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  • 2 days ago

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00:00मैं अभी कहीं देख रहा था कि हर साल पचास हजार पजातियां जीवों की इसी जंगलों के विनाश्यकरन खत्म होती चली, जा रहे हैं
00:10हैं है थेदरबाद के जंगल में भी कुछ ऐसी पićातियां जीवों की हैं जो सिर्फ वहीं है जी मैंने परहा कि एक खास तरह कि मकडी
00:30ये एक सिलसला है जो चला जा रहा है चला जा रहा है तो फिर ये बिना किसी सोच के है तो अगर बिना किसी सोच के है तो ये विनाश्टक जाने के लिए बात दिया है यूँ कहीं कि अब शब्त है वो जाएगा ही जाएगा या फिर कहीं विवेक आपको काम करता है वह दिख र
01:00तो आप कह रहे हैं कि प्रतिदिन आप लगभग डेड़ सौ प्रजातियों की बात कर रहे हैं, एक सो चालिस प्रजातियों की बात कर रहे हैं, इस से ज्यादा भी हो सकता है, जो अनुमानित आकड़ा है, वो सौ से हजार प्रजातियों की प्रतिदिन की वेलुप्तिका है, त
01:30प्रति दिन, इसका मतलब जितनी देर में हमने बात करी है, इतनी देर में भी कई प्रजातियां कभी भी वापस अब न लोट के आने के लिए सदा के लिए खत्म हो गई, वो इतिहास बन गई, हम किसी व्यक्ति के इतिहास बनने की बात नहीं कर रहे हैं, हम किसी प्रजाति के क
02:00अब ऐसा भी नहीं कि किसी और जनम में लोट कराएंगी
02:03वो इतिहास बन गई, वो कभी नहीं लोट कराने की है
02:06यह हम कर रहे हैं और इस भयानक तबाही से हम गुदर रहे हैं
02:11पिर यह तो हुआ कि वो प्रजातियां जो पूरी विलुप्त हो गई
02:15जो उनकी संख्या में, जो उनकी आंकड़ों में कमी आ रही है
02:19वो एक प्रक्रिया के तौर पर बहुत समय तक चलता है
02:24तब जाकर के फिर एपसल्यूट एक्स्टिंशन होता है
02:26पहले तो यह होगा ना कि कोई प्रजाति थी, जो लाखों में थी, करणों में थी
02:30उसकी संख्या घटती गई, घटती गई, घटती गई, घटती गई
02:32� Phir आप एक जगह पर आ जाते हो, जहां कहते हो कि अब हूब भिल्कुल नहीं बची
02:36प्छले पचास सालों में जंगलों में रहने वाले सतर पतिश्यत जीवों को
02:43सतर से असी पतिश्यत जीवों को
03:00उसमें से 80 गायब हैं, 20 बचे हैं, सब प्रजातियां मिला करके, यह हमने करा है, लेकिन वो जीव हमें रोज दिखाई नहीं देते हैं, और हमारी जो रोजमर्रा की जिंदगी हैं, उसके छोटे-छोटे मुद्दे हैं, वो हमें रोज दिखाई देते हैं, तो इस कारण हम माय
03:30फिर भी गाड़ी चला जा रहा हूँ, ऐसे इस दुनिया की गाड़ी चल रही है, और अब बचना बड़ा मुश्किल है, देखिए, मैं कुछ ब्रॉड इंडिकेटर्स चर्चा के आरम में आपसे कहतेता हूँ, हम अच्छे से जानते हैं कि डेड़ डिगरी, ग्लोबल टेम
04:00डिगरी के हम बात क्यों कर रहे थे, कि डेड़ डिगरी पर रोग दो, डेड़ डिगरी पर आते ही, कई सारे टिपिंग पॉइंट्स सक्रिय हो जाते हैं, फीडबैक लूप्स होते हैं सक्रिय हो जाते हैं, मैं एक आपको टिपिंग पॉइंट्स बताता हूँ, आपने जं�
04:30equatorial rainforests
04:32वो जितने हुआ करते थे
