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  • 2 days ago
मुंबई ट्रेन बम धमाकों के बारह अभियुक्तों की लड़ाई में अलग-अलग समय पर कई वकीलों का संघर्ष व दलीलें कई मोर्चों पर रहीं। Sunday Offbeat में उस कानूनी जंग का आगाज़ करने और उसे अंजाम तक पहुंचाने वाली दो अद्भुत शख्सियतों के बारे में चर्चा कर रहे हैं पत्रकार उपेंद्र स्वामी।
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00:00क्या आप जानते हैं कि 2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों में जिन 12 लोगों को बॉम्बे हाई कोर्ट ने बेकसूर मानते वे उन्हें बरी कर दिया उनके वकीलों में से एक कौन थे?
00:16सुप्रीम कोट के सीनियर एड्वोकेट और ओडिसा हाई कोट के पुर्व मुख्यन अधिश एस मुरलिधर
00:24देश में आपको इस बात के उधारन गिने चुने ही मिलेंगे जब कोई पुर्व चीफ जस्टिस रिटाइर होने के बाद फिर से वकील का चौगा पहन कर मामलों की पैरवी करने के लिए अदालतों में खड़ा हो जाए
00:37वरना जादा तर जज रिटाइर होने के बाद किसी कमिशन या आर्बिट्रेशन या कहीं और कोई पोस्ट पाकर आराम से वक्त गुजार देते हैं
00:48लेकिन ऐस मुरलिधर उन लोगों में से नहीं
00:51मुरलिधर अलग मिजाज के इनसान है यह जज रतेवे उनके दिये गए फैसलों से भी समझा जा सकता है
00:58खास तोर पर दिल्ली हाई कोट के जज के रूप में
01:03लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि इन बारा लोगों के लिए सबसे पहले कानूनी लड़ाई लड़ना शुरू किस ने किया था
01:10वह भी उस समय जब सारी दुनिया उन्हें एक सो निव्यासी निर्दोष ट्रेन यात्रियों को मारने वाले आतंक वादियों के तौर पर देख रही सी
01:21तुतकार रही सी वे और उनके परिवार यातना जहेल रहे थे
01:26वह और कोई नहीं बलके शाहिद आजमी थे
01:30शाहिद ने यह केस उस समय अपने हाथ में लिया था
01:34जिन दनों मुंबई के बाद हैदराबाद, औरंगाबाद, माले गाउं, दिल्ली आदी जगों पर भी विस्फोट हुए थे
01:41और उनके मामलों में कई मुस्लिमों को गिर्फतार किया गया था
01:46उस समय माहौल ऐसा बना दिया गया कि कई जगों पर बार एसोसेशनों ने
01:52ऐसी घटनाओं के आरोपियों के केस न लड़ने के बाकाइदा प्रस्ताव तक पारिद कर दिये थे
01:59लोग दोश साबित होने से पहले ही सजा भुगतने लगे थे
02:03ऐसे समय में शाहिद ने एक केस अपने हाथ में लिया था
02:07क्योंकि उन्होंने अपने जीवन का मकसद ही उन बेकसूर लोगों को बचाने का बना रखा था
02:13जिन्हें आतंकवाद के जूटे मामलों में फसाया गया था
02:17आखिर शाहिद खुद भी तो इसी बात का शिकार हुए थे
02:21आप जानते हैं ना शाहिद कौन है
02:24वहीं जिन्होंने महस साथ साल की वकालत में ऐसे सत्रा बेकसूर लोगों को बचाया था
02:32जिन्हें किसी न किसी कड़े कानून में आतंकवाद के आरोप में पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था
02:38इन्ही शाहिद आजमी के जीवन पर 2012 में अनुरा कश्यप वहनसल महता ने चर्चित हिंदी फिल्म शाहिद बनाई थी
02:48जिसमें शाहिद का किरदार राजक्मार राव ने निभाया था
02:51जानी मानी पत्रकार राना यूब ने गुजरात में दो हजार दो के बाद हुए फर्जी मुटबेडों के
