूस ने जो कर लिया
15:43मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
15:49कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सोफिया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जैसा था
15:56और हसन के लिए चुप रहना सजा
15:57जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपिया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
16:03कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
16:07सुपिया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
16:12साल उगुजर गए हसन ने मिल्क छोड़ दिया
16:15सुपिया गर के डाइनमिक केद हो गई
16:17लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
16:20पर एक दे सुपिया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
16:25जब एक तालीमी कांफर्स में श्रीक होती है
16:28तो एक मकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
16:32वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
16:35स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
16:38जिसमें हर लब सुपिया के लिए होता है
16:41हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
16:44सब के सामने वो कहता है
16:45कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
16:48सुपिया को से बहते आसू और खामोश हा
16:52एक नई शुरुआत बन की जाती है
16:54ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं
16:57दिल के होसले से होती है
16:58गर आप इस ड्रामस के होले से बने रादे की जाल देना जाते है
17:03तो कमेंट सेक्शन में देजी
17:04और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना बद बूलिए
17:07तेंस बर वाचिंग अला हाफ़ेज
17:09हेलो वीवर्स
17:10सोपय पिशावर के एक पुरानी मगर बावकार पुष्टून पेमली से तालुक रखती थी
17:15संजीदा
17:15खामोश और हर बात में
17:17माबाप की इज़त को मुकदम रखने वाली
17:20वो इन्वेस्टिय में अर्दू अदब के तालबा थी
17:22किताबों से महबत करती थी
17:25और दिल में चुपी हुई खौईश रिखती
17:27कि कभी कोई से लबजों में जाहे
17:30बिना शर्द बिना तकाजे के
17:32हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन
17:34और कुल हमिजाज लड़का
17:36जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
17:39इसी इन्वर्स्टिय में सकालर्शिप पर आयता
17:41वो सुपया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
17:44जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े
17:48वो मामूली लमहा एक खामोश अगाज बन गया
17:51पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले पिर नजमों में चुपी बाते और दिलों में चुपी जजबाद
17:57हसन सुपया से महबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
18:03वीवर्स सुपया को भी इसके खलूस ने जो कर लिया
18:08मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
18:14कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुपया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था
18:20और हसन के लिए चुप रहना सजा
18:22जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
18:27कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
18:31सुपया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
18:36साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
18:39सुपया गर के दाइनमिक केद हो गई
18:42लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
18:45पर एक दिन सुपया अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके दी
18:50जब एक तालीमी कांफर्स में शरीक होती है
18:53तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
18:57वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
19:00स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
19:03जिसमें हर लब सुपया के लिए होता है
19:05हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
19:08सब के सामने वो कहता है
19:10कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इराद से जीते है
19:13सुपय के हाकों से बहते आसू और खामोश हा
19:17एक नई शुरुआत बन की जाती है
19:19ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
19:23गर आप इस ड्रामस लिक के हवाले से बने राद की जाल देना जाते है
19:27तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
19:31तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
19:33हलो वीवर्स
19:34सोपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रखती थी संजीदा
19:40खामोश और हर बात में
19:42माबाप की इज़त को मुकदम रखने वाली
19:44वो इन्वेस्टे में अर्दू अदब के तालबा थी
19:47किताबों से महबत करती थी
19:49और दिल में चुपी हुई खाएश रिकती
19:52कि कभी कोई से लबजों में चाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
19:56हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और कुल हमिजाज लड़का
20:00जो इन्जिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
20:03इसी इन्वस्टी में सकालर्शिप पर आयता
20:05वो सुपीय से पहली बार लाइबरेरी में मिला
20:08जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
20:13वों मामूली लम्हा एक खामोश खाज बन गया
20:15पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नज़मों में चुपी बाते और दिलों में चुपी ज़जबात
20:22हसन सुपीय से महबत करने लगा वो उसे ना सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
20:28वीवर्स सुपीय को भी इसके खलूस ने जोकर लिया
20:32मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
20:38कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुपीय के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था
20:45और हसन के लिए चुप रहना सजा
20:47जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपीय के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
20:52कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
20:56सुपीय ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
21:01साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