04:36आज से लगभग मानिये
04:3850 साल पहले
04:39जैसे ही वो उसके
04:42आधे हो जाएंगे
04:43उसके बाद आपको उने काटने की जरूरत नहीं बढ़ेगी
04:46वो खुद खत्म हो जाएंगे
04:47कारण
04:50वहाँ पर जो प्रजातियां
04:52पाई जाती है
04:53वो सिर्फ एक
04:55closed canopy में ही बनप सकती है
04:58माने वन इतना घहना होना चाहिए
05:00कि sunlight
05:02नीचे तक बहुत ज़्यादा न पहुँचे
05:05और अगर काटते गए हो
05:07काटते गए हो उसकारण जो वहाँ
05:09पर plantation की density है
05:11कि मान लिजे
05:14प्रते मील कितने
05:15व्रिक्ष है ये जो घनत तो है
05:17ये जैसे ही
05:19एक सीमा से नीचे जाएगा
05:21उसके पेंड अपने हाँ मर जाएंगे
05:22तो हैदराबाद का संकट भी तो वैसा ही हो साथा है
05:27बिलकुल वैसा ही है
05:29और मैं ये सारी बाते इसलिए कर रहा हूँ
05:32हैदराबाद के संदर्व में
05:33क्योंकि अगर हमें वो सारी बाते पता होती है
05:36तो हैदराबाद जैसा निर्णे सरकार ले नहीं सकती थी
05:39देखिए सरकार तो
05:41मतदाताओं के पीछे चलती है
05:43सरकार
05:46तो प्रजा के पीछे चलती है
05:47प्रजा को वो सारी बाते पता होती है, जो बातें अभी हम कर रहे हैं, तो हैदराबाद में या हसदेव में जो हुआ, वो सरकार निर्ने ले भी नहीं सकती थी, लोग सरकार के ओपर चल जाते हैं कि तुम इक कैसे कर सकते हो, तुम हमारे निर्वाचित प्रतिनिधी हो तुम �
06:17सरकारी नौकरी से हाथ धोगे
06:18आप प्राइवेट जॉब में हो वहाँ पर दबाव डालके
06:22आपको निकाल दिया जाएगा
06:23आप सोशल मीडिया पर जाकर बात करोगे
06:25आपका सोशल मीडिया अकाउंट जो है बंद कर दिया जाएगा
06:28एजुकेशन सिस्टम से
06:30क्लाइमेट चेंज की पूरी बात हटा दी जाएगी
06:33बच्चों को जवानों को स्कूल कॉलेज में
06:36करिकुलम में पता नहीं रखने जाएगा क्लाइमेट चेंज क्या होता है
06:39जब किसी को पता ही नहीं कि यह सब क्या होता है
06:42तो कटते रहें जंगल कोई आकर कि विरोध क्यों करेगा भारत इस मामले में अमेरिका से बहुत बहतर है
06:47यहां एक संकट तो है क्लाइमिट चेंज कोई ऐसी चीज तो है नहीं कि हमने यह ग्लास है
06:53हमने परदे के पीछे रख दिया और आपको नहीं दिखाई पर है तो आपने इसके बारे नहीं पूछा है
06:57यह खत्रे तो जिन्दगी में चारों तरफ दिखने शुरू हो जाते हैं
07:02आपका मौसम का पैटर्न बदल जाएगा आपकी खेती उजड़ जाएगी पानी का संकट खड़ा हो जाएगा अबादी बढ़ती चले जाएगी अन्नहमिले खाने के लिए
07:11यह जो संकट पूरा का पूरा दिखता है कोहराम मचाता हुआ सा महसूस होता है
07:15वो तब ना जब कोई बैठ करके ये सारी बातें एक साथ एक इकरत करके टेबल पर रख दे तब तो दिखाई देता है खतरा कितना बड़ा है
07:24दिक्कत सारी यह है राना जी कि ये सारे खतरे लगभाग अद्रिश्य रहते हैं आपने कहानी सुनी होगी ना उस मेढ़क की
07:45जल और गया क्या कर दिया काहे को डाल दिया एक दूसरा मेढ़क था उसको पानी में डाला जरा सा तापमान बढ़ाया वो जहिल गया जरा सा और बढ़ाया उसने का हाँ यार गर्मी बढ़तो रही है थोड़ी सी ही तो बढ़ी है वो और जहिल गया थोड़ी दिर में थोड