03:00इस्टिंग ऑपरेशन्स पे जो किताब गुजरात फाइल्स नाम से लिखी थी
03:04उन्होंने जिन लोगों को समर्पित किया था उनमें शाहिद आजमी भी थे
03:09लेकिन शाहिद शौक से वकील नहीं बने थे
03:12वह खुद भी उस नफरत का शिकार थे
03:15जिसमें पुलिस किसी भी मामले में किसी भी मुस्लिम युव को पकड़ कर जेल में डाल दिया रही थी
03:22शाहिद जब महज 14 साल के थे तब 1992 के मुंबई दंगों में उन्हें पकड़ कर जेल में डाल दिया गया था
03:30बालिग नहीं थे इसलिए उस समय तुरंट छूड गए
03:34मुस्लिम विरोधी सिस्टम समाज में घर चुकी नफरत और दक्षिनपन्त का उभार
03:40उस समय ये सब वे नासूर थे जिनोंने कई मुस्लिम युवाओं को रास्ते से भटकाया
03:47शाहिद भी भटके लेकिन तुरंट ही सही रास्ते पर लौट आए
03:52देशदगर्दी के इल्जामात और उसमें हमारे कानुनी लाहे अमल क्या होना चाहिए
04:02इस मौजू पर आने से पहले ये देशदगर्द कौन है
04:09कम से कम हिंदुस्तान के पसमंजर में ये देशदगर्द कौन है इस बात की वजात होनी चाहिए
04:19लेकिन फिर 1996 में उन्हें उस समय कुक्ख्यात हो चुके टाड़ा कानून में गिरफ्ताल कर लिया गया
04:25इस बार उन पर बार ठाकरे समय तमाम नेताओं की हत्या के साजिश जैसे गंभीर आरोप थे
04:31उन्हें साथ साल जेल में बिताने पड़े और आखिर करार 2001 में सुप्रीम कोट ने उन्हें बरी कर दिया
04:38लेकिन दिल्ली की तिहार जेल में बिताए सालों ने उन्हें जिन्दगी का नया मकसद दे दिया
04:45जेल में रहते हुए ही उन्हें अपने जैसे कई निर्दोश लोग सीख्चों में बन मिले
04:51आजमी ने जेल में रहते हुए पड़ाई की ग्रेजुएशन और फिर पोस्ट ग्रेजुएशन जेल से बाहर आकर उन्हें कानून के पड़ाई की और वकील बने
05:022003 से वा वकालत करने लगे थे और उन्हें के मामले हाथ में लेने लगे जो उनकी ही तरह दमनकारी कानूनों में फसाए गए थे
05:142006 के मुंबई ट्रेन धमाकों में आरूपी बनाये गए 12 लोगों का मामला भी उन्होंने इसी वज़े से हाथ में लिया
05:21उन्होंने उसके बाद और अरंगावाद और माले गाम विस फोटों के अभिवतों के मामले भी हाथ में लिये
05:28फिर वा नवंबर 2008 में हुए मुंबई धमाकों में पकड़े गए फहीम अनसारी का मामला भी लड़ रहे थे
05:35जब फरवरी 2010 में मुंबे के कूरला में उनके आफिस में ही उनकी हत्या कर दी गई
05:42अगस्ट 2012 में सुप्रीम कोट ने फहीम अनसारी को सबुतों के अभाव में बरी कर दिया
05:51हनसल महता की फिल्म शाहिद भारत में अक्तुबर 2013 में रिलीज हुई
05:56और विडमना देखिए कि सिस्टम को बेनकाब करने वाली इस फिल्म के लिए हनसल महता को साल 2013 का सर्वस्रिष्ट निर्देशक का
06:06और राजकिमार राव को सर्वस्रिष्ट अभिनेता का राश्टरी पुरसकार मिला था
06:12शाहिद की मौत के बाद 2006 ट्रेन धमाकों का केस दूसरे वकिलों ने देखा
06:19लेकिन सितंबर 2015 में विशेश मक्कों का अदालत ने ट्रेन धमाकों में बारा लोगों को दोशी कराद दे दिया
06:28और पाच को फांसी वा साथ को उम्रकैद की सजा सुनाई
06:33कानूनी पक्रिया के तहट फांसी के सजा के पुष्टी के लिए मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में पहुँचा