21:04सुपीय गर के डाइनमिक केद हो गई
21:07लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
21:10पर एक दिन सुपीय अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके थी
21:14जब एक तालीमी कांफर्स में शरीक होती है
21:17तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
21:21वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
21:24स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
21:28जिसमें हर लब सुपीय के लिए होता है
21:30हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
21:33सब के सामने वो कहता है
21:34कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
21:37सुपीय के हाकों से बहते आसू और खामोश हा
21:42एक नई शुरुआत बन की जाती है
21:44ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
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21:52तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मद बूलिए
21:56तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
21:58हलो वीवर्स
21:59सूपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रखती थी संजीदा
22:04खामोश और हर बात में
22:06माबाप की इज़त को मुकदम रखने वाली
22:09वो इन्वेस्टे में अर्दू अदब के तालबा थी
22:12किताबों से महबत करती थी
22:14और दिल में चुपी हुई खौईश रिकती
22:17कि कभी कोई से लबजों में जाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
22:21हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और कुल हमिजाज लड़का
22:25जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
22:28इसी इन्वर्स्टी में स्कालरशिप पर आयता
22:30वो सोपया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
22:33जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े
22:37वो मामूली लम्हा एक खामोश अगाज बन गया
22:40पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नजमों में चुपी बाते और दिलों में चुपी जजबात
22:46हसन सुफया से महबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
22:52वीवर्स सुफया को भी इसके खलूस ने जो कर लिया
22:57मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
23:03कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुफया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था
23:09और हसन के लिए चुप रहना सजा
23:11जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुफया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
23:16कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
23:20सुफया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गया
23:25साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
23:29सुफया गर के दाइनमिक केद हो गई
23:31लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
23:34पर एक दिन सुफया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
23:39जब एक तालीमी कामफर्स में श्रीक होती है
23:42तो एक मकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
23:46वो हसन था जो मशूर शायर उज्दाद बन चुका था
23:49स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
23:52जिसमें हर लब सुफया के लिए होता है
23:54हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
23:57सब के सामने वो कहता है
23:59कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
24:02सुपय के आखों से बहते आसू और खामोश यहा
24:06एक नहीं शुरुआत बन की जाती है
24:08ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं
24:10दिल के होसले से होती है
24:12गर आप इस ड्रामस लिक के होले से अपने रादे की जाल देना जाते है
24:16तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मद बूलिए
24:21तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
24:22हेलो वीवर्स
24:24सोपय पिशावर के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रिखती थी संजीदा
24:29खामोश और हर बात में
24:31माबाप की इज़त को मुकदम रिखने वाली
24:33वो इन्वेस्टिय में अर्दू अदब के तालबा थी
24:36किताबों से महबत करती थी
24:38और दिल में चुपी हुई खाएश रिखती
24:41कि कभी कोई से लबजों में जाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
24:45हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और कुलह मिज़ाज लड़का
24:49जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
24:52इसी इन्वस्टिय में सकालर्शिप पर आयता
24:55वो सुपीय से पहली बार लाइबरेरी में मिला
24:57जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े
25:02वो मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया
25:05पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले
25:22खौप के साथ जीती थी
25:24अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
25:28कि इसने अपने पसंद से शादी की थी
25:30सुपीय के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था
25:34और हसन के लिए चुप रहे ना सजा
25:36जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपीय के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
25:41कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
25:45सुपीय ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
25:50साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
25:53सुपीय गर के दाइनमिक केद हो गई
25:56लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
25:59पर एक दिन सुपीय अब एक स्कूल में फ्रेंसीपल बन चुके थी
26:03जब एक तालीमी कांफर्स में श्रीक होती है
26:07तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
26:10वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
26:14स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पलता है
26:17जिसमें हर लब सुपीय के लिए होता है
26:19हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
26:22सब के सामने वो कहता है
26:24कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
26:26सुपीय के हाकों से बहते आसू और खामोश यहा
26:31एक नई शुरुआत बन की जाती है