08:15क्योंकि इसके साथ जो प्रक्रिया रही वो क्रमिक रही जो भी कुछ हुआ वो क्रमशह हुआ ग्रैजूल हुआ ये मेढ़क उबलकर मर गया हमारे साथ उस दूसरे मेढ़क वाली घटना घट रही है
08:27क्लाइमिट चेंज को लेकर के आपने जिस कोराम की बात करी अगर वो सब कुछ एक तिन या एक हफ्ते या एक महीने में घटेत हो जाए और एक ही जगह पर हो जाए घटेत
08:36तो हमें मजबूर हो करके इसका संग्यान लेना पड़ेगा बहुत बड़ी आपदा आ गई है दिख रहा है रोज रोज कुछ हो रहा है दिक्कत यह है कि कारबन डाय ऑक्साइड का कोई कलर नहीं होता रंगहीन कलरलेस वो एक गैस होती है धूँआ तो दिखाई देता है न
09:06इसकी गाडियों का जो एक्जास्ट होता है उसमें इसे काला धुआ निकल रहा है दिखाई देता है कारबन डाय उससे दिखाई नहीं देती नहीं पता चलता कि कारबन डाय ऑक्साइड का जो कॉंसेंट्रेशन है वो डेढ़ गुने से ज्यादा बढ़ चुका है लगबग
09:36हमें नहीं पता चलता कि इसकी वजय से अगले 20 सालों में भारत में जो खेतों की उत्पादक्ता है जो क्रॉप इल्ड्स है वो 30 प्रतिशत नीचे जाने वाली है और हमारी आबादी लगबग 15-20 प्रतिशत तब तक बढ़ चुकी होगी ये कब तक की बात है ये अगले 20 सा
10:06और अभी नहीं पिछले 10 साल तो शुरू पिछले 20 साल तो शुरू प्लाइमेट चेन से भारत का जो अग्रिकल्चरल फार्म सेक्टर है उसको कितना नुकसान हो चुका है हम बात करते हैं हमें इतने ट्रिलियन की एकनॉमी बनना है हमें कितने बिलियन एकनॉमी का प्रतिव
10:36तो मिड़क को लगी नहीं रहा कि कोई अन्होनी घ הי��ा है वह कूदके बार ही नहीं आरहा वे इमर्जनी जैसा कोई बटन दबाही नहीं रहा है और उ इमर्जनी पाजा कई बटन दबेगा नहीं यह दुनिया जो है यह मेड़क की तरह ही उबल कर मरने वाले
10:50अचार जी अए बहुत गम्भीर मसलिय को उठा रहे हैं, जब कार्बन विश्ट होता है हम यतनी चीज़े जलाते हैं तो कर्बन डायकसाइड निकलता है, पेड़ होते हैं तो सोकते हैं, तो हम तो पेड़ों कारते चलिए जा रहे हैं, तो सोकने का एक जरीय हमारे पास था भ
11:20तो जो हमारे मौसम का पैटर्न है, जब सावन आना है, भादों आना है, पूस आना है, मा घाना है, वो सब उसमें अलग-अलग बनला होगा, तो खेती मारी जाएगी, और हमारी जो अबादी हो बढ़ती चली जा रही है, तो जीने के संसाधन आपके संकुचित होते जा रहे ह
11:50है, हैदराबाद का जंगल एक उदाहर रहन है, हसदेव का चत्य-दर रहन जंगल यक उदाहर है क्योंकि वो भी लगभग 1100 श्कुार इंटर का जंगल है, अब 36 गर और हैदराबाद इस तरह के जंगल देश में बाकी हिस्थों में काटे जा रहे है, जंगलों का काटा जा
12:20वो अपने खत्रे को लेके खड़ी है।
12:50एक खास प्रकार के मौसम और तापमान और वायू मंडली दबाओ के संतुलन पर जी रहे हैं।
13:01भारत की तो सारी खेती मौनसून पर आशरित है ना।
13:05मौनसून कैसे होते हैं।
13:07यह से वो हवाएं समुदर से चल करके जमीन पर आ जाती हैं, हमाला से टकराती हैं, वर्शा करती हैं, सब कैसे होता है।