06:39जस्टिस एस मूरली धर ने अगस्ट 2023 में ओडिसा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से रिटायर होने के बाद फिर से वकारत शुरू की
06:49अक्टबर 2023 में ही उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ट वकील का दर्जा दी रिया
06:53उन्हेंने फिर से वकालत शुरू करने के बाद जो मामले हाथ में लिए
06:58उनमें 2006 के मुंबई तेन धमाकों का मामला भी एक था
07:02उसके बाद से मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई के दोरान
07:07उनकी दलीलों की 21 जुलाई 2025 को आए फैसले में अहम भूमिका रही
07:13जिसमें 12 अभीक्तों को बरी कर दिया गया
07:17और वे सभी 18 साल बाद जेल से बाहर आ गए
07:22एस मुरिधर की ख्याती क्या है यह इस बात से समझा जा सकता है
07:27क्यूंकि रिटाइर्मेंट के बाद कानून के कई जानकरों का कह कहना था
07:33कि यह वाज वन अफ दो बोल्डेस जज सुप्रीम कोट नैवर हैड
07:37दिली हाई कोट में जज रहते उनका कई अहम फैसलों में युगदान रहा
07:44उनमें हर्याडा में मिर्चपूर में दलित विरोधी हिंसा वहत्याएं
07:50मेरट का हाशिमपुरा नरसहार
07:531984 के सिख नरसहार
07:56और आईजपीसी की धारा 377 को समविधान के अनुच्छे 21 के खिलाफ बताने वाला फैसला शामिल है
08:03जितने चर्चित उनके फैसले रहे उतना ही संसनिखेज उनका दिल्ली हाई कोट से
08:08आधी रात को पंजाब वहरेना हाई कोट में तबादला भी रहा
08:12साल 2020 में दिल्ली को साम्परदाइक हिंसा में जोकने की साजेश में जब उन्होंने भाजपा नेता कपिल मिश्रा
08:21वह अन्य लोगों के खिलाफ तनाव भढ़काने का मामला दर्ज करने के आदेश पुलिस को दिये
08:26तो उसी रात उनका तबादला चंदिगर कर दिया गया
08:29कानूनी वर राजनितिक हलकों में इस तबादले की कड़ी भरस ना हुई
08:34बाद में उसी साल दिसंबर में उन्हें ओडिसा हाई कोट का मुख्य नय भीश नियुक्त कर दिया गया
08:40मुंबई मम धमाकों के इन बारा अभियक्तों के लड़ाई में शाहिद और मुरलिधर के अलावा भी अलग-अलग समय पर कई वकीलों का संघर्ष वदलीले कई मोर्चों पर रही
08:53इनमें युग मोहित चौधरी, नित्या रामकरश्णन, एस नागमुथू जैसे सीनियर एडवोकेट भी शाविल थे
09:01यहां हमने बस उस कानूनी जंग का आगाज करने और उसे अंजाम तक पहुँचाने वाली दो अद्बुद सक्षितों के बारे में चर्चा की है
09:11हाला कि 24 जुलाई को सुप्रीम कोट ने बंबे हाई कोट के फैसले पर स्टे दे दिया
09:18लेकिन अभी उक्तों को वापस जेल नहीं भेजा
09:22न तो महराश्ट सरकार और नहीं सुप्रीम कोट के मैंशा इन लोगों को जेल में फिर से भेजने की थी
09:29कहींने कहीं यह सब के जहन में है कि यह लोग बेकसूर ही थे
09:33महराश्ट सरकार और सुप्रीम कोट दोनों की ही बड़ी चिंदा यह थी
09:38कि हाई कोट के फैसले को कहीं एक मिसाल के तोर पर आगे आने वाले फैसलों में अदालतें न ले ले
09:46क्योंकि हाई कोट ने पुलिस वज्जांच एजेंसियों के तोर तरिकों के बारे में काफी सक्त टिपनिया की थी
09:53सुप्रीम कोट का इसले दरसल इसी बिनापर है और वा उन 12 लोगों के बारे में कुछ नहीं कहता
10:00जो बड़े संखर्ष के बाद अपनी बेगुना ही साबीत कर पाए है शुक्रिया

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