26:33ऐसी शुरुआत जो मौाश्य के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
26:37गर आप इस ड्रामस लिक के हवाले से बने रादे की जाल देना जाते है
26:41तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
26:45तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
26:47हलो वीवर्स
26:48सूपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रखती थी संजीदा
26:54खामोश और हर बात में
26:55माबाप की इज़त को मुकदम रखने वाली
26:58वो इन्वेस्टे में अर्दो अदब के तालबा थी
27:01किताबों से महबत करती थी
27:03और दिल में चुपी हुई खाएश रिकती
27:06कि कभी कोई से लबजों में जाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
27:10हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और कुल हमिजाज लड़का
27:14जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
27:17इसी इन्वस्टी में स्कालरशिप पर आयता
27:19वो सोफिया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
27:22जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नजरे एक साथ पढ़े
27:26वों मामूली लम्हा एक खामोश अगाज बन गया
27:29पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नजमों में चुपी बाते और दिलों में चुपी जजबात
27:35हसन सुफिया से महबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
27:41वीवर्स सुफिया को भी इसके खलूस ने जोकर लिया
27:46मगर वो एक खौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसलिए गर से निकाल दिया था
27:52कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुफिया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जहसा था
27:58और हसन के लिए चुप रहना सजा जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुफिया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
28:05कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
28:10सुफिया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
28:14साल उगुजर गए हसन ने मिल्क छोल दिया
28:18सुफिया गर के दाइनमिक केद हो गई
28:20लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
28:23पर एक दिन सुफिया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
28:28जब एक तालीमी कामफर्स में श्रीक होती है
28:31तो एक मकरर की आवाज सुनते ही साकत रह जाती है
28:35वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
28:38स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
28:41जिसमें हर लब सोपय के लिए होता है
28:44हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
28:46सब के सामने वो कहता है
28:48कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
28:51सोपय के आखों से बहते आसू और हमोश हा
28:55एक नई शुरुआत बन की जाती है
28:57ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
29:01गर आप इस ड्रामसल के होले से एपने रादे की जाल देना जाते है
29:06तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मद बूलिए
29:10तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
29:12हेलो वीवर्स
29:13सोपय पिशावर के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रिखती थी संजीदा
29:18खामोश और हर बात में
29:20माबाप की इज़त को मुकदम रिखने वाली
29:23वो इन्वेस्टिय में अर्दू अदब के तालबा थी
29:25किताबों से महबत करती थी
29:27और दिल में चुपी हुई खाएश रिखती
29:30कि कभी कोई से लबजों में चाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
29:34हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और कुलह मिज़ाज लड़का
29:39जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
29:41इसी इन्वर्स्टिय में सकालर्शिप पर आयता
29:44वो सुपीय से पहली बार लाइबरेरी में मिला
29:47जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
29:51वो मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया
29:54पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नज़मों में चुपी बाते और दिलों में चुपी ज़जबाद
30:00हसन सुपीय से महबत करने लगा वो उसे ना सिरफ पढ़ता बलके समझता भीता
30:06वीवर्स सुपीय को भी इसके खलूस ने जोकर लिया
30:10मगर वो एक खौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
30:17कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सुपीय के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जैसा था
30:23और हसन के लिए चुप रेना सजा
30:25जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपीय के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
30:30कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
30:34सुपीय ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गिया
30:39साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
30:42सुपीय गर के दाइनमिक केद हो गई
30:45लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
30:48पर एक दिन सुपीय अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
30:53जब एक तालीमी कामफर्स में शरीक होती है
30:56तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
31:00वो हसन था जो मशूर शायर उस्ताद बन चुका था
31:03स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
31:06जिसमें हर लब सुपीय के लिए होता है
31:08हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
31:11सब के सामने वो कहता है
31:13कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
31:15सुपीय के हाकों से बहते आसू और खामोश यहा
31:20एक नई शुरुआत बन की जाती है
31:22ऐसी शुरुआत जो मौाश्य के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
31:26गर आप इस ड्रामस लिक के हवाले से बने रादे की जाल देना जाते है
31:30तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सबस्क्राइब करना मत बूलिए
31:34तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
31:36हलो वीवर्स
31:37सूपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रखती थी
31:42संजीदा, खामोश और हर बात में
31:45माबाप की इज़त को मुकदम रखने वाली