13:14इन सब के पीछे तापमान की और एक्मस्फरिक प्रेशर की एक बहुत नाजुक प्रणाली काम करती है।
13:25जैसे ही तापमान ऊपर नीचे हुआ बारिश होनी बंद।
13:29हमने अमेजन रेंफॉरेस्ट की बात करी थी, आप ऐसे समझीए कि सवाना के वो ग्रास लैंड्स होते हैं, वो जिए बीच बीच में कहीं पर ठूँठ पेड़ खड़ा दिख जाता है, बाकी घास ही घास है, जार जंखाड है, और वहां पर जिबरा चल रहे होते हैं, और �
13:59जिसको आज आप सहरा करेकिस्तान बोलते हो, किसी समय वो एक बहुत घना हरा जंगल हुआ करता था, वहां बारिश होनी बंद हो गई बस, लेकिन इनसान तो पूछेगा ना, कि अगर सहरा के जंगल मरुस्थल में तबदील हो गए, फिर भी ये प्रत्वी बच्ची हुई ह
14:29पर इंतजार किसके दोरा किया गारा जानते हैं, जितने विक्सित देश हैं वो इंतजार कर रहे हैं, अमेरिका में अभी जब पूरा ट्रंप का कैम्पेइन चला था, तो नाम क्या है, उनका उन्वरिष्ट कैम्पेइन मैनेजर थे, उन्होंने कुछ इस तरह की बात कही थ
14:59तो वहां पर हरित्मा आ जाएगी, घास हुगेगी, पौधे हुगेंगे, हमारी तो बलकि घूमने फिरने की और खेती की जमीन बढ़ जाएगी, और ये वो लोग बोल रहे हैं, जो जलवाई उपरिवर्तन के सबसे बड़े गुनहगार हैं, और वही हैं जिनको इसमें फा
15:29रखा है, वो पिखलेंगी, जो पिखलेंगी, तो वहां तो बहुत लोग इस आशा में बैठे हैं, कि अच्छी बात है हमारे तो खेती की जमीन निकल आएगी, उनके लिए निकल आएगी, भारत का क्या होगा, भारत, बंगलादेश, पाकिस्तान, इनमें भी सबसे उपर ब
15:59क्लाइमेट चेंज से, और भारत भी तबाही में बहुत पीछे नहीं रहने वाला है, और जिन देशों में क्लाइमेट चेंज को ले करके, सबसे कम सजगता है, उसमें भी भारत अगरनी है, यहां आप किती से जल्वाई उपर रटन की बात करिये, उनको नहीं समझ में आता
16:29की अबादी आठ सो करोड है, और दो सो करोड की अबादी यहीं रहती है, और यह आबादी जो बड़े देश हैं आज की तारिक में उनको बहुत नुक्सान नहीं है, लेकिन यह एक चौथाई आबादी यहां रहती है, जिसको भारत भी महदूईब कहते हैं, इसके उपर ख
16:59भी भी बहुत है, और लोगों को अपने घर दोआर छोड़ने पड़ेंगे जब उनके खेतों में पैदावार कम हो जाएगी, तो एक मास माइग्रेशन होगा, एक जबरदस्त विस्थापन होगा,
17:18अब बांगलादेश जो है, उसके जो पूरे सब लो लाइंग अलाके हैं, और यह जो दर है, यह दर भी प्रतिवर्ष बढ़ रही है,
17:38साड़े तीन मिलमीटर, यह कोई constant rate नहीं है, अभी साड़े तीन है, फिर चार है, फिर साड़े चार है, यह प्रतिवर्ष जुड रहा है, साड़े तीन, उसमें साड़े तीन में चार जुड दो अगली बार, और फिर चार में साड़े चार जुड दो अगली बार, तो साड
18:08जहां बारिश नहीं होती थी वहां आते वरिश्टे हो रही है या जहां उतनी ही बारिश होती थी कि जितने में फसल पनप सके वहां इतनी बारिश हो रही है कि खड़ी फसल बरबाद हो गई ये सब होगा तो वर्शा पर आश्रैता और गरीबी ये दोनों मिल करके मंगलादे
18:38झाल झाल

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