31:47वो इन्वेस्टे में अर्दू अदब के तालबा थी
31:50किताबों से महबत करती थी
31:52और दिल में चुपी हुई खाएश रिकती
31:55कि कभी कोई से लबजों में चाहे
31:57बिना शर्द, बिना तकाजे के
31:59हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन
32:02और कुल हमिजाज लड़का
32:03जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
32:06इसी इन्वर्स्टी में स्कालर्शिप पर आयता
32:08वो सोफिया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
32:11जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
32:16वो मामूली लम्हा एक खामोश अगाज बन गया
32:18पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नज़मों में चुपी बाते और दिलों में चुपी ज़जबाद
32:25हसन सोफिया से महबबत करने लगा वो उसे न सिरफ पढ़ता बलके समझता भीता
32:31वीवर्स सोफिया को भी इसके खलूस ने जोकर लिया
32:35मगर वो एक हौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसलिए गर से निकाल दिया था
32:41कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सोफिया के लिए अपनी महबबत को जबान देना गुना जहसा था
32:48और हसन के लिए चूप रहना सजा जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सूपिया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
32:55कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबबत नहीं सुनते
32:59सूपिया ने चूप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गया
33:04साल गुजर गए हसन ने मुल्क छोल दिया
33:07सूपिया गर के दाइनमिक केद हो गई
33:10लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
33:13पर एक दिन सूपिया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
33:17जब एक तालीमी कामफर्स में शरीक हो थी है
33:20तो एक मुकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
33:24वो हसन था जो मशूर शायर उज्दाद बन चुका था
33:27स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पलता है
33:30जिसमें हर लब सूपिया के लिए होता है
33:33हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
33:36सब के सामने वो कहता है
33:37कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
33:40सुपे के आखों से बहते आसू और खामोश यहा
33:45एक नहीं शुरुआत बन की जाती है
33:47ऐसी शुरुआत जो मौश्टे के डर से नहीं दिल के होसले से होती है
33:50गर आप इस ड्रामसल के होले से बने रादे की जाल देना जाते है
33:55तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चैनल सब्सक्राइब करना मद बूलिए
33:59तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
34:01हलो वीवर्स
34:02सोपया पिशावर के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रिखती थी
34:07संजीदा
34:07खामोश और हर बात में
34:09माबाप की इज़त को मुकदम रिखने वाली
34:12वो इन्वेस्टे में अर्दो अदब के तालबा थी
34:15किताबों से महबत करती थी
34:17और दिल में चुपी हुई खाएश रिखती
34:20कि कभी कोई से लबजों में चाहे बिना शर्द बिना तकाजे के
34:24हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन और गुलह मिज़ाज लड़का
34:28जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
34:31इसी इन्वर्स्टिय में सकालर्शिप पर आयता
34:33वो सोफिया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
34:36जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
34:40वो मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया
34:43पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबादले पिर नज़मों में चुपी बाते और दिलों में चुपी ज़जबाद
34:49हसन सोफिया से महबत करने लगा वो उसे ना सिरफ पढ़ता बलके समझता भी था
34:55वीवर्स सोफिया को भी इसके खलूस ने जोकर लिया
35:00मगर वो एक खौप के साथ जीती थी अपने वालिद जिन्होंने इसके बड़े बेहन को सिर्फ इसले गर से निकाल दिया था
35:06कि इसने अपने पसंद से शादी की थी सोफिया के लिए अपनी महबत को जबान देना गुना जेसा था
35:12और हसन के लिए चुप रहना सजा
35:14जब हसन ने रिष्टा बेजा तो सुपिया के वालिद ने बगएर मिले इंकार कर दिया
35:19कि हम बेटों को बेचा नहीं करते महबत नहीं सुनते
35:23सुपिया ने चुप से आगे बड़े मगर इसके दिल वही रह गया
35:28साल उगुजर गए हसन ने मल्क छोड़ दिया
35:32सुपिया गर के दाइनमिक केद हो गई
35:34लेकिन वक्त उनके दिल से यादे मिटा ना सका
35:37पर एक दिन सुपिया अब एक स्कूल में फ्रेंसिपल बन चुके थी
35:42जब एक तालीमी कामफर्स में श्रीक होती है
35:45तो एक मकरर की आवास सुनते ही साकत रह जाती है
35:49वो हसन था जो मशूर शायर उनस्ताद बन चुका था
35:52स्टेज पर कड़े होकर वो अपनी नजम पढ़ता है
35:55जिसमें हर लब सुपिया के लिए होता है
35:57हर सतर इसके खुपामोशी को जवाब देती है
36:00सब के सामने वो कहता है
36:02कुछ रिष्टे वक्त से नहीं इरादे से जीते है
36:05सुपिय के आखो से बहते आसू और खामोश यहा
36:09एक नई शुरुआत बन की जाती है
36:11ऐसी शुरुआत जो मौाश्य के डर से नहीं
36:13दिल के होसले से होती है
36:15गर आप इस ड्रामस के होले से बने रादे की जाल देना जाते है
36:19तो कमेंट सेक्शन में देजी और साथ में हमारे यूटूब का चेनल सब्सक्राब करना मद बूलिए
36:24तेंस पर वाचिंग अला हाफ़ेज
36:25हेलो वीवर्स
36:26सूपय पिशार के एक पुरानी मगर बावकार पुश्टून पेमली से तालुक रिखती थी
36:31संजीदा
36:32खामोश और हर बात में
36:34माबाप की इज़त को मकदम रिखने वाली
36:36वो इन्वेस्टे में अर्दो अदब के तालबा थी
36:39किताबों से महबत करती थी
36:41और दिल में चुपी हुई खाएश रिकती
36:44कि कभी कोई से लबजों में चाहे
36:46बिना शर्द बिना तकाजे के
36:48हसन लहोर से आया हुआ एक जहीन
36:51और कुल हमिजाज लड़का
36:52जो इंजिनिरिंग के साथ साथ शायरे का भी शुकीन था
36:55इसी इन्वस्टिय में सकालरशिप पर आया था
36:58वो सोफिया से पहली बार लाइबरेरी में मिला
37:00जहाँ पर एक पुरानी किताब दोनों के नज़रे एक साथ पढ़े
37:05वों मामूली लम्हा एक खामोश अगास बन गया
37:08पिर मुलाकाते हुई पिर किताबों के तबाद ले पिर नज़मों में चुपी बात थी और दिलों में चुपी ज़जबात
37:14हसन सुफिया से महबत करने लगा
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